कोहरा छंटने के दो घंटे बाद दिखा साल के अंतिम सूर्य ग्रहण का नजारा
देहरादून। इस साल केे तीसरेे और अंतिम सूर्य ग्रहण को उत्तराखंड के अधिकांश जिलों में कोहरे की चादर ने ढक दिया। बुधवार रात से ही सूतक शुरू हो गया था। इससे पहले गत शाम को ही मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए गए और सभी शुभ कार्यों पर निषेध रहे। सूर्यग्रहण का असर खत्म होने के बाद ही मंदिरों के कपाट खुले और शुद्धिकरण किया गया।
इस बार 144 साल बाद ऐसा संयोग है कि अमावस्या और गुरुवार एक ही दिन पड़ेे। ऐसे में इस ग्रहण का समस्त 12 राशियों पर असर माना गया। इस माह में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र राशि बदल रहे हैं। चंद्रमा हर ढाई दिन में राशि परिवर्तन कर
खडग्रास सूर्यग्रहण पौष कृष्ण अमावस्या गुरुवार 26 दिसंबर को है। जो सुबह 8.26 बजे से शुरू हो गया था। दिन में 11 बजे तक ग्रहण पूर्ण रूप कई स्थानों पर नजर आया। यह पूर्णतया दो घंटा 34 मिनट तक पूर्ण रूप से स्पर्श रहाा। वहीं, 12 घंटे पहले सूतक का ग्रहण अर्थात सूतक काल प्रारंभ हो गया।
मौसम की मार के चलते उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार सहित अन्य मैदानी भागों के लोग सुबह ग्रहण का नजारा नहीं देख पाए। सुबह सवा दस बजे कई स्थानों पर कोहरा छंटा तो लोगों ने लैंस व अन्य साधनों से ग्रहण का नजारा देखा। वहीं, पर्वतीय जनपदों में कुछ स्थानों पर सुबह से धूप निकल गई थी। ऐसे में वहां के लोग सूर्य ग्रहण का नजारा विभिन्न माध्यमों से देख पाए।