Breaking News :
>>मरचूला बस हादसे में सरकार केवल मुआवजा देकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती- कांग्रेस>>सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को बुलडोजर एक्शन पर लगाई फटकार, 25 लाख मुआवजा देने का आदेश>>मुख्यमंत्री धामी ने नई दिल्ली में ‘उत्तराखण्ड निवास’ का किया लोकार्पण>>अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर चला डोनाल्ड ट्रंप का जादू>>पीपीपी मोड़ से हटेगा रामनगर संयुक्त चिकित्सालय>> मेटा ने इंस्टाग्राम के लिए बड़ा फीचर किया जारी, अब नहीं चलेगी किशोरों की मनमानी>>दिल्ली-पिथौरागढ़ के लिए कल से शुरू होगी उड़ान, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा >>जाति आधारित भेदभाव के मामले में देश की स्थिति दुनिया में सबसे खराब – राहुल गांधी>>‘ड्यून प्रोफेसी’ का ट्रेलर जारी, तब्बू का दिखा दमदार अवतार, जानिए कब और कहां देखें सीरीज>>लोक आस्था के महापर्व छठ का दूसरा दिन आज, जानिए खरना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व >>अल्मोड़ा बस दुर्घटना – राज्य स्थापना दिवस से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम निरस्त>>आतंकवाद वर्तमान विश्व की एक बड़ी समस्या>>एम्स में अल्मोड़ा बस दुर्घटना के घायलों के उपचार में नहीं लिया जाएगा कोई चार्ज : जिलाधिकारी सविन बंसल>>सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : निजी संपत्तियों पर सरकार नहीं कर सकती कब्जा>>श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को मिली तीन और फैकल्टी>>उत्तराखण्ड में 10वीं वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एण्ड अरोग्य एक्सपो दिसम्बर माह में होगा आयोजित>>बस की चपेट में आने से चार वर्षीय बच्ची की हुई मौत >>थाईलैंड ने पर्यटन को ध्यान में रखते हुए लिया बड़ा फैसला, बढाई ‘मुफ्त वीजा प्रवेश नीति’ की तारीख>>अल्मोड़ा बस हादसा : माता-पिता को खोने वाली मासूम शिवानी की देखभाल की जिम्मेदारी उठाएगी धामी सरकार >>अल्मोड़ा सड़क हादसे के घायलों का मंत्री अग्रवाल ने जाना हाल, दिवंगतों को दी श्रद्धांजलि
उत्तराखण्ड

कोरोना पर काबू पाने को सरकार इसकी तेज रफ्तार का पीछा कर रही, लेकिन इस हफ्ते उलट नजारा दिखा, पढ़िए

कोरोना संक्रमण पर काबू पाने को सरकार इसकी तेज रफ्तार का पीछा कर रही है लेकिन उत्तराखंड में इस हफ्ते उलट नजारा दिखा। सरकार आगे और कोरोना पीछे-पीछे। दरअसल, कोरोना के निशाने पर अब आम आदमी के साथ सरकार भी आ गई है। पहले नंबर लगा शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का। एक कार्यक्रम में शरीक हुए, पता चला कि इसमें मौजूद एक युवक कोरोना पॉजिटिव था। दो दिन मंत्रीजी को क्वारंटाइन करने को लेकर स्वास्थ्य महकमा और प्रशासन असमंजस में रहा, मगर अंतत:मंत्रीजी को राहत मिल गई। शनिवार को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की पत्नी व पूर्व मंत्री अमृता रावत की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। रविवार को महाराज समेत पूरा परिवार कोरोना संक्रमण की जद में आ गया। महाराज शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में थे, जिसमें मुख्यमंत्री, मंत्री और शासन के अफसर शामिल हुए। लिहाजा अब मुख्यमंत्री, तीन मंत्री सेल्फ क्वारंटाइन हो गए, जबकि अफसरों पर फैसला होना बाकी है।

एक अनार और पांच दावेदार

कोरोना के दौर में सूबे के नए मुख्य सचिव को लेकर भी कयासों का दौर तेज है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की सेवानिवृत्ति नजदीक है। पांच नौकरशाह इस पद के दावेदार हैं। ये हैं अनूप वधावन, ओमप्रकाश, सुखबीर सिंह संधू, राधा रतूड़ी और मनीषा पंवार। इनमें ओमप्रकाश का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। अभी अपर मुख्य सचिव हैं, दावेदारी इसलिए भी पुख्ता क्योंकि राज्य गठन से ही यहां अपनी सेवाएं दे रहे। सरकार से लेकर शासन और यूं कहें तो हर तबके में पैठ रखने वाले। इस सबके बावजूद सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि मुख्य सचिव जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण पद पर सरकार केंद्र से भी किसी को भेज सकती है। मौजूदा मुख्य सचिव को भी छह महीने का एक्सटेंशन मिल सकता है। अब समीकरणों में आए इस उलटफेर ने मामला कुछ पेचीदा बना दिया। चलिए देखते हैं, ऐसे में अब किसका नंबर लगता है।

अफसर हैं या बुक मशीन

कहते हैं प्रतिभा किसी सहारे की मोहताज नहीं होती। ऐसे ही एक अफसर इन दिनों सत्ता के गलियारों में चर्चा बटोर रहे हैं। जनाब उस महकमे से ताल्लुक रखते हैं, जिस पर सरकार की ब्रांडिंग का जिम्मा है। अपने काम में कितने उस्ताद हैं, सभी वाकिफ  हैं। इनके सृजन का हुनर भी गजब का है। दरअसल, ये टी-20 अंदाज में लेखन के माहिर हैं। कोरोना महामारी के दौर में अगर किसी की दो-दो किताबों का विमोचन डेढ महीने के दौरान ही राज्य सरकार के मंत्री कर रहे हैं तो शक की कोई गुंजाइश नहीं। जब महामारी के कारण हर कोई अपने काम को तमाम एहतियात के साथ किसी तरह अंजाम देने की कोशिश कर रहा है, ये सब कुछ निबटा किताबें छापने को भी वक्त निकाल ले रहे। सुना है, अब इनकी काबिलियत की गूंज टॉप लेवल तक पहुंच गई है। बिल्कुल, हरफनमौला शख्सियत को वाजिब हक मिलना ही चाहिए।

सियासी बिसात, नहले पर दहला

विधायकों के वेतन-भत्तों में कटौती के मामले में विपक्ष कांग्रेस के नहले पर सरकार ने तड़ से दहला जड़ दिया। हुआ यूं कि सरकार ने कोरोना के मददेनजर विधायकों के वेतन भत्तों में 30 फीसद तक कटौती का फैसला किया। विधानसभा सचिवालय ने सभी विधायकों से सहमति लेने की प्रक्रिया शुरू की। कितनों ने मंजूरी दी, यह बात तो दीगर है, लेकिन महामारी के नाम पर एक नया मोर्चा जरूर खुल गया। सरकार ने कैबिनेट के जरिये इस पर मुहर लगाई तो सत्तापक्ष के विधायकों को इसे मानना ही है, लेकिन विपक्ष को मानों नया मुद्दा मिल गया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश बिफर गईं, लाजिमी भी है। उनका तर्क है कि इतने अहम मसले पर सरकार ने पहले उनसे मशविरा क्यों नहीं किया। असल वजह है सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का वह बयान कि कांग्रेस कटौती नहीं चाहती तो नेता प्रतिपक्ष लिखित में दे दें।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!