उत्तराखंड के इतिहास में पुष्कर धामी अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने विधानसभा में स्पीकर को भी भर्ती के मामले में नियंत्रित कर एक मिसाल कायम की
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अकेले पुष्कर पर ही निशाना क्यों……..? धामी ने नई लकीर खींचकर विधानसभा में बैकडोर एंट्री पर लगवाया प्रभावी अंकुश
विचलन की तो उत्तराखण्ड में परंपरा रही है।
आकाश ज्ञान वाटिका, 27 नवम्बर 2022, रविवार, देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में तदर्थ भर्ती को विचलन से मंजूरी कोई 2022 में पहली बार नहीं दी गई। राज्य के लगभग हर मुख्यमंत्री के कार्यकाल में ये मंजूरियाँ दी गईं। ऐसा कोई हम नहीं कह रहे, बल्कि स्पीकर ऋतु खंडूड़ी की बनाई डीके कोटिया समिति की रिपोर्ट और खुद विधानसभा के हाई कोर्ट में दाखिल किए गए काउंटर में इस हकीकत का विस्तार से जिक्र किया गया है।
➲ सबसे पहली बार वर्ष 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी ने 53 पदों पर तदर्थ भर्ती को विचलन से ही मंजूरी दी।
➲ कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने तो विचलन से तदर्थ भर्ती को मंजूरी देने का रिकॉर्ड ही बना दिया। उन्होंने वर्ष 2002 में 28, वर्ष 2003 में 05, वर्ष 2004 में 18, वर्ष 2005 में 08, वर्ष 2006 में भी जाते जाते 21 पदों को मंजूरी दी।
➲ वर्ष 2007 में मुख्यमंत्री बने बी.सी. खंडूड़ी ने तो कुर्सी संभालने के महज कुछ महीने के भीतर ही 27 पदों पर तदर्थ भर्ती को मंजूरी दी। इन्हीं भर्तियों में उन्होंने अपने पर्यटन सलाहकार प्रकाश सुमन ध्यानी की बेटी, अपने खासमखास महेश्वर बहुगुणा के बेटे, अनिल नेगी की पत्नी, मेयर सुनील उनियाल गामा की पत्नी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट के साले समेत कई अपने करीबियों को विधानसभा में बेकडौर से भर्ती कराया।
➲ वर्ष 2014 में 07 और 2016 में 149 पदों पर तदर्थ भर्ती की विचलन से मंजूरी तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दी। यही परंपरा 2022 में भी जारी रही।
विचलन से मुख्यमंत्री की ओर से दी मंजूरी का अर्थ ये नहीं कि कुछ भी कर लिया जाए। भर्ती को लेकर जो भी प्रक्रिया अपनाई जाती है, वह स्पीकर के स्तर पर ही होती है। पहली बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ही स्पीकर की मनमानी को नियंत्रित किया। सख्त व्यवस्था बनाई कि पदों की मंजूरी सिर्फ एक साल के लिए दी गई, जिसे दिसंबर 2022 में ही समाप्त हो जाना था। इस तरह उत्तराखंड के इतिहास में अकेले पुष्कर धामी ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने विधानसभा में स्पीकर को भी भर्ती के मामले में नियंत्रित कर एक मिसाल कायम की।
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