पर्वतारोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए दून के सिद्धार्थ खंडूड़ी को नम आंखों से दी अंतिम विदाई
आकाश ज्ञान वाटिका, सोमवार, 10 अक्टूबर 2022, देहरादून। उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा में पर्वतारोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए दून के सिद्धार्थ खंडूड़ी को स्वजन और रिश्तेदारों ने रविवार को नम आंखों से अंतिम विदाई दी।
दोपहर लगभग 12:00 बजे हरिद्वार में सिद्धार्थ का अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में महापौर सुनील उनियाल गामा और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी भी शामिल हुए। इससे पहले महापौर और कैबिनेट मंत्री ने सिद्धार्थ के आवास पहुंचकर उनके स्वजन को सांत्वना दी।
26 वर्षीय सिद्धार्थ का शव नेशविला रोड स्थित आवास में शनिवार रात पहुंचा था। रविवार को सुबह 10:00 बजे उनकी अंतिम यात्रा हरिद्वार के लिए रवाना हुई। सुबह से ही सिद्धार्थ के घर में उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग पहुंच रहे थे। नम आंखों से पड़ोसी और रिश्तेदार सिद्धार्थ के स्वजन को ढांढस बंधा रहे थे। अंतिम यात्रा से पहले सिद्धार्थ के अंतिम दर्शन को नेताओं का तांता भी लगा रहा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना और भाजपा नेता कर्नल अजय कोठियाल ने भी सिद्धार्थ के घर पहुंचकर शोक जताते हुए उनके परिवार को ढांढस बंधाया।
जीवन के सफर में बेटे के अचानक साथ छोड़ जाने से उनकी आंखें जरूर नम थीं, मगर वह परिवार के हर सदस्य और रिश्तेदारों को ढांढस बंधा रहे थे। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद व्यक्तियों का हृदय और भी ज्यादा द्रवित हो रहा था। एक पिता के लिए जवान बेटे की अंतिम यात्रा से बड़ा बोझ कोई और नहीं हो सकता। ऐसी परिस्थिति में खुद को संभालना कितना मुश्किल होता है, यह बताने की जरूरत नहीं। लेकिन, सिद्धार्थ के पिता हर्षवर्धन खंडूड़ी ने ऐसे नाजुक मौके पर भावनाओं पर काबू रखते हुए खुद को बिखरने नहीं दिया, क्योंकि गमगीन परिवार को संभालना भी जरूरी था।
4 अक्टूबर 2022 को हिमस्खलन की चपेट में आया था 34 सदस्यीय दल
द्रौपदी का डांडा में 4 अक्टूबर 2022 को हिमस्खलन की घटना हुई थी, जिसकी चपेट में निम का 34 सदस्यीय पर्वतारोही दल आ गया था। इनमें पांच पर्वतारोही घायल हुए थे, जबकि 29 लापता थे। खोज बचाव दल अब तक इनमें से 27 पर्वतारोहियों के शव निकाल चुका है। इनमें दो प्रशिक्षक और 25 प्रशिक्षु शामिल हैं। जबकि, दो पर्वतारोही अभी लापता हैं। निम, भारतीय सेना, आइटीबीपी, एसडीआरएफ और हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के विशेषज्ञों का दल उनकी तलाश में जुटा है।
सिद्धार्थ को बचपन से पर्वतारोहण और बाक्सिंग का था शौक
सिद्धार्थ को बचपन से पर्वतारोहण और बाक्सिंग का शौक था। पर्वतारोहण का शौक पूरा करने के लिए उन्होंने निम के एडवांस पाठ्यक्रम में हिस्सा लिया था। इसी पाठ्यक्रम के तहत वह अपने दल के साथ द्रौपदी का डांडा की चोटी का आरोहण करने गए थे। बाक्सिंग में उन्होंने राज्य स्तरीय कई प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया था।
सिद्धार्थ ने स्कूली शिक्षा सेंट जोजफ्स अकादमी से पूरी की थी। वर्ष 2015 में उन्होंने दून विवि में प्रवेश लिया और फ्रांसीसी भाषा में डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक घर में ही योग केंद्र खोलकर योग की शिक्षा भी दी। पर्वतारोहण का कोर्स पूरा करने के बाद सिद्धार्थ विदेश जाना चाहते थे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। सिद्धार्थ इससे पहले भी कई बार पर्वतारोहण पर जा चुके थे।
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