ग्रामीणों को टीकाकरण के लिए जागरुक करने का प्रयास करते युवाओं की टीम
आकाश ज्ञान वाटिका, 8 जून 2021, मंगलवार, जोधपुर। ग्रामीण स्तर पर टीकाकरण की धीमी रफ्तार एक चुनोती बन रही है। इस चुनौती को देखते हुए कुछ गांवों के चिकित्सा कर्मचारी और कुछ जागरूक युवा इन ग्रामीणों को घर-घर जाकर टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए आगे आए हैं, जो कि स्थानीय भाषा मे लोगो से जनसंपर्क कर टीकाकरण को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने में अपना योगदान दे रहे हैं। जोधपुर संभाग के ग्रामीण इलाकों विशेषकर सिरोही जालौर पाली में शिक्षा का स्तर कम है ऐसे में जागरूकता का भी अभाव है और टीकाकरण की भ्रांतियों का भी जोर है। यही वजह है कि शहरी के अपेक्षा गावो में टीकाकरण का आंकड़ा कम है। ऐसे इन युवाओं का प्रयास ग्रामीणों ने जागरूकता लाने में मददगार साबित होगा। जहां कोरोना संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वहीं ग्रामीणों को टीकाकरण के लिए 45+ श्रेणी के तहत लाना चिकित्सा कर्मचारियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है। इसके तहत कोरोना के ग्रामीण इलाकों में बढ़ते संक्रमण के साथ साथ टीकाकरण की धीमी रफ्तार के मध्य नजर गांव वासियों को जागरूक किया जा रहा है।
जोधपुर संभाग से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रो और पाली जालोर सिरोही के ट्राइबल इलाको में वेक्सीनेशन को लेकर अवेयरनेस कार्यक्रम में इन युवाओं की महत्ती भूमिका है। जोधपुर से ऐसे युवाओं में जोधपुर के दीक्षित परिहार ने ग्रामीणों में टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा कर रहे हैं और जिन्होंने टीकाकरण नहीं करवाया है उन्हें टीकाकरण की महत्वता बता रहे है। ओसियां उपमंडल के गांवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस विकट स्थिति में टीकाकरण के लाभों के बारे में उन्हें सूचित करने के लिए घर- घर जाकर ग्रामीणों से मिल रहे हैं । दीक्षित परिहार ने डोर टू डोर पैंपलेट बाटकर लोगो को जागरूक करने का भी काम किया। कोरोना टीके को लेकर ग्रामीणों में भय व अज्ञानता का माहौल है। ग्रामीणों को लगता है कि कोरोना का टीका लगवाने से मौत या कोई अन्य जटिलता हो सकती है। इस भय को दूर करने के लिए पाली जिले के पंचायत समिति से जुड़े गांव डरी से जुड़े पीईईओ रविन्द्र सिंह के निर्देशन में भी एक कोर कमेटी का गठन किया गया है। जो कि घर घर जनसंपर्क कर टीकाकरण के लाभ को आम जन तक पहुचा रहे हैं। जिनमें पंचायत सहायकों की भी मदद कारगर साबित हुई है। पहले विद्यालय से जुड़े स्टाफ के ग्रामीणों के आवास पर जाने पर उनके साथ दुर्वव्यहार होता था। डरी की पंचायत सहायक भावना के अनुसार ग्रामीण महिलाओं को बोलचाल की स्थानीय भाषा में संवाद स्थापित कर ग्रामीणों को टीकाकरण के लिए प्रेरित किया गया, जिससे उनमें विश्वास जागृत हुआ। टीकाकरण की सफलता के लिए इन निराधार मान्यताओं का उन्मूलन बहुत महत्वपूर्ण है।
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