प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिनों के लॉक-डाउन का किया एलान
ये समय हमारे संकल्पों को बार-बार मजबूत करने, संयंम बरतने का है। हमें याद रखना होगा कि जान है तो जहान है। ये धैर्य और अनुशासन की घड़ी है। हमें इस लॉकडाउन के दौरान अपना वचन निभाना होगा।………प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
आकाश ज्ञान वाटिका। २५ मार्च, २०२०, बुधवार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिनों के लॉकडाउन का एलान कर वैश्विक महामारी बने कोरोना वायरस से लड़ने की अंतिम लड़ाई का भी एलान कर दिया है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी सहभागिता देश की जनता की है जो इसको सफल या असफल बना सकती है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत में इसके मरीजों की संख्या 500 हो गई है। लिहाजा ये संख्या और न बढ़े, ये काफी कुछ हम पर निर्भर करता है। बहरहाल, इन 21 दिनों तक चलने वाली जंग में देश और देशवासियों के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, जिनसे उन्हें दो-चार होगा।
[box type=”shadow” ]
- संयंम और संकल्प: हम सभी को संयंम बरतना होगा कि चाहे कुछ भी हो जाए हम अपने घर की लक्ष्मण रेखा को ना लांघे। हमें ये भी सुनिश्चित करना होगा कि हम ऐसा करके अपनी, अपने परिवार की और दूसरों की जान को जोखिम में ना डालें। साथ ही हमें ये भी संकल्प लेना होगा कि हम अपने संयंम को बनाए रखें और खुद पर विश्वास कम न होने दें।
- पीएम मोदी ने अपने संबोधन में साफ कर दिया है कि इन 21 दिनों में यदि हम सफल हुए तो खुद को अपने परिवार को और अपने समाज को बचा लेंगे और यदि असफल रहे तो कई परिवारों को खो भी देंगे।
- सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वो इन 21 दिनों के दौरान जरूरी सेवाओं और चीजों की आपूर्ति को प्रभावित न होने दें। लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या ये है कि सरकार ने लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने की भी हिदायत दी है। साथ ही ये भी कहा है कि ये जनता कर्फ्यू से भी ज्यादा कड़ा होगा। ऐसे में पुलिस और प्रशासन लोगों को उनकी जरूरी चीजों को लेने के लिए घरों से बाहर निकलने की इजाजत देगा भी या नहीं। यदि नहीं तो ऐसे में लोगों के मन में भय और आशंकाएं पनप सकती हैं जो रोष की वजह बन सकती हैं। सरकार के सामने चुनौती है कि वह ऐसा न होने दे और अपना विश्वास जनता पर बनाए रखे।
- सरकार को इस बात का अंदाजा है कि भारत में छाई ये वैश्विक महामारी का देश की अर्थव्यवस्था पर कितना बुरा प्रभाव होने वाला है। इसका प्रभाव शुरू भी हो चुका है। समय के साथ इसकी भरपाई करना और अपने को मजबूत अर्थव्यवस्था बनाए रखना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है।
- पीएम मोदी ने उन लोगों पर चिंता जताई है जिनका काम रोज कमाना और खाना होता है। 21 दिनों के लॉकडाउन में ये हर किसी नागरिक का कर्तव्य बनता है कि यदि वो किसी भी ऐसे व्यक्ति को देखे तो उसको कुछ नहीं तो भरपेट खाना जरूर मुहैया करवाए। साथ ही देश की सभी राज्य सरकारें ऐसे लोगों को निशुल्क खाना मुहैया करवाएं।
- देश को दिए अपने संबोधन में पीएम मोदी ने बताया कि कैसे इस वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया और कितनी तेजी से इसके मरीजों की संख्या एक से बढ़कर तीन लाख को भी पार कर गई। ऐसे में सरकार के सामने चुनौती है कि भारत इस महामारी को अपने यहां पर बढ़ने से रोक दे जिससे मानवजाति पर आया ये संकट खत्म हो सके।
- सरकार के सामने ये भी चुनौती है कि वो इन 21 दिनों के दौरान जितनी जल्दी हो सके स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करे। हालांकि पीएम मोदी ने इसके लिए राज्यों को निर्देश देने की बात अपने संबोधन में कही है साथ ही उन्होंने पैकेज की भी बात कही है।
- देशवासियों को इन 21 दिनों के दौरान न सिर्फ अपने घरों में रहना है बल्कि अपने बच्चों की पढ़ाई पर भी पहले की ही तरह ध्यान देना है। ये वैश्विक संकट ऐसे समय में भारत में आया है जब लाखों छात्रों के बोर्ड एग्जाम चल रहे थे। लेकिन इनको बीच में ही रोक देना पड़ा है। लेकिन इसके बाद भी बच्चों को आने वाले दिनों के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी उनके मां-बाप की है। साथ ही उन बच्चों को घर में पूरा समय देने की भी जिम्मेदारी और चुनौती है जो स्कूलों में अपनी इस बार पहली शुरूआत करने वाले थे। इन सभी के बीच पूरे परिवार को एकजुट होकर अपने यहां मौजूद बुजुर्गों पर खास ध्यान देना होगा।
- देशवासियों को इस दौरान फैलने वाली अफवाहों को न सिर्फ नजरअंदाज करना होगा बल्कि दूसरों को भी इनके प्रति जागरुक करना होगा। ये अफवाहें देश में दहशत का माहौल बना सकती हैं।
- हम सभी को ये ध्यान रखना होगा कि हमारी एक लापरवाही हमें, हमारे परिवार और पूरे समाज को इस जानलेवा बीमारी की चपेट में ला सकती है।
- हर किसी को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि यदि आपके आस-पास कोई भी ऐसा व्यक्ति नजर आए जो इसके लक्षणों से ग्रसित दिखाई दे तो उसकी जानकारी हैल्पलाइन नंबर पर जरूर दें साथ ही उस परिवार को भी सलाह दें कि वे उक्त व्यक्ति को डॉक्टर के पास लेकर जाएं। लेकिन ध्यान रखना होगा कि ऐसा करते हुए आपके हाव-भाव उसकी मदद के हों।
- पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा है यदि इन 21 दिनों के दौरान हम इस वैश्विक महामारी को रोकने में सफल नहीं हुए तो ये भारत में कितना विकराल रूप ले लेगी इसकाअंदाजा लगा पाना भी हमारे लिए मुश्किल होगा।
- पीएम मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग को इससे बचाव का सबसे सुलभ उपाय बताया है। उन्होंने ये बात सिर्फ अपने तजुर्बे से ही नहीं कही है बल्कि ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है। लिहाजा अपनों की खातिर और समाज की रक्षा के लिए इसको बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी बनती है।
- हमें लोगों के दिमाग में फैले उस मिथक को भी तोड़ना होगा जिसमें वो सोचते हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग केवल इस बीमारी की चपेट में आए मरीजों तक ही सीमित है। साथ ही लोगों के दिमाग में व्याप्त उस गलतफहमी को भी दूर करना होगा कि वो इस महामारी की चपेट में नहीं आ सकते हैं। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ये चेतावनी दे चुका है कि इससे जहां बुजुर्गों को अधिक खतरा है वहीं युवा भी इससे बचे नहीं रह सकते हैं। इसलिए सभी एहतियात बरतें।
- हमारे आज के एक्शन तय करेंगे कि इस आपदा के प्रभाव को हम कितना कम कर सकते हैं। इसलिए चुनौतियों से निपटने के लिए हर पल तैयार रहें।
- ये समय हमारे संकल्पों को बार-बार मजबूत करने, संयंम बरतने का है। हमें याद रखना होगा कि जान है तो जहान है। ये धैर्य और अनुशासन की घड़ी है। हमें इस लॉकडाउन के दौरान अपना वचन निभाना होगा।
- हमें इन 21 दिनों में इस बात को भी ध्यान रखना होगा कि जो लोग इस वैश्विक महामारी से लड़ रहे हैं उनके मार्ग को हम बाधित न करें। उनका और उनके द्वारा बताई गई हर बात का हम सम्मान करें। हम सभी के सामने इस वक्त चुनौती है कि लापरवाह न बनें और समाज और देश को स्वस्थ्य रखने में अपना भरपूर योगदान दें। साथ ही हर देशवासी के बेहतर स्वास्थ की कामना करें।
- इन 21 दिनों के दौरान हमारे सामने सरकार के सामने कई तरह की समस्याएं आएंगी। लेकिन इनसे घबराना नहीं है, संयंम और संकल्प के साथ हम सभी को आगे बढ़ना होगा और दूसरों की मदद को भी हाथ बढ़ाना होगा। आपको ध्यान रखना होगा विश्व स्वास्थ्य संगठन और दुनिया के कई देश भारत की तरफ बड़ी उम्मीद लगाए हुए हैं। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा है कि यदि भारत इस पर काबू पा सका तो इसकी रोकथाम करनी आसान होगी। ऐसे में उस विश्वास को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी बनती है।
- इन 21 दिनों के दौरान सरकार को देश के कई छोटे बड़े शहरों, कस्बों में इस बीमारी की जांच के लिए जरूरी सुविधा मुहैया करवानी होगी। ये सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि अभी तक इस वायरस के हवा में फैलने की जानकारी की पुष्टि नहीं हो सकी है। डब्ल्यूएचओ ने भी वर्तमान में इससे इनकार ही किया है। लेकिन जिस तरह से ये विकराल रूप ले रहा है और भारत में इसकी थर्ड स्टेज शुरू होने की बात कुछ समय पहले तक की जा रही थी, तो ऐसे में हमारी लापरवाही इसको और भयंकर रूप दे सकती है। ध्यान रहे ये खतरा भी बड़ा है और इससे निपटने की चुनौतियां भी बड़ी ही होंगी।[/box]
190 total views, 1 views today