दिल्ली हिंसा के मामले में पुलिस ने 16 लोगों को गिरफ्तार किया
दिल्ली के दरियागंज इलाके में शुक्रवार शाम को प्रदर्शन के दौरान हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं, इस दौरान प्रदर्शन में शामिल कुछ नाबालिग लड़कों के उनके मां-बाप के सामने नसीहत देते हुए छोड़ दिया है।
बता दें कि शुक्रवार शाम प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई, इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कुछ नाबालिग लड़कों समेत 16 लोगों को पकड़ा था।
नागरिकता संशोधन कानून व एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के विरोध में दिल्ली गेट के पास हिंसक प्रदर्शन में घायल सभी 45 लोगों को लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसमें 13 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, जो पत्थरबाजी में जख्मी हुए हैं। जबकि, 33 प्रदर्शनकारी बताए जा रहे हैं।
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक प्रदर्शन के दौरान लोकनायक व जीबी पंत अस्पताल के सभी गेट बंद कर दिए गए थे। इस वजह से इमरजेंसी में भी मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा था। इससे गंभीर मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा। स्थिति सामान्य होने के बाद लोकनायक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का गेट खोला गया, इसके बाद प्रदर्शन में घायल लोगों का अस्पताल पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ। अस्पताल प्रशासन के अनुसार रात आठ बजे तक जो लोग अस्पताल पहुंचे थे। उसमें दो की हालत गंभीर है, इसमें एक व्यक्ति के पैर में फैक्चर हो गया है।
ओपीडी में कम पहुंच रहे हैं मरीज : प्रदर्शन के कारण लगातार दो दिन दिल्ली गेट मेट्रो स्टेशन दिन में बंद रहा। यह मेट्रो स्टेशन लोकनायक व जीबी पंत अस्पताल के नजदीक है। अस्पताल के डॉक्टर कहते हैं कि दो दिन से ओपीडी में भी मरीजों की संख्या कम हो गई है। वहीं जीबी पंत अस्पताल के नर्सिंग यूनियन के पदाधिकारी लीलाधर रामचंदानी ने कहा कि प्रदर्शन के कारण कर्मचारियों का सुरक्षित अस्पताल पहुंचना मुश्किल हो गया है। नर्सों व कर्मचारियों को आवागमन में परेशानी हो रही है। कर्मचारियों ने अस्पताल के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी किए जाने की मांग की है, ताकि स्टाफ सुरक्षित अस्पताल पहुंच सके।
प्रदर्शनकारियों ने कार फूंकी, पथराव, 45 घायल
इससे पहले नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली गेट पर किया जा रहा प्रदर्शन शुक्रवार शाम होते-होते हिंसक हो गया। शाम चार बजे नमाज के बाद सकारात्मक भूमिका निभाते हुए दिल्ली गेट स्थित नबी बख्श मस्जिद से शांति की अपील कर लोगों से प्रदर्शन खत्म करके घर जाने को कहा गया।
साढ़े पांच बजे तक ज्यादातर लोग घटना स्थल से जा भी चुके थे। लेकिन शाम छह बजे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और दरियागंज थाने के सामने खड़ी पुलिस की एक कार में आग लगा दी। इस दौरान कुछ मोटरसाइकिल को भी क्षतिग्रस्त किया गया। इसके जवाब में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन से पानी की बौछार कर खदेड़ा, लेकिन पथराव होने लाठीचार्ज करना पड़ा। इस बीच 45 लोग जख्मी हो गए। इसमें ज्वाइंट सीपी राजेश खुराना सहित 13 पुलिस कर्मी शामिल हैं। सभी को लोक नायक अस्पताल में भर्ती कराया गया। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मंजीत सिंह रंधावा ने बताया कि पुलिस ने इस घटना में 40 आरोपितों को हिरासत में लिया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। बताया जा रहा है कि सभी आरोपित यमुनापार के रहने वाले हैं। उन्होंने भीड़ का हिस्सा बन कर शांत माहौल को बिगाड़ा।
शुक्रवार को मुस्लिम संगठनों ने दोपहर की नमाज के बाद जामा मस्जिद इलाके से जंतर-मंतर तक मार्च किए जाने का आह्वान किया था। इसके तहत दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क थी। प्रदर्शन को देखते हुए पूरे दिन इलाके में धारा 144 लगाई गई थी। जामा मस्जिद इलाके में जहां भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। वहीं, मार्च जंतर-मंतर तक न पहुंचे इसके लिए दिल्ली गेट पर बैरिके¨डग कर दी गई थी। जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू होते ही नेताजी सुभाष मार्ग स्थित सभी दुकानों, होटलों को बंद कर दिया गया था। देखते देखते ही पूरा इलाके में प्रदर्शन शुरू हो गया था। दोपहर करीब 1.30 बजे प्रदर्शनकारी जामा मस्जिद से जंतर-मंतर के लिए रवाना हुए। लेकिन पुलिस ने सर्तकता बरते हुए उन्हें दिल्ली गेट पर रोक लिया।
यहां पर जमे हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी हाथों में तिरंगा झंडा लिए नागरिकता संशोधन कानून वापस लो, तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगा रहे थे। उन्होंने रिजेक्ट सीएए और एनआरसी, जान देने को तैयार, लेकिन नहीं लागू होने देंगे कानून इत्यादि लिखे नारों की तख्तियां ले रखी थीं। दोपहर बाद तक प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था। लेकिन शाम को हिंसा भड़क गई। देर रात तक सड़कों पर स्थिति असामान्य थी। इस बीच पथराव, आगजनी भी की गई। इसके चलते माहौल आसामान्य हो गया था।
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