दो से अधिक संतान वालों पर प्रतिबंध के नए एक्ट से होंगे पंचायत चुनाव
देहरादून, प्रदेश में पंचायत चुनाव में अब नए पंचायती राज संशोधित एक्ट के लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। राजभवन ने पंचायती राज एक्ट में संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। वहीं इसके विरोध में कांग्रेस अदालत में जाने की तैयारी कर रही है।
नए एक्ट के सिलसिले में पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडे ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात की। राज्यपाल की मुहर लगने के बाद पंचायती राज संशोधन विधेयक के नया एक्ट बनना तय हो गया है। इसके साथ ही ये भी तय हो गया है कि प्रदेश में जल्द होने जा रहे पंचायत चुनाव नए एक्ट के मुताबिक ही होंगे।
हालांकि पंचायत राज संशोधन विधेयक का कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। इसकी वजह त्रिस्तरीय पंचायतों के मुखिया की कुर्सी का ख्वाब संजो रहे उन लोगों को झटका लगना है, जिनकी दो से अधिक संतान हैं। अब सिर्फ वे लोग ही पंचायत चुनाव लड़ पाएंगे, जिनके अधिकतम दो ही बच्चे हैं।
पंचायती राज संशोधन विधेयक से उस छूट को हटा दिया है, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी की दो से अधिक संतान हैं और इनमें से एक का जन्म दो बच्चों के प्रावधान के लागू होने के 300 दिन के बाद हुआ हो, वह चुनाव लड़ सकेगा। चुनाव जीतने के बाद यदि किसी प्रतिनिधि की तीसरी संतान होती है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
पंचायत प्रतिनिधियों के लिए शैक्षिक योग्यता का निर्धारण भी किया गया है। त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र व जिला) के चुनाव में भी दो बच्चों के प्रावधान और शैक्षिक योग्यता के मानक को लागू करने के मद्देनजर सरकार ने बीते माह जून में विधानसभा सत्र में उक्त विधेयक पारित किया था।
करीब एक माह बाद उक्त विधेयक को राजभवन की मंजूरी मिल गई। पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडे ने पूर्व सांसद बलराज पासी के साथ राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य का उक्त विधेयक को मंजूरी देने के लिए आभार व्यक्त किया।
मीडिया से बातचीत में पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि उक्त विधेयक मौजूदा वक्त की जरूरत है। अब ई-पंचायतों पर जोर दिया जा रहा है। तकनीकी की पहुंच ग्राम पंचायतों तक हो रही है। ऐसे में त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का साक्षर होना जरूरी है। उत्तराखंड में साक्षरता दर अच्छी है। लिहाजा इस व्यवस्था से किसी को परेशानी नहीं होगी। साथ ही निकायों की तर्ज पर पंचायतों में भी जनप्रतिनिधियों के लिए परिवार नियोजन पर जोर दिया गया है।
नए पंचायती राज कानून को अदालत में चुनौती देगी कांग्रेस
पंचायती राज के नए कानून से कांग्रेस खफा है। मुख्य प्रतिपक्षी पार्टी ने इस कानून को लेकर सरकार की नीति और नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि नए कानून में तीन बच्चे वाले लोगों को चुनाव लड़ने से रोका गया है। यह व्यवस्था भविष्य से लागू की जानी चाहिए थी। कांग्रेस नए एक्ट का कानूनी परीक्षण कराएगी। जरूरत पड़ी तो इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी।
पंचायत राज एक्ट संशोधन विधेयक में शामिल किए गए प्रावधानों पर कांग्रेस आपत्ति जताती रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि अमूमन नए कानून को भविष्य के लिए लागू किया जाता है, लेकिन भाजपा सरकार इसे जबरन लागू करने पर आमादा है। नए कानून को और व्यावहारिक बनाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कांग्रेस नए एक्ट का कानूनी परीक्षण कराएगी। इस एक्ट के खिलाफ जो भी संस्था अदालत का दरवाजा खटखटाएगी, पार्टी उसे भी सहयोगी करेगी। किसी ने पहल नहीं की तो कांग्रेस खुद अदालत में इसे चुनौती देने पर विचार करेगी।
उधर, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष और पंचायत जनाधिकार मंच के संस्थापक व संयोजक जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि पंचायतीराज संशोधन विधेयक पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए राज्यपाल से मुलाकात के लिए तीन बार समय मांगा गया, लेकिन उन्हें अपनी बात कहने का मौका नहीं मिल सका। नए एक्ट के खिलाफ न्यायालय में जाने का विकल्प खुला है। पूरी उम्मीद है कि न्यायालय से हमें न्याय मिलेगा।
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