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उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच सालों से चला आ रहा 20 हजार करोड़ की परिसंपत्तियों का विवाद सुलझा

  • धामी है तो मुमकिन है

आकाश ज्ञान वाटिका, 18 नवम्बर 2021, गुरुवार, देहरादून। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच सालों से चला आ रहा परिसंपत्तियों का विवाद सुलझ गया है। लखनऊ के दो दिवसीय दौरे पर गए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुरुवार को शिष्टाचार भेंट की। चर्चा के केंद्र में सिंचाई, ऊर्जा, परिवहन, कृषि, आवास-विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, वन व कृषि विभाग के लंबित मसले रहेंगे। इस दौरान कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, मुख्य सचिव एसएस संधु और सचिव पुनर्गठन रणजीत सिन्हा भी मौजूद रहेंगे। वार्ता के दौरान परिसंपत्ति विवाद पर सहमति बन गई। इतना ही नहीं दोनों सरकारों के बीच सभी विवादों पर भी सहमति बनी।

[highlight]20 हजार करोड़ की परिसंपत्तियों का विवाद सुलझा[/highlight]

  • जिसके तहत वन विभाग, सिंचाई विभाग और परिवहन विभाग सहित विभिन्न विभागों की 20 हजार करोड़ की परिसंपत्तियों का विवाद सुलझा लिया गया। वार्ता के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि 15 दिनों में सभी लम्बित मामलों का निस्तारण हो जाएगा। सीएम योगी ने बहुत शांति से सभी बात सुनी हैं। बैठक में सभी मुद्दों पर सहमति बनी है। जो मुद्दे बचे हैं वह भी जल्द सुलझा लिए जायेंगे। उत्तर प्रदेश बड़ा भाई है। हमारा मातृ प्रदेश उत्तर प्रदेश है। दोनों भाइयों में जो बंटवारे में होता है वह हो जाएगा। कहा कि मैं आभारी हूँ कि सीएम योगी ने बड़ा दिल दिखाया।
  • मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि मैं मुख्य सेवक के रूप में पिछले चार महीने से काम कर रहा हूँ। सभी लोग उत्तराखंड में सरकार को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। कहा कि अलकनंदा होटल उत्तराखंड को मिलेगा। उत्तराखंड को वन विभाग के 90 करोड़ भी मिलेंगे। इस अवसर पर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद भी उपस्थित रहे।

[highlight]जानिए किन लंबित मसलों पर हुआ मंथन[/highlight]

  • हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और चंपावत में 379 हेक्टेयर भूमि उत्तराखंड को हस्तांतरित होनी है।
  • हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर व चंपावत में 351 आवासीय भवन यूपी से मिलने हैं।
  • कुंभ मेला की 687.575 हैक्टेयर भूमि को सिंचाई विभाग को हस्तांतरित होनी है।
  • उत्तराखंड पर्यटन विभाग को पुरानी ऊपरी गंग नहर में वाटर स्पोर्ट्स की सशर्त मंजूरी दी जानी है।
  • यूएसनगर में धौरा, बैगुल, नानकसागर जलाशय में पर्यटन व जलक्रीड़ा से पहले परीक्षण कराया जाना है।
  • केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार, उत्तराखंड वन विकास निगम को यूपी वन निगम में संचित व आधिक्य धनरासि 425.11 करोड़ में से 229.55 करोड़ की धनराशि उत्तराखंड मिलनी है, वाहन भंडार की 2061 की धनराशि का भी भुगतान होना है।
  • यूपीसीएल को बिजली बिलों का 60 करोड़ का बकाया देना है।
  • उत्तराखंड गठन के बाद 50 करोड़ मोटर यान कर उत्तराखंड परिवहन निगम को दिया जाना था। 36 करोड़ बकाया है।
  • अजमेरी गेट स्थित अतिथि गृह नई दिल्ली, यूपी परिवहन के लखनऊ स्थित मुख्यालय, कार सेक्शन और कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला व ट्रेनिंग सेंटर के विभाजन का निर्णय होना है।

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही परिसंपत्तियों के बटवारे का मसला अभी तक नहीं सुलझ पाया है। इसे लेकर समय-समय पर मुख्यमंत्री से लेकर सचिव स्तर तक की बैठकें हो चुकी हैं। इस विषय में अंतिम बैठक अगस्त 2019 में हुई थी। इस बैठक के दौरान कई मसलों पर सहमति बनी थी, लेकिन इनमें से अधिकांश धरातल पर नहीं उतर पाए। सिंचाई विभाग के अंतर्गत हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और चम्पावत में तकरीबन 1315 हेक्टेयर भूमि पर फैसला होना है। इसके साथ ही 351 भवनों के हस्तांतरण पर सहमति के बावजूद उत्तराखंड को यह भवन नहीं मिले हैं। हरिद्वार में सिंचाई के लिए गंगनहर से 665 क्यूसेक जल उपलब्ध कराने के संबंध में उत्तर प्रदेश ने सहमति नहीं दी है। किच्छा में सिंचाई विभाग की 0.346 हेक्टेयर भूमि को उत्तराखंड के नाम दर्ज किए जाने के संबंध में निर्णय होना शेष है।

 

 

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Ghanshyam Chandra Joshi

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