राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द हरिद्वार में दिव्य सेवा प्रेम मिशन के रजत जयंती के समापन समारोह में हुए शामिल
सेवा के बीज का रोपण करने में मेरी छोटी सी भूमिका : राष्ट्रपति
“उत्तराखंड की पावन भूमि की महिमा अनंत है। प्राचीन काल से लोग यहां धर्म और अध्यात्म के लिए आते रहे हैं। हरिद्वार भगवान विष्णु और शंकर दोनों की प्राप्ति का स्थान है। पतित पावनी गंगा इसकी साक्षी व मोक्षदायिनी भी है। उत्तराखंड की इस पावन धरती की महिमा अनन्य है, प्राचीन काल से ही लोग इस पवित्र भूमि पर पहुँचकर शांति और ज्ञान प्राप्त करते थे। माँ गंगा के इस पवित्र परिक्षेत्र में आकर भारत की अतुलनीय आध्यात्मिक परंपरा को मैं बार-बार नमन करता हूँ।” : राष्ट्रपति
आकाश ज्ञान वाटिका, 27 मार्च 2022, रविवार, हरिद्वार। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द शनिवार को देहरादून पहुँचे। उनके साथ उनकी पत्नी भी आयीं हैं। वे आज रविवार को हरिद्वार में दिव्य सेवा प्रेम मिशन के रजत जयंती के समापन समारोह में शामिल हुए। शनिवार, 26 मार्च को राजभवन में राष्ट्रपति के सम्मान में रात्रि भोज दिया गया।
“इस मिशन के साथ आज 25 साल की मेरी यादें ताजा हो रही हैं। मैंने यह कल्पना नहीं की थी कि आशीष जी में सेवा की जो संकल्पना है, वह इस रूप में साकार होगी। आशीष गौतम ने प्रयागराज से 25 साल पहले हरिद्वार आकर सेवा की नींव रखी, यह आसान काम नहीं था। उन्होंने सेवा की एक मिसाल कायम की है।” : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि मुझे यहाँ आकर प्रसन्नता हो रही है। सेवा के बीज का रोपण करने में मेरी छोटी सी भूमिका रही है, वह आज वट वृक्ष बन चुका है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा सांसद बनने के बाद मेरी पहली यात्रा हरिद्वार की हुई थी। राष्ट्रपति बना तो उत्तराखंड आने पर सबसे पहली यात्रा हरिद्वार में मिशन की इस भूमि पर हुई।
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