उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्तराखण्ड द्वारा तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय हनी-बी महोत्सव एवं संगोष्ठी रामपुर रोड अमरदीप होटल में प्रारम्भ हुई
आकाश ज्ञान वाटिका, 18 दिसम्बर 2021, शनिवार, देहरादून। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्तराखण्ड द्वारा तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय हनी-बी महोत्सव एवं संगोष्ठी रामपुर रोड अमरदीप होटल मे प्रारम्भ हुई। महोत्सव का मुख्य उददेश्य मौन पालकों के उत्पादों को उचित पहचान दिलाते हुये अन्तर्राष्टीय प्लेटफार्म उपलब्ध कराना है। महोत्सव में राज्य, प्रदेश, अन्तर्राष्टीय स्तर से प्रतिभागिता सुनिश्चित करने हेतु मौन एवं मौन उत्पादों हेतु प्रतियोगिता एवं तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें शनिवार को 15 वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों द्वारा मौन पालकों से तकनीकी एवं अनुभव साझा किये। कार्यक्रम में कार्यकारी निदेशक कृषक कल्याण मंत्रालय भारत सरकार नवीन कुमार पाटले, राष्टीय मधुमक्खी बोर्ड, सहायक आयुक्त राष्टीय मौन पालन बोर्ड डॉ० प्रथम सत्र में निदेशक उद्यान डॉ० एचएस बाजवा ने मौन पालन से शहद उत्पादन व अन्य उत्पादों के विपणन व्यवस्था पर प्रकाश डाला। कुलपति वीसीएसजी भरसार पौडी डॉ० एक कर्नाटक, डाइरेक्टर डीआरडीओ डॉ० मधुबाला ने मधुमक्खी पालन के माध्यम से आय दोगुनी करने के नये तरीके प्रस्तुत किये। ऑन लाइन के माध्यम से अमेरिका से डॉ० प्रीतम सिह ने मधु की गुणवत्ता के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण दिया। डॉ० सतीश कुमार शर्मा ने एफएसएसएआई के लाइसेंस पर चर्चा की गई। सहायक निदेशक सीबीआटीआई पुणे डॉ० लक्ष्मी राव ने छत्ते के माध्यम से मधु क्वालिटी कंट्रोल के सम्बन्ध मे चर्चा की। इसके उपरान्त सहायक आयुक्त भारत सरकार डॉ० मनोज कुमार शर्मा द्वारा मधु मधुमक्खी पालन को आय दोगुना करने के लिए महत्वपूर्ण बताया।
द्वितीय तकनीकी सत्र में संयुक्त निदेशक उद्यान डॉ० एससी तिवारी द्वारा उद्यान विभाग द्वारा मधु मधुमक्खी पालन मे किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला। निदेशक शिवालिक नेचुरल प्रोडक्ट अतर सिह, मैनेजिंग डाइरेक्टर योगेन्दर पुनिया, निर्मल कुमार वार्ष्णेय, प्रगतिशील कृषक राजेन्दर सोलंकी, निदेशक रॉयल हनी एण्ड बी फार्मिंग सोसाईटी डॉ० नितिन कुमार सिह ने मधुमक्खी पालन के सम्बन्ध में सफलता की कहानी के माध्यम से मधुपालकों के साथ अनुभव बाँटे।
सचिव कृषि एवं उद्यान डॉ० आर. मीनाक्षी सुन्दरम ने अन्तर्राष्ट्रीय हनी-बी महोत्सव में लगे हनी एवं हनी उत्पादों के स्टालों का निरीक्षण किया व मौन पालकों के दोतरफा संवाद किया। उन्होंने संगोष्ठी में सम्बोधित करते हुये कहा कि मौन पालन प्रदेश में आजीविका का प्रमुख साधन बन सकता है, इसके लिए सरकार द्वारा मौन पालन को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न योजनायें संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि बागवानी मिशन योजना के अन्तर्गत मौन वंश एवं मौन गृहों पर 40 प्रतिशत राज सहायता प्रदान की जा रही है। इसी प्रकार मधुमख्खी प्रजनन द्वारा मधुमक्खी के छत्ते के निर्माण तथा शहद निकालने वाले फर्स्ट ग्रेड कंटेनर पर भी 40 प्रतिशत की राज सहायता प्रदान की जा रही है।
डॉ० सुन्दरम ने कहा कि नवीनतम तकनीकी ज्ञान हेतु कृषक, महिलाओं को राजकीय व्यय पर राज्य के अन्दर एवं राज्य के बाहर प्रशिक्षण, भ्रमण कराया जाता है। राज्य में महत्वाकांक्षी योजना मधुग्राम संचालित की जा रही है। जिसके अन्तर्गत प्रदेश के प्रत्येक जनपद के एक न्याय पंचायत को मधुग्राम के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें जनपद के एक न्याय पंचायत मे सम्मलित ग्रामो के कृषकों को 80 प्रतिशत राज सहायता पर 500 मौनगृह, मौनवंश वितरित किये जा रहे है। इसके अतिरिक्त राज्य सेक्टर की योजना के अन्तर्गत मौनगृह, मौनवंशों के वितरण पर 40 प्रतिशत अधिकतम 800 रूपये प्रति मौनगृह, मौनवंशों तथा उद्यानों में पर-परागण हेतु रखे जाने वाले मौन वंशों पर 350 रूपये प्रति मौनवंश की दर से राज्य सहायता प्रदान की जा रही है साथ ही एक सप्ताह का नि:शुल्क प्रशिक्षण भी आयोजित किया जाता है। उन्होने कहा कि प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बढाया जायेगा साथ ही मौन पालकों को उनके क्षेत्र मे ही जाकर प्रशिक्षण दिया जायेगा।
संगोष्ठी में कृषको के साथ विचार विमर्श हेतु सत्र आयोजित किया गया जिसमे विभिन्न जनपदों से आये किसानो व मधुपालकों द्वारा अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये गये। कार्यक्रम मे 35 स्टाल मधु एवं मधु उत्पादकों के स्टाल लगाये गये, मधु उत्पाद प्रतियोगिता में लगभग 150 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। हनी उत्सव संगोष्ठी मेे उत्तराखण्ड जनपदो के साथ ही मध्यप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हिमांचल प्रदेश व अमेरिका सिगापुर एवं टर्की देशों के वैज्ञानिक गण सम्मलित हुये।
संगाष्ठी में अपर निदेशक उद्यान जगदीश, मुख्य उद्यान अधिकारी भावना जोशी, समन्वयक सुरभि पाण्डे, जिला उद्यान अधिकारी अल्मोड़ा एनके पाण्डे, कुमाऊ के समस्त उद्यान अधिकारी प्रथम दिवस हनी-बी महोत्सव संगोष्ठी में प्रदेश के लगभग 700 मौन पालकों ने प्रतिभाग किया।
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