धामी मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में लिया जायेगा ‘टो इरोजन’ रोकने सम्बन्धी महत्वपूर्ण निर्णय
आकाश ज्ञान वाटिका, 13 जनवरी, 2023, शुक्रवार, देहरादून। भू-धसाव से अस्तित्व संकट का सामना कर रहे जोशीमठ को बचाने और स्थानीय नागरिकों के पुनर्वास को सरकार ने रणनीतिक कदम उठाने की तैयारी कर ली है। भू-धसाव के लिए अब तक बड़े कारण के रूप में अलकनंदा नदी से जोशीमठ की तलहटी में हो रहे कटाव (टो इरोजन) को आंका गया है। धामी मंत्रिमंडल की शुक्रवार को होने वाली बैठक में टो इरोजन रोकने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा।
साथ में क्षेत्र में असुरक्षित हो गए भवनों के निवासियों के अस्थायी एवं स्थायी पुनर्वास के साथ ही उन्हें तत्काल राहत के रूप में मुआवजा देने के प्रस्ताव पर भी मंत्रिमंडल की मुहर लगेगी। केंद्र को भेजे जाने वाले लगभग एक हजार करोड़ के राहत पैकेज को भी स्वीकृति दी जाएगी।
राज्य सरकार के साथ ही केंद्रीय संस्थानों के स्तर से भू-धसाव के कारणों की की जा रही है पड़ताल
जोशीमठ में बीती 02 जनवरी 2023 से भू-धसाव की विकट स्थिति सामने आने के बाद राज्य सरकार की मशीनरी और केंद्रीय एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं। शहर और शहरवासियों की सुरक्षा को विभिन्न स्तर पर फौरी कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है।
राज्य सरकार के साथ ही केंद्रीय संस्थानों के स्तर से भू-धसाव के कारणों की पड़ताल भी की जा रही है। अभी तक प्रारंभिक तौर पर जो भी निष्कर्ष सामने आए हैं, उन पर अब मंत्रिमंडल की मुहर लगेगी। आपदा प्रबंधन सचिव डा रंजीत सिन्हा ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में बताया कि जोशीमठ की सुरक्षा और पुनर्वास को लेकर शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में अहम निर्णय लिए जाएंगे।
पुनर्वास के लिए चिह्नित किए जा रहे स्थलों का भी भूगर्भीय सर्वेक्षण होगा। जोशीमठ में ड्रेनेज संबंधित कार्यों और टो-इरोजन की रोकथाम को ईपीसी मोड में तत्काल कार्य प्रारंभ करने को सिंचाई विभाग से प्रस्ताव प्राप्त हो गया है। इसमें प्रस्तावित एकल स्रोत की संस्था नामित करने को पत्रावली वित्त को भेजी गई है।
वाडिया हिमालय भू-वैज्ञानिक संस्थान क्षेत्र का भूकंपीय दृष्टि से अध्ययन कर रहा है : सचिव आपदा प्रबंधन
सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि जोशीमठ में भूमि धसने के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर अलग-अलग जांच की जा रही हैं। आइआइटी रुड़की भू-तकनीकी अध्ययन कर रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग (आइआइआरएस) लैंड मूवमेंट के सेटेलाइट फोटो उपलब्ध कराए जाएंगे। जीएसआइ प्रभावित क्षेत्र का भूमि सर्वेक्षण एवं पुनर्वास के लिए चयनित भूमि का भूगर्भीय अध्ययन किया जा रहा है। वाडिया हिमालय भू-वैज्ञानिक संस्थान क्षेत्र का भूकंपीय दृष्टि से अध्ययन कर रहा है। तीन भूकंपीय स्टेशन लगाए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त भूमिगत उप सतही सर्वेक्षण के भू-भौतिकीय अन्वेषण शुरू किया गया है।
एनजीआरआइ प्रभावित क्षेत्र का भू-भौतिकीय अध्ययन कर रहा है : सचिव आपदा प्रबंधन
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ० सिन्हा ने बताया कि राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआइ) प्रभावित क्षेत्र का भू-भौतिकीय अध्ययन कर रहा है। इसका हाइड्रोलाजिकल मैप भी उपलब्ध कराया जाएगा। एनजीआरआइ की टीम शुक्रवार को जोशीमठ पहुंच रही है। यह भूमिगत जल चैनल का अध्ययन करेगी। जोखिम मूल्यांकन को सीबीआरआइ, वाडिया इंस्टीट्यूट, जीएसआइ, आइआइआरएस व एनजीआरआइ की समिति गठित की गई है। उन्होंने बताया कि भवनों में धंसाव से क्षति के आकलन को सीबीआरआइ के साथ लोक निर्माण विभाग के 30 अभियंताओं की टीम भी लगाई है।
सीबीआरआइ ध्वस्तीकरण से नुकसान का आकलन, ध्वस्त किए जाने वाले आवासों की निगरानी और अस्थायी पुनर्वास को प्री फैब हट की डिजायन तैयार किया जा रहा है। सीबीआरआइ की टीम जोशीमठ पहुंचकर क्षतिग्रस्त भवनों के सर्वेक्षण में जुट गई है।
जोशीमठ में प्रारंभ में जल रिसाव 540 एलपीएम था जो अब घटकर 240 एलपीएम हो गया है : डॉ० सिन्हा
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ० सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में प्रारंभ में जल रिसाव 540 एलपीएम था। यह अब घटकर 240 एलपीएम हो गया है। धंसाव से प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी संभावित खतरे को देखते हुए सेना, आइटीबीपी के हेलीकाप्टर तैनात किए गए हैं। NDRF की दो टीम तैनात हैं, जबकि जोशीमठ के लिए और एक टुकड़ी रवाना की जा रही है। जोशीमठ में एसडीआरएफ की आठ टुकडिय़ां तैनात की गई हैं।
प्रभावितों को प्रति परिवार 5 हजार रुपये घरेलू राहत सामग्री के लिए दिए गए हैं। अभी तक कुल 73 प्रभावितों को यह राशि दी गई है। अधिक या पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों के लिए 10 प्रभावितों को 13 लाख रुपये, 4 हजार रुपये प्रति परिवार की दर से तीन परिवारों को 12 हजार रुपये वितरित किए गए हैं।
आपदा प्रबंधन सचिव के अनुसार भूधंसाव प्रभावित क्षेत्रों के विस्थापित परिवारों की संख्या बढ़कर 169 हो गई है। इनकी कुल सदस्य संख्या 589 है। अस्थायी शिविर के लिए जोशीमठ में चयनित 344 कक्षों में 1425 व्यक्तियों के ठहरने की व्यवस्था है। पीपलकोटी में 491 कक्षों में 2205 व्यक्ति ठहर सकेंगे। चार वार्डों गांधीनगर वार्ड संख्या-1, सिंहधार वार्ड संख्या-4, मनोहर बाग वार्ड संख्या-5 और सुनील वार्ड संख्या-7 और उनके 128 भवन असुरक्षित घोषित किए गए हैं।
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