एमडीडीए की सीलिंग कार्रवाई के विरोध में सड़क पर उतरे डॉक्टर
देहरादून। धर्मपुर में एमडीडीए की नर्सिग होम सीलिंग की कार्रवाई का आइएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने विरोध किया है। आइएमए से जुड़े डॉक्टरों ने कार्रवाई को उत्पीड़नात्मक बताते हुए सरकार से प्रकरण में जल्द उचित निर्णय लेने की अपील की है। डॉक्टरों ने एकतरफा कार्रवाई को गलत बताते हुए बीच का रास्ता निकालने की मांग की है।
राजधानी में हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण चिह्नित और सीलिंग की कार्रवाई के बाद से आइएमए से जुड़े डॉक्टर और एमडीडीए आमने-सामने हैं। खासकर नर्सिग होम, अस्पताल और क्लिनिक चलाने को लेकर एमडीडीए ने डॉक्टरों को नोटिस जारी किए हैं। इन दिनों एमडीडीए नोटिस जारी करने वालों को वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के तहत मामले को निस्तारित कराने की कार्रवाई में जुटा है। इसके लिए दोबारा नर्सिग होम, अस्पताल और क्लिनिक को नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
एमडीडीए की टीम नोटिस देने के बाद धर्मपुर स्थित रेवती नर्सिग होम पहुंची। जहां अस्पताल संचालक पर नोटिस का जवाब न देने और प्रकरण निस्तारित न कराने पर सीलिंग की चेतावनी दी। इसकी जानकारी मिलते ही आइएमए से जुड़े डॉक्टर मौके पर पहुंच गए। जहां डॉक्टरों ने विरोध जताते हुए कार्रवाई को उत्पीड़नात्मक बताया।
इस दौरान डाक्टरों ने कहा कि सील करने हैं तो सभी अस्पताल को एक साथ कर लो। एक-एक अस्पताल को सीलिंग का डर दिखाना सिर्फ उत्पीड़न है। इससे मौके पर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। मौके की नजाकत को देखते हुए एमडीडीए की टीम वापस चली गई। मगर, डॉक्टरों ने काफी देर तक गुस्से का इजहार किया है।
आइएमए के सचिव डॉ. विजय त्यागी, डॉ. केपी जोशी आदि ने बताया कि सरकार एक तरफ तो वार्ता की बात कह रही है, वहीं दूसरी तरफ अस्पतालों की सीलिंग की कार्रवाई कर उत्पीड़न कर रही है। उन्होंने सरकार से पूरे मामले में बीच का रास्ता अपनाने की मांग की है। ताकि किसी को कोई परेशान न उठानी पड़े। इस मौके पर डॉ. रीता गोयल, डॉ. मनीषा सिंह, डॉ. सुषमा जोशी, डॉ. राजेश बधवा, डॉ. आलोक आहूजा आदि मौजूद रहे।
इस संबंध में एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का ने कहा कि नर्सिग होम और अस्पतालों को पहले से ही नोटिस जारी किए जा चुके हैं। पुलिस फोर्स की कमी के चलते अभी कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई। फोर्स मिलने के बाद सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी।
एमडीडीए ने 15 मार्च तक दी ओटीएस की सुविधा
एमडीडीए ने शहर के 49 निजी क्लीनिकों को 15 मार्च तक वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) की सुविधा दी है। इसके बाद सीधी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अभी तक दस अस्पतालों के ओटीएस में आवेदन करने की बात सामने आई है। 30 क्लीनिक संचालकों को एमडीडीए में बुलाया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश पर एमडीडीए रिहायसी इलाकों में बने क्लीनिकों के खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई में जुटा है। इसे लेकर क्लीनिक संचालकों को पहले भी नोटिस दिए गए। मगर, सीलिंग से पहले एमडीडीए की ओर से क्लीनिक संचालकों को ‘वन टाइम सेटलमेंट स्कीम’ (ओटीएस) की सुविधा दी जा रही है।
एमडीडीए ने ऐसे सभी क्लीनिकों को ओटीएस स्कीम के तहत कम्पाउंड कराने के नोटिस भेजे थे। मगर, 20 से 30 साल पुराने अस्पतालों पर ओटीएस पूरी तरह से अव्यवहारिक है। इसका आइएमए विरोध कर रहा है। इस पर एमडीडीए ने कुछ संचालकों को 20 फरवरी तो कुछ को 25 फरवरी तक का समय दिया। 15 मार्च तक ओटीएस की सुविधा का लाभ उठाया जा सकेगा।
एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का ने बताया कि कुल 49 क्लीनिक ओटीएस के दायरे में आ रहे हैं। नोटिस जारी करने के बाद कंपाउंड न करने वालों के खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। पुलिस फोर्स की कमी के चलते अभी कार्रवाई धीमी चल रही है। फोर्स मिलते ही कार्रवाई में तेजी लाई जाएगी।
स्टे की नहीं जानकारी
एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का ने कहा कि रेवती नर्सिग होम को यदि कमिश्नर कोर्ट से स्टे मिला तो संचालक एमडीडीए को कॉपी उपलब्ध करा दें। उन्होंने कहा कि अभी तक उन्हें कोर्ट के स्टे ऑर्डर की कोई जानकारी नहीं है। पुलिस फोर्स की कमी के चलते वहां कार्रवाई नहीं हुई। फोर्स मिलने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।
फायदा पहुंचाने का आरोप
आइएमए से जुड़े डॉक्टरों ने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह से कॉरपोरेट से जुड़े बड़े अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए की जा रही है। इसकी मार गरीब जनता पर पड़ेगी। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। अन्यथा गरीबों को न तो सरकारी अस्पतालों में और न ही प्राइवेट में सस्ता इलाज मिल पाएगा।
डॉक्टर करेंगे सीएम से मुलाकात
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) से जुड़े निजी चिकित्सक क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन अथवा उत्तराखंड हेल्थकेयर एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं स्वास्थ्य सचिव नितेश झा से मिलेंगे। चिकित्सक पिछले आठ दिन से हड़ताल पर हैं। अस्पताल, क्लीनिक, नर्सिंग होम, रेडियोलॉजी एवं पैथोलॉजी लैब बंद होने से मरीज परेशान रहे।
आइएमए ब्लड बैंक में आइएमए पदाधिकारियों की बैठक आयोजित की गई। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बीएस जज, प्रदेश सचिव डॉ. डीडी चौधरी, जिलाध्यक्ष डा. संजय गोयल, सचिव डॉ. विजय त्यागी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और एमडीडीए की ओर से लगातार उन्हें सीलिंग के नोटिस दिए जा रहे हैं। इससे चिकित्सकों में रोष पनप रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति एवं यहां के लोगों की आर्थिक स्थिति के लिहाज से एक्ट में संशोधन की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए प्रतिनिधिमंडल सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं स्वास्थ्य सचिव नितेश झा से मुलाकात करेगा। इस दौरान डॉ. नवीन आहूजा, डॉ. केपी जोशी, डॉ. शशांक, डॉ. संजय गर्ग, डॉ. हरीश कोहली, डॉ. रेखा श्रीवास्तव, डॉ. मनीष आनंद मौजूद रहे।
झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ है एक्ट
उत्तराखंड डॉक्टर्स संघर्ष समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से मुलाकात की। क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में निजी चिकित्सकों की हड़ताल के संबंध में उनसे वार्ता की। भट्ट ने चिकित्सकों से अपील की है कि वे जनहित में अपनी हड़ताल समाप्त कर दें। क्योंकि इससे आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
भट्ट ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे समिति के संयोजक डॉ. राजेश तिवारी से कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री का दृष्किोण बहुत सकारात्मक है। सरकार ने भी विधानसभा में आश्वासन दिया है कि वह परस्पर संवाद से इस समस्या का समाधान निकालेगी। इस विषय में उनकी मुख्यमंत्री से बातचीत भी हुई है । उम्मीद है कि जल्द समाधान निकल आएगा। किसी भी स्तर पर चिकित्सकों का अहित नहीं होने दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जहां तक एक्ट का सवाल है तो यह मूल रुप से उन झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ है जो चिकित्सक नहीं हैं, पर चिकित्सक होने का छलावा करते हैं। यह झोलाछाप जनता के जीवन व स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। भट्ट ने कहा कि यह एक्ट केंद्र सरकार ने बनाया है, जिसे लागू करना राज्य सरकार के लिए आवश्यक है। साथ ही इस संबंध में उच्च न्यायालय में की गई शिकायत पर कोर्ट ने भी सरकार को इस एक्ट को लागू करने के निर्देश दिए हैं। जिसे मानना सरकार की बाध्यता है।
उन्होंने कहा कि पंजीकरण कराने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। विभिन्न व्यवसायों में पंजीकरण कराना सामान्य बात है और इसे भी उसी दृष्टि से देखा जाना चाहिए।
होम्योपैथिक चिकित्सकों ने भी खोला मोर्चा
होम्योपैथिक चिकित्सकों ने भी आइएमए की मांग का समर्थन किया है। उनका कहना है कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप आवश्यक बदलाव किए जाएं।
होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन उत्तराखंड एवं उत्तरांचल होम्योपैथिक मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में एक बैठक आयोजित की गई। चिकित्सकों ने कहा कि यह एक्ट एलोपैथीही नहीं बल्कि अन्य पद्धति के चिकित्सकों के लिए भी अव्यवहारिक है। होम्योपैथिक चिकित्सा अन्य पद्धतियों से पूर्णत: भिन्न है। उन्हें समान मापदंड पर रखना सही नहीं है। इससे होम्योपैथिक चिकित्सकों में भारी रोष व्याप्त है।
उन्होंने कहा कि एक्ट में सभी राज्यों ने अपने स्तर पर संशोधन किया है। राज्य सरकार को भी इस ओर आवश्यक कदम उठाने चाहिए। इस दौरान डॉ. डीके उपाध्याय, डॉ. जेपी नौटियाल, डॉ. संजय मुंडेपी, डॉ. रमन, डॉ. धीरज गोयल, डॉ. कुलदीप ममगाईं, डॉ. प्रणव ममगाईं आदि उपस्थित रहे।
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