उत्तराखंड में नहीं थम रहा स्वाइन फ्लू का कहर, एक और महिला की मौत
देहरादून। स्वाइन फ्लू का वायरस दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है। इससे दून में एक और मरीज की मौत हो गई है। इसके बाद प्रदेश में इस बीमारी से मरने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर अब सात हो गई है।
जानकारी के अनुसार मोहकमपुर निवासी 52 वर्षीय महिला की रात मौत हो गई। महिला का उपचार पटेलनगर स्थित श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में चल रहा था। प्रदेश में स्वाइन फ्लू से जिन सात मरीजों की मौत हुई है उनमें से छह मामले अकेले श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के हैं।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि महिला की जांच रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई। महिला बीते दस जनवरी से अस्पताल में भर्ती थी। कुल मिलाकर 12 दिन में स्वाइन फ्लू से सात मरीजों की मौत हो जाने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
विभाग को अब यह नहीं सूझ रहा कि इसकी रोकथाम किस तरह की जाए। स्वाइन फ्लू से पीड़ित तीन मरीजों का अलग-अलग अस्पतालों में उपचार भी चल रहा है। विभागीय अधिकारी दावा करते नहीं थक रहे कि स्वाइन फ्लू पर नियंत्रण के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं। राज्य के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को अलर्ट पर रख गया है। सभी अस्पतालों में मरीजों के उपचार के में दवा उपलब्ध है।
स्वाइन फ्लू पर चिंता, डेथ ऑडिट कराएगा विभाग
श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में अब तक स्वाइन फ्लू से पीड़ित छह मरीजों की मौत हो चुकी है। एक ही अस्पताल में एक के बाद एक मौत को स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है। स्वाइन फ्लू के बढ़ते कहर को देखते हुए स्वास्थ्य महानिदेशालय में आपात बैठक बुलाई गई। इसमें स्वास्थ्य महानिदेशालय ने निर्देश दिए हैं कि मरीजों की मौत के वास्तविक कारणों की समीक्षा की जाए।
इस प्रकरण में चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा यह भी देखा गया है कि सात मरीजों में से पांच मरीज अन्य गंभीर बीमारियों से भी जूझ रहे थे। एक मरीज राज्य से बाहर का था। जो उपचार के लिए यहां आया। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों ने कहा कि मरीजों की मौत का असल कारण जानने के लिए उनका डेथ ऑडिट किए जाए। ताकि वास्तविक कारणों की पहचान की जा सके।
स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सभी सीएमओ को निर्देशित किया है कि जनपद स्तर पर स्वाइन फ्लू से किसी भी मरीज की मौत होती है तो उसका भी डेथ ऑडिट अवश्य किया जाए।
स्वाइन फ्लू में कारगर नहीं सामान्य मास्क
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए सामान्य मास्क कारगर नहीं है। केवल ट्रिपल लेयर और एन-95 मास्क ही वायरस से बचाव में उपयोगी है। गांधी शताब्दी के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. प्रवीण पंवार के अनुसार आमतौर पर धूल-मिट्टी से बचाव के लिए मास्क बेहतर उपाय होता है। डॉक्टर खुद भी कीटाणुओं से बचने के लिए मास्क का प्रयोग करते हैं। यदि किसी संक्रमित महामारी से बचना हो तो भी मास्क का उपयोग किया जाता है।
ट्रिपल लेयर सर्जिकल मास्क इस्तेमाल करने पर वायरस से 70 से 80 प्रतिशत तक बचाव हो सकता है, वहीं एन-95 मास्क से 90 प्रतिशत तक बचाव हो सकता है। उनका कहना है कि मास्क तभी कारगर होगा जब उसे सही तरह से पहना जाए। जब भी मास्क पहनें, तो उसे ऐसे बाधें कि मुंह और नाक पूरी तरह से ढक जाएं।
स्कूलों को अलर्ट जारी
स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी ने सभी स्कूलों को भी अलर्ट जारी किया है। सीएमओ द्वारा मुख्य शिक्षाधिकारी को इस संबंध में पत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में बच्चों की वायरस से सुरक्षा का ध्यान रखा जाए, साथ ही बच्चों को इसके प्रति जागरूक किया जाए।
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