बिहार के रिश्तेदारों को उत्तराखंड में नौकरी लगाने पर पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की सफाई
अपनों को नौकरी लगाता तो परिवार के ही 20 से 30 बन जाते शिक्षक : अरविंद पांडेय
आकाश ज्ञान वाटिका, 8 सितम्बर 2022, गुरूवार, देहरादून। उत्तराखंड में इन दिनों सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक के नेताओं पर भाई भतीजा वाद को लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं। सत्ता के रूतबे के दम पर नेताओं ने अपने-अपने करीबियों को नौकरी पर लगाया। उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से जहाँ उत्तराखंड सेवा अधीनस्थ चयन आयोग पेपर लीक मामले की जाँच चल रही है। जिसमें केई आरोपियों को पकड़ा जा चुका है, तो वहीं दूसरी तरफ विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियों को लेकर पूर्व विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल की मुश्किले बढ़ी हुई हैं क्योंकि विधान सभा में बैकडोर से हुई भर्तियों की जाँच चल रही है। इन सब के बीच कई पूर्व मंत्रियों पर भी मंत्री रहते हुए अपने करीबियों को नौकरी लगाने के आरोप लग रहे हैं।
पूर्व शिक्षा मंत्री और गदरपुर से विधायक अरविंद पाण्डेय पर भी शिक्षा मंत्री रहते अपने करीबीयों को नौकरी लगाने के आरोप लगे हैं। यहाँ तक कि सोशल मीडिया पर एक लिष्ट वायरल हो रही थी, जिसमें बिहार के रिश्तेदारों को उत्तराखंड नौकरी लगाने के आरोप अरविंद पाण्डेय पर लगे, लेकिन इसी आरोप को लेकर भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुँचे अरविंद पाण्डेय से पत्रकारों ने कई तहर के सवालों की बछौर की तो अरविंद पाण्डेय ने बड़ी सहजता से उनके उपर लग रहे आरापों के जवाब दिए।
नियमों की अनदेखी से हुई हैं नियुक्ति जो जाँच के लिए हूँ तैयार
विधायक अरविंद पाण्डेय का कहना है कि जो लिस्ट सोशल मीडिया में वायरल की गई है, उसको लेकर यहीं कहना चाहता हूँ कि यदि अगर नियुक्ति में अगर कहीं कोई अनदेखी हुई है तो दुनियाँ की कोई भी सबसे बड़ी जाँच मेरे उपर कराई जायें उसके लिए मैं तैयार हूँ। ईश्वर को साक्षी मानकर जाँच में पूरा सहयोग करूँगा और अगर जॉंच में दोषी पाया जाता हूँ कि नियमों की अनदेखी कर मेरे कार्यकाल में नियुक्ति हुई है तो प्रदेश की जनता जो सजा देना चाहेगी उसे हंसकर भुगतने के लिए तैयार हूँ।
अपनों को नौकरी लगाता तो परिवार के ही 20 से 30 बन जाते शिक्षक
इतना की नहीं अरविंद पाण्डेय का कहना है कि उनके परिवार में 20 से 30 लोगों ने बीएड किया हुआ है,अगर मैं कोई शिफारिश करता तो प्रदेश में मंत्री रहते हुए मेरे कार्यकाल में 15000 के लगभग भर्ती हुई हैं, उसमें परिवार के कई लोग शिक्षक बन जाते। लेकिन पूरी पारदर्शिता और नियमों को देखते हुए भर्ती हुई है। यहाँ तक कि अशासकीय स्कूलों में भर्ती के लिए 25 नम्बर के इंटरव्यू को 5 नम्बर का किया गया ताकि शिक्षकों की भर्ती में पारदर्शिता आयें और आज अशासकीय स्कूलों में योग्य शिक्षक ही भर्ती हो रहे हैं क्योंकि आवेदन करने वाले अभियार्थियों में सबसे पहले टॉप सेवन की मैरिड बनती है, जिन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। जबकि इंटरव्यू में 5 से 3 नम्बर देना अनिवार्य है। यानी के मेरे रहते अनिमियतताओं के जो आरोपा लगते थे उन आरोपों को दूर किया गया।
उत्तराखंड आन्दोलन में गया हूँ जेल
अरविंद पांडेय का कहना है कि कुछ लोग उनकी छवि यूपी बिहार से होने की भी बताने की कोशिश करते हैं, लेकिन वह साफ कहना चाहते हैं कि वह उधम सिंह नगर के रहने वाले हैं और उत्तराखंड आंदोलन के दौरान उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। यहाँ तक कि वह कहना चाहते हैं कि जब वह उधम सिंह नगर में उत्तराखंड आंदोलन के दौरान अलग राज्य उत्तराखंड बनाए जाने की माँग को लेकर आंदोलन करते थे, तो उन्हें स्थानीय जनता भी पीटा करती थी और यूपी में रहने के लिए ही उस समय कहती थी। लेकिन उन्होंने उत्तराखंड राज्य की माँग को लेकर मुखरता से उठाया और जेल तक गए, लेकिन अब जब उन्हें इस तरह की बातें सुनने को मिलती है तो उन्हें ठीक नहीं लगता है।
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