Breaking News :
>>शादी में वाहन बुक कराने से पहले अब वाहनों का सेफ सफर ऐप में पंजीकरण कराना होगा अनिवार्य>>मासूम को बहला फुसलाकर कुकर्म का प्रयास करने वाले आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार >>सर्दियों की दस्तक के साथ ही पर्यटकों से गुलजार होने लगे मसूरी, धनोल्टी, व्यापारियों के खिले चेहरे >>एक्शन से भरपूर वरुण धवन की फिल्म बेबी जॉन का धमाकेदार टीजर आउट>>विवादित अफसरों को सेवा विस्तार दे रही भाजपा से जनता त्रस्त – कांग्रेस>>करेले के जूस में छिपा है सेहत का राज, रोजाना पीने से मिलेंगे कई फायदे>>श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके सोमवार को नए प्रधानमंत्री और कैबिनेट की करेंगे नियुक्ति>>केदारनाथ की तरक्की देखकर कांग्रेस के नेताओ को हो रही परेशानी- सीएम>>स्वास्थ्य विभाग को मिले 352 एएनएम>>ट्रंप की नीतियां हिंदुओं पर सर्वाधिक भारी>>श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने का कार्यक्रम जारी>>चलती ट्रेन में रील बनाना अब पड़ेगा भारी, रेलवे ने जारी किए सख्त निर्देश>>ऊर्जा निगमों में ब्याप्त भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेंगे एडवोकेट विकेश सिंह नेगी>>उत्तराखंड बनेगा राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों में हेलिकॉप्टर से उड़ान भरने वाला पहला राज्य >>प्रतीक गांधी-दिव्येंदू की फिल्म ‘अग्नि’ का धांसू टीजर आउट, रिलीज तारीख से भी उठा पर्दा>>दुर्घटनाओं का बढ़ना चिंता का विषय, रोकथाम के लिए सुरक्षात्मक उपायों पर दिया जाए ध्यान- मुख्यमंत्री धामी >>महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में लगी भीषण आग, 10 मासूमों की मौत>>क्या दूध पीने से कम हो जाती है एसिडिटी, आइए मिलकर जानें इस मिथक की सच्चाई>>कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने केदारनाथ में तेज किया प्रचार-प्रसार, कांग्रेस पर लगाया जनता की अनदेखी का आरोप>>चौथे टी20 मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 135 रनों से हराया, 3-1 से सीरीज की अपने नाम 
उत्तराखण्ड

जिंदगी की जंग में हौसले से हारा कैंसर

देहरादून: कहते हैं जिंदगी चलते जाने का नाम है और यह तभी संभव है, जब जिंदगी में जिंदादिली साथ हो। फिर चाहे दुख की रात कितनी ही घनेरी क्यों न हो, अगर मन में सुखद सवेरे की चाह हो तो वो रात ढल ही जाती है। कैंसर से हर साल लाखों लोग काल के गाल में समा जाते हैं।

लेकिन, तमाम ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से इस बीमारी को मात दी, बल्कि दूसरों के लिए भी हिम्मत बने। कई ऐसे भी उदाहरण हैं, जिसमें पूरा परिवार कैंसर के खिलाफ एकजुट हो गया और उसे हराकर ही दम लिया। ऐसे लोगों ने साबित किया कि उचित उपचार और सकारात्मक सोच के साथ कैंसर और मौत को भी हराया जा सकता है।

 

कोर्ट में लड़ने वाली अंजना कैंसर से भी लड़ीं 
अंजना साहनी आज उस जिंदादिली का नाम बन चुकी हैं, जिन्होंने खुद तो कैंसर से जंग जीती ही, कैंसर से जूझ रहे दूसरे लोगों के लिए भी हौसला बन रही हैं। अंजना पेशे से वकील हैं। कोर्ट में कई मुकदमे उन्होंने जीते, लेकिन ब्रेस्ट कैंसर से जंग ने उन्हें सच्चा लड़ाका साबित किया। दून स्थित शांति विहार (गोविंदगढ़) निवासी अंजना बताती हैं कि वह पांच दिसंबर 2009 का दिन था, जब उन्हें ब्रेस्ट में गांठ और दर्द महसूस हुआ। डॉ. अशोक लूथरा से चेकअप कराया और उन्होंने अल्ट्रासाउंड किया। रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर ने यूटेरस की बायोप्सी समेत कुछ और टेस्ट कराए।
टेस्ट में कैंसर का नाम सुनकर तो दिमाग का फ्यूज उड़ गया था। उन्हें लेवल-2 ब्रेस्ट कैंसर था। कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या किया जाए, लेकिन उन्होंने खुद को समझाया कि बीमारी शरीर में है, इसे दिमाग में नहीं चढऩे देना है। डॉक्टर से पूछा, अब क्या किया जा सकता है तो उन्होंने कीमोथेरेपी की सलाह दी। हर 21वें दिन इस थेरेपी के लिए जाना पड़ता था और यह इतना पीड़ादायक था कि सामान्य होने में 10 दिन लग जाते थे। उनका खाना-पीना बदल गया, दवाओं ने चिड़चिड़ा बना दिया, वजन भी बेहद कम हो गया। फिर भी उन्होंने जीने की चाह नहीं छोड़ी। छह कीमोथेरेपी के बाद एक महीने रेडियोथेरेपी हुई। आखिरकार अंजना ने ब्रेस्ट कैंसर से जंग जीत ही ली। आज उन्हें सभी लेडी युवराज सिंह कहकर बुलाते हैं। अंजना ने अब कैंसर के खिलाफ जंग छेड़ दी है।
बेटी के लिए लड़ा परिवार और हार गया कैंसर:
यह कहानी सहस्रधारा रोड स्थित मयूर विहार निवासी वीएस रावत की 10 साल की बेटी अंशिका की है। करीब चार साल पहले अंशिका के गले में एक छोटी गांठ हुई थी। डॉक्टर को दिखाया, उपचार चला, लेकिन गांठ बढ़ती गई। इसके बाद दून अस्पताल में एक चिकित्सक से परामर्श लिया गया और उन्होंने गांठ से सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा। जब रिपोर्ट आई तो वक्त जैसे थम सा गया, जांच में कैंसर की पुष्टि हुई थी। इसके बाद उन्होंने बेटी को देहरादून के मैक्स अस्पताल में डॉ. विमल पंडिता को दिखाया। दोबारा जांच में पता चला कि अभी कैंसर शुरुआती चरण में ही है। हालांकि वीएस रावत के मन में रह-रहकर बुरे ख्याल आ रहे थे, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। कीमोथेरेपी शुरू हो गई। इससे बेटी को होने वाली पीड़ा पूरा परिवार महसूस करता था। रावत परिवार पर एक-एक दिन भारी पड़ रहा था, लेकिन परिवार के किसी भी सदस्य ने हिम्मत नहीं हारी और अंशिका को भी संभाला। आखिर में कैंसर हार गया और मासूम अंशिका और उसका परिवार जीत गया। ऐसे लोग दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनते हैं।
जब व्यक्ति हौसला हारता है, इन्होंने कैंसर को हराया
दश्मेशपुरी कालोनी निरंजनपुर निवासी 78 वर्षीय शकुंतला के लिए यह सब आसान नहीं था। वह बताती हैं कि गत वर्ष कंधे से नीचे दर्द हुआ। छाती में गांठ जैसी महसूस हुई। लगा कि वृद्धावस्था के कारण दिक्कत हुई होगी। डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने ब्रेस्ट कैंसर बताया। उनके बेटे सुनील कुमार ने बताया कि वह प्राइवेट काम करते हैं। ऐसे में कैंसर की बात सुन कई तरह के ख्याल जेहन में आए। लेकिन चिकित्सकों ने समझाया कि इसमें घबराने की बात नहीं है। उनकी मां ने भी इस उम्र में खूब हौसला दिखाया। उनका इलाज हुआ और अब वह रिकवर हो रही हैं।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!