पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी ही पार्टी पर साधा निशाना, पढ़ें पूरी खबर
आकाश ज्ञान वाटिका, 28 मार्च 2022, सोमवार, देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे हरीश रावत ने भाजपा के साथ ही बगैर नाम लिए कांग्रेस के एक नेता पर भी उनकी छवि धूमिल करने के प्रयास का आरोप लगाया है। हरीश रावत ने कहा कि ये नेता उनके साथ ही हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से उनकी बेटी को भी चुनाव में पराजित करने के प्रयास में लगे थे।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उन्हें ऐसे भाजपाई और कांग्रेस नेता का भंडाफोड़ करना है। पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन पर लगाए जा रहे आरोपों पर प्रमाणिक तौर पर तथ्य सामने आने पर वह राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने इंटरनेट मीडिया में एक पोस्ट में कहा कि चुनाव हारने के बाद इंटरनेट मीडिया में उन पर लगातार हमले किए जा रहे हैं।
भाजपाई और कांग्रेस के एक नेता से जुड़े समर्थक लगातार उन पर निशाना साध रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि यह हरीश रावत को गिराकर मारने का सही मौका है। वह राजधानी से 241 किमीo दूर एक अनचाही जंग में फंस गए थे। कहां क्या हो रहा है, उसकी खोज खबर लेने की उन्हें फुर्सत नहीं थी। कब एक यूनिवर्सिटी का मामला उठा, किसने उठाया, किसके सामने उठाया, यह पता नहीं।
उस व्यक्ति को पार्टी सचिव व महामंत्री किसने बनाया, सारी कहानी जनता के सामने आ चुकी है। विस्फोटक बात करने वाले व्यक्ति को हरिद्वार ग्रामीण में पर्यवेक्षक बनाकर किसने भेजा, यह जरूर अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि वह घटनाक्रम की जांच को लेकर कांग्रेस कार्यालय में उपवास पर बैठते हैं तो आल इंडिया कांग्रेस कमेटी को इसकी स्वतंत्र उच्च स्तरीय जांच करानी पड़ेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने पिछले दिनों चुनौती दी थी कि यदि कोई इंटरनेट मीडिया में वायरल किए जा रहे यूनिवर्सिटी संबंधी समाचार के समाचार पत्र की 10 प्रति लाकर उन्हें देता है तो उसे वह 50 हजार रुपये देंगे। अब वह इस राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपये कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस दिन प्रमाणिक तौर पर ये सारे तथ्य सामने आते हैं तो वह महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने बैठकर राजनीति से संन्यास ले लेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जानते हैं कि पार्टी को गहरे घाव लगे हैं। वह अपने घावों से पार्टी के घावों में संक्रमण नहीं फैलाना चाहते। यद्यपि उन्हें अपने ऊपर लगाए गए झूठे आरोप और उनके दुष्प्रचार का खंडन करना है। साथ ही दुष्प्रचार करने वालों के चेहरों को बेनकाब करना है।
चुनाव से ठीक पहले देहरादून जिले की सहसपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेता आकिल अहमद ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की मांग की। इस मांग करने के बाद आकिल को प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष पद का जिम्मा दे दिया गया। प्रकरण गर्माने पर कांग्रेस नेताओं ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग को ही खारिज कर दिया। भाजपा ने देवभूमि उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग को चुनाव में बड़ा मुद्दा बना दिया।
मुस्लिम यूनिवर्सिटी नहीं, बड़े नेताओं की गलती से हारी कांग्रेस : आकिल अहमद
विधानसभा चुनाव में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग कर कांग्रेस को मुश्किल में डालने वाले कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आकिल अहमद का कहना है कि इस मुद्दे के चलते नहीं, बल्कि बड़े नेताओं की गलतियों की वजह से कांग्रेस हारी। उन्होंने आरोप लगाया कि बड़े नेता अपनी कमियां छिपाने के लिए उनके सिर पर हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं। वह अभी भी मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की मांग पर कायम हैं। इस मुद्दे के साथ ही वह आने वाले लोकसभा चुनाव में भी हरिद्वार से टिकट मांगेंगे।
विदित रहे कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष आकिल अहमद ने सहसपुर विधानसभा से टिकट मांगा था। टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩे का फैसला लिया था। रुड़की में दिल्ली रोड स्थित एक होटल में प्रेस वार्ता कर उन्होंने कहा कि निर्दलीय लडऩे के निर्णय पर पूर्व सीएम हरीश रावत सहित तमाम बड़े नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की थी।
इस दौरान उन्होंने पार्टी की बात मानते हुए क्षेत्र के विकास के लिए 10 मांग की थी। इनमें से एक मांग प्रदेश में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की भी थी, लेकिन अन्य मांगों की तरफ ध्यान न देकर भाजपा के बड़े नेताओं ने इसे मुद्दा बनाया और कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाया। इसके बाद हरीश रावत समेत पार्टी ने भी इस मांग से खुद को अलग कर लिया था।
उन्होंने कहा कि देश के अन्य प्रदेशों में भी इसी तर्ज पर यूनिवर्सिटी खुली है, जिसमें सभी वर्ग के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में इस तरह की मांग को गलत संदर्भ में लिया जाना ठीक नहीं था। उन्होंने कहा, जो कांग्रेसी नेता अपनी कमियों को छिपाने के लिए उन पर पार्टी की हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं। हार के कारण उनसे पूछे जाने चाहिए, जिन्होंने चुनाव में टिकट बेचने का काम किया है।
इस दौरान राजू तोमर, भूरा पहलवान, हारून, इमरान खान, मोमीन, राशिद, इसरार एवं सईद आदि मौजूद रहे।
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