उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद के लिए विधायकों की पहली पसंद बने पुष्कर धामी, आधा दर्जन विधायकों ने की सीट छोड़ने की पेशकश
साक्षी महाराज भी बोले- “धामी को ही बनाया जाए उत्तराखंड में मुख्यमंत्री”
आकाश ज्ञान वाटिका, 12 मार्च 2022, शनिवार, देहरादून। मुख्यमंत्री की रेस में पुष्कर सिंह धामी का नाम सबसे आगे चल रहा है। अब तक करीब 6 विधायक पुष्कर सिंह धामी के लिए सीट छोड़ने को तैयार हो गए हैं। इसमें चम्पावत से विधायक कैलाश गहतोड़ी, जागेश्वर से विधायक मोहन सिंह मेहरा, विधायक राम सिंह कैड़ा, सुरेश गड़िया औऱ खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार शर्मा का भी नाम शामिल है।
साक्षी महाराज का बड़ा बयान, धामी पहली पंसद
अपने बेबाक बयानों के लिए चर्चाओं में रहने वाले उन्नाव सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। शनिवार को उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ऋषिकेश रेलवे रोड स्थित अपने भगवान आश्रम में पहुँचे। पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कहा कि पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक चल रहा है। यह मैजिक अगले 50 वर्षों तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित चार राज्यों में भाजपा की बड़ी जीत इस बात का प्रमाण है।
साक्षी महाराज ने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा ने सुशासन स्थापित किया है। जिसका नतीजा यह रहा कि इस चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई मिथक टूटे हैं। सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि वह पहले ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने का दावा कर चुके थे, जो आज सच साबित हुआ है। इतना जरूर है कि उत्तराखंड में जिस चेहरे को लेकर भाजपा विजयी हुई वह चेहरा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए।
साक्षी महाराज ने अपनी व्यक्तिगत राय जाहिर करते हुए कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर वह पुष्कर सिंह धामी को ही देखना चाहते हैं, शेष निर्णय पार्टी संगठन को लेना है। उन्होंने कहा कि पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव पर किसान आंदोलन ने कोई प्रभाव नहीं डाला। उन्होंने कहा कि हम पहले ही कहते आए हैं कि यह आंदोलन किसानों का नहीं, बल्कि कुछ डिजाइनर किस्म के व्यक्तियों का है। उन्होंने कहा कहा कि जो गाजीपुर बार्डर इस कथित किसान आंदोलन का केंद्र रहा, उसके आसपास की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा ने बड़े अंतराल से जीत दर्ज की है। ऐसे में कोई भी किसान आंदोलन की सच्चाई का अंदाजा लगा सकता है।
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