प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कैबिनेट सहयोगियों को दिया निर्देश : “यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सकुशल स्वदेश लाना पहली प्राथमिकता हो”
आकाश ज्ञान वाटिका, 25 फ़रवरी 2022, शुक्रवार, नई दिल्ली। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद वहां रह रहे भारतीयों पर मुसीबत आ गई है। यूक्रेन में पढ़ाई के लिए गए हजारों भारतीय छात्र भी युद्ध के बाद वहां फंस गए हैं। विदेश मंत्रालय भारतीय नागरिकों को स्वदेश सकुशल वापस लाने के लिए तमाम कोशिशें भी कर रहा है। यूक्रेन गई भारतीय फ्लाइट को गुरुवार को बैरंग वापस लौटना पड़ा था। ऐसे में भारत सरकार नागरिकों को वापस लाने के लिए नए प्लान पर काम कर रही है।
दरअसल, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र और नौकरी कर रहे भारतीयों को निकालना भारत सरकार के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती भी है और सबसे बड़ी प्राथमिकता भी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं अपने कैबिनेट सहयोगियों को निर्देश दिया है कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सकुशल स्वदेश लाना पहली प्राथमिकता हो।
रूस के हमले की वजह से राजधानी कीव के हवाई अड्डे का संचालन ठप हो चुका है, इसकी वजह से विशेष विमान भेजकर भारतीय विद्यार्थियों को निकालने की योजना प्रभावित हुई है। भारतीय विद्यार्थियों को लाने के लिए भेजे गए एक विमान को बैरंग वापस आना पड़ा। ऐसे में भारत यूक्रेन की पश्चिमी सीमा से सटे दूसरे देशों के जमीनी रास्ते से विद्यार्थियों को वापस निकालने में जुट गया है।
विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने आश्वस्त करते हुए कहा कि यूक्रेन में फंसे सभी भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यूक्रेन से सटे चार देशों पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया और हंगरी के रास्ते भारतीय विद्यार्थियों और दूसरे नागरिकों को निकालने पर काम शुरू हो गया है। इन देशों से अलग-अलग 10 भारतीय राजनयिकों की टीम यूक्रेन के लिए रवाना हो चुकी है।
हंगरी स्थित भारतीय दूतावास कर्मियों का एक दल इस उद्देश्य से यूक्रेन की सीमा से सटे जोहांवी नाम की जगह पर भेजा गया है। पोलैंड व रोमानिया की यूक्रेन से लगी सीमा पर भी भारतीय नागरिकों की सुविधा के लिए केंद्र बनाया जा रहा है। जबकि यूक्रेन की सीमा के भीतर भी दो सेवा केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं ताकि जो नागरिक इन पड़ोसी देशों के जरिये बाहर जाना चाहते हैं, उन्हें सुविधा हो।
यूक्रेन में तकरीबन 20 हजार भारतीय नागरिक और विद्यार्थी थे जिनमें से चार हजार पिछले 10 दिनों में वहां से निकल चुके हैं। उधर, केंद्र सरकार पर केरल, तमिलनाडु और बिहार जैसे राज्यों की तरफ से दबाव भी बनाया जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे को उठाया और केंद्र से कदम उठाने की अपील की। तमिलनाडु और केरल के मुख्यमंत्रियों ने विदेश मंत्री को पत्र लिखा है और यूक्रेन में फंसे अपने राज्यों के विद्यार्थियों को बचाने की अपील की है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने लिखा कि भारत सरकार को विशेष अभियान चलाकर भारतीय विद्यार्थियों को स्वदेश लाने की व्यवस्था करनी चाहिए। बिहार भवन की ओर से जानकारी दी गई कि स्थानिक आयुक्त लगातार विदेश मंत्रालय के संपर्क में हैं।