लौह पुरुष सरदार पटेल की १४४वीं जयंती पर प्रधानमंत्री मोदी ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर जाकर दी श्रद्धांजलि
आकाश ज्ञान वाटिका। सरदार पटेल (वल्लभभाई झावेरभाई पटेल) का जन्म ३१ अक्टूबर १८७५ को नडियाद, गुजरात में एक लेवा पटेल (गुर्जर) परिवार में हुआ था। सरदार पटेल, झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके अग्रज थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारत की आजादी के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया। भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है “प्रमुख”। उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और १९४७ के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। गृहमंत्री के रूप में वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं बनाया। अंग्रेजों की सेवा करने वालों में विश्वास भरकर उन्हें राजभक्ति से देशभक्ति की ओर मोड़ा। उनका निधन १५ दिसंबर १९५० को मुंबई में हुआ। यदि सरदार पटेल कुछ वर्ष जीवित रहते तो संभवत: नौकरशाही का पूर्ण कायाकल्प हो जाता।
आकाश ज्ञान वाटिका परिवार की ओर से राट्रीय एकता एवं अखंडता के प्रणेता लौह पुरुष को, १४४वीं जयंती पर शत-शत नमन।
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के कुछ प्रेरणादायी अनमोल विचार:
- “मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।”
- “आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।”
- “शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।”
- “इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।”
भारत के प्रथम उप प्रधानमन्त्री तथा प्रथम गृहमन्त्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक स्मारक, “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” गुजरात में स्थित है। ३१ अक्टूबर २०१३ को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया था। यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से ३.२ किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है। यह स्थान गुजरात के भरुच के निकट नर्मदा जिले में स्थित है। यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, जिसकी लम्बाई १८२ मीटर (५९७ फीट) है। निर्माण कार्य का ३१ अक्टूबर २०१३ को प्रारम्भ हुआ। मूर्ति का निर्माण कार्य मध्य अक्टूबर २०१८ में समाप्त हो गया। इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ३१ अक्टूबर २०१८ को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर किया गया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती ३१ अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई जाती है। पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस २०१४ में मनाया गया था।
आज बृहस्पतिवार, ३१ अक्टूबर २०१९ को सरदार वल्लभ भाई पटेल की १४४वीं जयंती के उपलक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर जाकर सरदार वल्लभ भाई पटेल को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री जब पटेल को पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तभी भारतीय वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर से दुनिया की इस सबसे बड़ी प्रतिमा पर फूल बरसाए गए। देश भर में सरदार वल्लभ भाई पटेल की १४४वीं जयंती बड़ी ही धूमधाम से मनाई गई।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर कहा ”मैं अनुच्छेद ३७० को रद्द करने का फैसला सरदार पटेल को समर्पित करता हूं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पर हमारा फैसला जमीन पर लकीर खींचने के लिये नहीं बल्कि विश्वास की श्रृंखला बनाने के लिये है।
975 total views, 1 views today