पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि : ‘हलधर’
“कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल”
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साभार: कविवर जसवीर सिंह ‘हलधर’
मो०: 9897346173
कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।
घात लगा दुश्मन ने मारा घुसा वक्ष में शूल ।।
दो कुंतल बारूद भरा था ऐसा था विस्फोट,
भारत माता के सीने पर इतनी गहरी चोट,
बोटी बोटी बिखर गए थे अस्थि कलश के फूल ।
कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।।1।।
देश की खातिर वीर हमारे गए निशानी छोड़,
थमा गए इक प्रश्न देश को जीवन बंधन तोड़,
नींद उड़ा दो अब दुश्मन की हिले पाक की मूल ।
कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।।2।।
सच्चे श्रद्धा सुमन माँगते मेरे वीर जवान,
ऐसा हो प्रहार करारा बने पाक शमशान,
शोणित नदियाँ बहे पाक में बैरी फांके धूल ।
कैसे कहूँ व्यथा वीरों शब्द नहीं अनुकूल ।।3।।
केशर घाटी सुलग रही है बीते सत्तर साल,
भारत माता ने खोये है अपने लाखों लाल,
अब बारी बदला लेने की “हलधर” करों न भूल ।
कैसे कहूँ व्यथा वीरों की शब्द नहीं अनुकूल ।।4।।
जय हिन्द ! जय जवान ![/box]
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