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मैक्स अस्पताल, देहरादून के डॉक्टरों ने रचा इतिहास : ‘कोरोनरी शॉकवेव लिथोट्रिप्सी’ तकनीक से ईलाज कर मरीज को दिया नया जीवनदान

आकाश ज्ञान वाटिका, शुक्रवार, 28 अगस्त 2020, देहरादून। चिकित्सा के क्षेत्र श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, देहरादून अनेकों बार जटिल से जटिल बिमारियों का नयी-नयी आधुनिक तकनीकों के माध्यम से ईलाज कर कई लोगों को नया जीवनदान कर, उनकी परिवार की खुशियों को लौटने में कामयाब हुआ है। यह सब संभव हो रहा है यहाँ के उच्च शिक्षित (highly qualified) एवं जन-स्वास्थ्य के प्रति समर्पित (dedicated) चिकित्सकों, मेडिकल स्टाफ एवं कुशल प्रबन्धन की बदौलत।
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आज शुक्रवार, 28 अगस्त 2020 को मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, देहरादून के चिकित्सकों ने पहली बार गंभीर रूप से 67 वर्षीय मरीज की अवरुद्ध हुई धमनी को खोलने के लिए अस्पताल की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ० प्रीति शर्मा व प्रिंसिपल कंसलटेंट डॉ० पुनीश सडाना, ने “कोरोनरी शॉकवेव लिथोट्रिप्सी” (Coronary Shockwave Lithotripsy) तकनीक का उपयोग कर एंजियोप्लास्टी की और 67 वर्षीय मरीज, हाल ही में दिल का दौरा पड़ा था, को नया जीवनदान दिया।
मरीज की आर्टरीज में कैल्शियम की मात्रा काफी ज्यादा थी और वह भी बाहर ही नहीं बल्कि अंदर तक था। इस पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, देहरादून की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ० प्रीति शर्मा के अनुसार “एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग के विफल होने पर एक और विकल्प यह होता है कि अत्यंत उच्च दबाव वाले बैलून का उपयोग करके एंजियोप्लास्टी की मदद से कैल्शियम को हटाया जाय लेकिन अधिक कैल्शियम जमा होने के कारण डॉक्टरों को इस बात का डर था कि यह तकनीक या तो काम नहीं करेगी या इसके कारण धमनी के फटने या परफोरेशन जैसी जटिलतायें हो सकती है। रोटाब्लैटर के जरिए भी अधिक कैल्शियम वाली आर्टरीज की एंजियोप्लास्टी मैक्स हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक की जाती है, परंतु आज के इस केस में कैल्शियम की मात्रा बहुत थी और कैल्शियम केवल उपर नहीं था बल्कि अंदर तक था तो यह अच्छा विकल्प नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग करने के दौरान ऐसा 20-25 प्रतिशत रोगियों में होता है। ऐसा खास कर उन रोगियों में होता है जो विशेष रूप से जो क्रोनिक मधुमेह या गुर्दे की बीमारी से ग्रस्त हैं, जिन्हें लंबे समय से धमनी में रुकावट हो या जिनकी पहले बाई पास सर्जरी हो चुकी हो।
डॉक्टरों द्वारा इसके उपरान्त एक बिल्कुल नई तकनीक “शॉकवेव बैलून तकनीक, शॉकवेव इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी (आईवीएल)” का उपयोग करने का फैसलालिया गया। “अल्ट्रा हाई प्रेशर बैलून” या “रोटेटरी ड्रिल” जैसी तकनीक अधिक ब्लॉकेज के लिए उपयोग की जाने वाली पिछली तकनीकों की तुलना में अधिक कारगर, सुरक्षित एवं कामयाब है। शॉकवेव लीथोट्रिप्सी ट्रीटमेंट 20-25 फीसदी उन मरीजों में काम आता है जो खासतौर पर अधिक उम्र, डायबिटीज, कोरोनरी किडनी डिजीज से पीड़ित होते हैं। इसमें इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी (IVL) सिस्टम, कम दबाव वाले गुब्बारा मुद्रास्फीति(Balloon Inflation) के दौरान विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देता है हालांकि, अल्ट्रा-हाई-प्रेशर बैलून और रोटेटरी ड्रिल जैसी तकनीकों का इस्तेमाल आज भी कुछ मामलों में किया जाता है लेकिन इनके इस्तेमाल में भारी खतरा भी हो सकता है। जिसमें रक्त वाहिकाओं के फटने या कटने का खतरा रहता है, जिससे मरीज की जान तक भी जा सकती है।[/box]

इस तकनीकी से आज किये गए ईलाज के बारे में डॉ० प्रीति शर्मा आगे यह बताती हैं कि, “मरीज के दिल की धमनी के अंदर बैलून डाला गया और ब्लॉकेज में कैल्शियम को तोड़ने के लिए सोनिक तरंगें (Sonic waves) प्रवाहित की गई। इस प्रक्रिया से कैल्शियम का जमाव कमजोर हो गया और कैल्शियम टूट गया, जिससे बैलून को फैलने का मौका मिला और स्टेंट को स्थापित करना आसान और सुरक्षित हो गया। इसके बाद रुकावट आसानी से कम दबाव में खुल गई और बाद में स्टेंट इम्प्लांटेशन ने इसे बेहद सफल प्रक्रिया बना दिया।”

यह तकनीक भारत में हाल में ही लांच हुई है। यह तकनीक न केवल कैल्शियम के बडे जमाव को हटाती है बल्कि कोरोनरी धमनियों में जटिल घावों का प्रबंधन करने में मदद करती है। यह तकनीक उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) की गंभीर अवस्था से पीड़ित हैं और जिनमें कैल्शियम के जमाव के बहुत अधिक कड़ा हो जाने के कारण ‘एनजाइना या दिल का दौरा’ पड़ने का खतरा है। इस तकनीक की मदद से गंभीर जटिलताओं के बिना, चुनौतीपूर्ण कैल्सी कृत जख्मों को भी ठीक किया जा सकता है जो पारंपरिक उपकरणों से संभव नहीं है। मरीज को तीसरे दिन ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था और अब वह पूरी तरह से ठीक है।

[box type=”shadow” ]“मैक्स अस्पताल, देहरादून कोरोना वायरस संक्रमण की इस महामारी के दौरान भी सभी आपात स्थितियों और मेडिकल एवं क्लीनिकल मामलों के इलाज के लिए सबसे आगे रहा है। हमारी टीम यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण गैर कोविड मरीजों के उपचार में कोई बाधा न आए। देशव्यापी लॉकडाउन के बीच, मैक्स अस्पताल, देहरादून बिना थके हमेशा की तरह अपने समर्थन, सेवाओं और कार्यों का विस्तार से संचालन कर रहा है।” : डॉ० संदीप सिंह तंवर, वाइस प्रेसिडेंट एवं यूनिट हेड[/box]

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Ghanshyam Chandra Joshi

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