आर्थिक बोझ तले दबा है उत्तराखंड, फिर विधायकों के वेतन में 15 और भत्तों में 30 गुना तक बढ़ोतरी, आरटीआई में खुले राज
कर्मचारियों के वेतन-भत्ते बढ़ाने पर सरकारें करती हैं कंजूसी लेकिन माननीयों को लेकर नियम बिल्कुल इससे अलग हैं।
आकाश ज्ञान वाटिका, 29 मई 2022, रविवार, देहरादून। उत्तराखंड आर्थिक बोझ तले दबा है, सरकार आय के सोत्र बढाने पर लगातार जोर दे रही है। इसको लेकर तमाम तरह की योजनायें बनाने में लगी हुई हैं। बावजूद इसके वेतन-भत्ते बढ़ाने को लेकर समय-समय कर्मचारी वर्ग आंदोलन करता रहता है। राज्य गठन से लेकर अब तक माननीयों के वेतन में 15 तो भत्तों में 30 गुना तक इजाफा हो चुका है। आमतौर पर कर्मचारियों के वेतन-भत्ते बढ़ाने पर सरकारें कंजूसी करती हैं, लेकिन माननीयों को लेकर नियम बिल्कुल इससे अलग हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को विधानसभा सचिवालय से उपलब्ध कराई सूचना में यह खुलासा हुआ है। इस सूचना के आधार पर राज्य गठन के समय विधायकों का वेतन 2000 रुपये प्रतिमाह था, जबकि वर्ष 2004 में इसें 3000 तो वर्ष 2009 में पांच हजार कर दिया। इसके बाद वर्ष 2014 में सरकार ने वेतन 10 हजार जबकि वर्ष 2017 में 30 हजार रुपये कर दिया।
इसी तरह निर्वाचन भत्ते में भी अब तक 30 गुना तक वृद्धि हो चुकी है। शुरुआत में यह भत्ता 5000 रुपये था, जो मौजूदा समय में डेढ़ लाख रुपये तक पहुँच चुका है। शुरुआती दौर में विधायकों को चालक भत्ता नहीं मिलता था लेकिन वर्ष 2014 से यह देना भी शुरू कर दिया। पूर्व में जन सेवा भत्ते के रूप में 200 रुपये मिलते थे, जो अब 2000 रुपये हो चुका है। रेलवे कूपन व डीजल-पेट्रोल भत्ते में भी भारी बढ़ोतरी की गई है। उत्तराखंड गठन के समय इसकी दर 93 हजार रुपये प्रतिवर्ष थी, जो अब 3 लाख 25 हजार रुपये है।
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