उत्तराखंड की झाँकी ‘मानसखंड’ को मिला पहला पुरस्कार, टीम लीडर के.एस. चौहान की मेहनत लाई रंग
के.एस. चौहान कर चुके हैं 13 झांकियों का नेतृत्व औऱ 5 राष्ट्रपतियों से मुलाकात
आकाश ज्ञान वाटिका, 30 जनवरी 2023, सोमवार, देहरादून। गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर शामिल उत्तराखंड की मानसखंड झाँकी को पहला पुरस्कार मिला है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली पल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊँ का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है। स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है। जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है। गणतंत्र दिवस परेड को अभी तक राजपथ के नाम से जाना जाता था, किंतु इस वर्ष उसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया है। नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की यह। पहली परेड थी, जिसमे उत्तराखंड की झाँकी मानसखंड को देश मे प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में उत्तराखंड राज्य का नाम दर्ज हो गया है।
चौहान ने किया 14 में से 13 झाँकियों का नेतृत्व
राज्य गठन से अभी तक गणतंत्र दिवस परेड में 14 झांकियो का प्रदर्शन राजपथ पर किया गया है जिसमें 13 झाँकियों का नेर्तत्व के.एस. चौहान ने किया है। झाँकी के सेलेक्शन की एक बहुत जटिल प्रक्रिया है। भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति के सम्मुख 7 बार के प्रस्तुतिकरण के बाद अंतिम चयन होता है। प्रति वर्ष औसतन केवल 14-15 प्रदेशों की ही झांकियों का चयन होता है। के.एस. चौहान टीम लीडर के साथ साथ खुद भी झाँकी में कलाकार के रूप में प्रतिभाग करते हैं और उन्हें झाँकियों का विशेषज्ञ माना जाता है। उत्तराखंड के टीम लीडर के रूप में उनको वर्ष 2005 से अभी तक 5 राष्ट्रपतियों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। टीम लीडर/संयुक्त निदेशक, सूचना कलम सिंह चौहान ने कहा माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड राज्य की झाँकी को राज्य गठन के उपरांत पहली बार देश मे प्रथम स्थान प्राप्त होना पूरे उत्तराखंड राज्य के लिए गौरव के क्षण है। मुझे बेहद खुशी है कि मुझे इस झाँकी में उत्तराखंड राज्य से टीम लीडर के रूप में अपने कर्तव्यों को निर्वाह करने का अवसर मिला।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सुझाया था झाँकी का विषय
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा प्रधानमंत्री ने हमेशा अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की बात कही है। प्रधानमन्त्री के नेतृत्व में सांस्कृतिक नवजागरण में उत्तराखंड सरकार भी काम कर रही है। मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। “मानसखण्ड” मंदिर माला मिशन के तहत चार धाम की तर्ज पर कुमाऊँ क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों को भी विकसित किया जा रहा है। भारत सरकार को भेजे गए झांकी का विषय/टाइटिल “मानसखंड” मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुझाया था। उन्होंने मंदिर माला मिशन के अंतर्गत मानसखंड के रूप में इस विषय का सुझाव दिया था।
मुख्यमंत्री धामी ने दिल्ली जाकर खुद किया था झाँकी का निरीक्षण
झाँकी निर्माण की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब दिल्ली कैंट में झाँकी का निर्माण किया जा रहा था तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झाँकी का निरीक्षण करते हुए झाँकी को उत्कृष्ट एवं राज्य की संस्कृति के अनुरुप निर्माण के लिये सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक/नोडल अधिकारी के.एस. चौहान को निर्देश दिए थे तथा झाँकी के कलाकारों से मिलकर उनको शुभकामनायें भी दी थी।
दिन-रात की जाती है कलाकारों द्वारा मेहनत
झाँकी के निर्माण तथा झांकी में सम्मिलित कलाकार दिन रात मेहनत करते है। झाँकी निर्माण का कार्य 31 दिसंबर को प्रारंभ किया गया था, जिसको सुबह 4 बजे से रात 12 बजे तक किया जाता है। साथ ही झाँकी में सम्मिलित कलाकारों को टीम लीडर के साथ कड़ाके की सर्दी में कर्तव्य पथ रिहर्सल के लिए 4 बजे जाना पड़ता है।
ऐसे होता है झाँकी का अंतिम चयन
सितंबर माह में भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों एवं मंत्रालयों से प्रस्ताव मांगे जाते हैं। अक्टूबर तक राज्य सरकारें विषय का चयन कर प्रस्ताव भारत सरकार को भेजती है। उसके बाद भारत सरकार प्रस्तुतिकरण के किये आमंत्रित करती है। पहले बार की मीटिंग में विषय के आधार चार्ट पेपर में डिजाइन तैयार कर प्रस्तुत करना होता है। आवश्यक संशोधन करते हुए तीन बैठके डिजाइन निर्माण के सन्दर्भ में होती है जिन प्रदेशों के डिजाइन कमेटी को सही नही लगते हैं उनको शार्टलिस्ट कर देती है। उसके बाद झाँकी का मॉडल बनाया जाता है। मॉडल के बाद थीम सॉंग 50 सेकंड का जो उस प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करता हो तैयार किया जाता है। इस प्रकार जब सभी स्तर से भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति संतुष्ट हो जाती है तब झाँकी का अंतिम चयन किया जाता है।
मानसखंड की झाँकी में क्या था खास जो प्रथम स्थान प्राप्त किया
गढ़वाल की चारधाम यात्रा की भाँति सरकार कुमाऊँ में मंदिर माला मिशन के अंतर्गत पर्यटन बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं इसी के दृष्टिगत प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को दिखाया गया था। उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल, देश की राष्ट्रीय पक्षी मोर जो उधमसिंह नगर में पाई जाती है, उत्तराखंड के प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल आदि, तथा उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपन कला को प्रदर्शित किया गया था। झाँकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपन कला से लिखा गया था।जागेश्वर धाम के मंदिर घनघोर देवदार के वृक्षों के बीच में है। इसलिए झांकी में मंदिर के आगे और पीछे घनघोर देवदार के वृक्षो का सीन तैयार किया गया था।
2025 तक उत्तराखंड देश का सर्वोच्च राज्य
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2025 तक उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इसी दृष्टि से गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी को देश मे प्रथम स्थान पर आना उनके विजन को दर्शाता है।
मंदिर माला मिशन से वाकिफ होंगे देश विदेश के पर्यटक, क्षेत्र में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
मानसखंड खंड की झाँकी को देश मे प्रथम स्थान प्राप्त होने से कुमाऊँ क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे क्योंकि देश विदेश के पर्यटकों को मंदिर माला मिशन की जानकारी होने से वह कुमाऊँ की ओर रुख करेंगे। इसलिए गढ़वाल मंडल के साथ अब कुऊँ मंडल में भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
झाँकी में इन कलाकारों ने निभाई थी अहम भूमिका
झाँकी में उत्तराखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य करने में पिथौरागढ़ के भीम राम के दल के 16 कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा। उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही योग भूमि भी कहा जाता है। झाँकी के ऊपर योग करते हुए बारु सिंह और अनिल सिंह ने योग करते हुए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
झाँकी का थीम सांग
झाँकी का थीम सांग “जय हो कुमाऊँ, जय हो गड़वाला” को पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध जनकवि जनार्दन उप्रेती ने लिखा था तथा उसको सौरभ मैठाणी और साथियों ने सुर दिया था। इस थीम गीत के निर्माता पहाड़ी दगड़िया, देहरादून थे।
सोशल मीडिया में करोड़ों लोगों ने देखी उत्तराखंड की झाँकी
सोशल मीडिया के माध्यम से गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झाँकी मानसखंड को देश विदेश में करोड़ो लोगों ने देखा।
क्या है मानसखंड मन्दिर माला मिशन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर श्री केदारनाथ और श्री बद्रीनाथ की भांति ही कुमाऊँ के प्रमुख पौराणिक महत्व के मंदिर क्षेत्रों में अवस्थापनात्मक विकास के लिए मानसखंड मन्दिर माला मिशन योजना पर काम किया जा रहा है। इन्हें बेहतर सड़कों से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही इस योजना के ज़रिए गढ़वाल और कुमाऊँ के बीच सड़क कनेक्टिविटी को भी सुधारा जाएगा, ताकि उत्तराखण्ड में गढ़वाल और कुमाऊँ के बीच यातायात सुगम हो। मानसखंड कॉरिडोर को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सरकार विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मानसखंड कॉरिडोर पर काम कर रही है। सरकार का प्रयास है कि विभिन्न धार्मिक सर्किटों का विकास किया जाए। उन्होंने कहा इसके तहत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आने वाले मुख्य मंदिरों को आपस में जोड़ेंगे एवं सर्किट के रूप में विकसित करके धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।
इन प्रमुख मंदिरों का होगा विकास
मुख्यमंत्री धामी के विजन के अनुसार पहले चरण में क़रीब 2 दर्जन से अधिक मंदिरों को इसमें शामिल किया गया है। इनमें जागेश्वर महादेव, चितई गोलज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर, नंदादेवी मंदिर कसारदेवी मंदिर, झांकर सैम मंदिर पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर, मोस्टमाणु मंदिर, बेरीनाग मंदिर, मलेनाथ मंदिर, थालकेदार मंदिर, बागनाथ महादेव, बैजनाथ मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर, पाताल रुद्रेश्वर गुफा, गोल्ज्यू मंदिर, निकट गोरलचौड मैदान, पूर्णागिरी मंदिर, वारही देवी मंदिर देवीधुरा, रीठा मीठा साहिब, नैनादेवी मंदिर, गर्जियादेवी मंदिर, कैंचीधाम, चैती (बाल सुंदरी) मंदिर, अटरिया देवी मंदिर व नानकमत्ता साहिब प्रमुख रूप से शामिल किए गए हैं।
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