उत्तराखंड में तीन जिलों में बेटियों की कम संख्या की होगी जांच
देहरादून, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान’ पर खास फोकस करने के निर्देश दिए। बैठक के बाद पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि लिंगानुपात में 1000 बालकों पर 938 बालिकाएं हैं। अलबत्ता, चंपावत, चमोली व नैनीताल में यह अनुपात 900 से कम है। इसे देखते हुए तीनों जिलों में इसके कारणों की जांच पड़ताल के निर्देश दिए गए हैं। देखा जाएगा कि इन जिलों में किसी क्षेत्र विशेष में यह स्थिति है या फिर अन्य कोई कारण। कहीं ऐसा तो नहीं कि क्षेत्रों में दूसरी तरह के लोग तो सक्रिय नहीं। उन्होंने कहा कि जांच में सही तस्वीर सामने आ जाएगी।
मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में लिंगानुपात को बेहतर करने की दिशा में कार्य करने को कहा। उन्होंने केंद्र पोषित योजनाओं में तेजी लाने के निर्देश दिए। साथ ही प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की दिशा में विभागीय अधिकारियों को तेजी से काम करने को कहा। अति कुपोषित व कुपोषित बच्चों को कुपोषण से मुक्ति के लिए लगातार मॉनीटरिंग के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक है वहां इसमें सुधार को तेजी से कदम उठाए जाएं। खासतौर पर हरिद्वार व उद्यमसिंहनगर और हरिद्वार पर फोकस करने को कहा गया, जहां कुपोषित बच्चों की संख्या क्रमश: आठ व छह हजार है। समीक्षा में बात सामने आई कि पर्वतीय जिलों में इस लिहाज से स्थिति बेहतर है।
मुख्यमंत्री ने नंदा गौरा कन्याधन योजना, टेक होम राशन, पोषण अभियान समेत अन्य योजनाओं की समीक्षा भी की। बाद में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने विभागीय प्रगति को संतोषजनक बताया।
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