‘लचीला परिदृश्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग’ विषय पर हुआ दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
International Symposium on “International Cooperation for Resilient Landscapes“
आकाश ज्ञान वाटिका, 31 मार्च 2023, शुक्रवार, देहरादून। भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आई.सी.ऍफ़.आर.ई.) देहरादून और #इंटरनेशनल यूनियन ऑफ फॉरेस्ट रिसर्च ऑर्गेनाइजेशनस (आईयूएफआरओ) द्वारा संयुक्त रूप से ‘लचीला परिदृश्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग’ पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 29-30 मार्च, 2023 को आयोजित हुआ।
इस संगोष्ठी में भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रिया, कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड, नेपाल, चीन, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, मलावी, चीन और श्रीलंका से कुल मिलाकर 225 वानिकी, कृषि, प्रकृति संरक्षण, जल संसाधन प्रबंधन और खनन के क्षेत्रों के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक सम्मिलित हो रहे हैं जो क्षरित हुई भूमि और वनों की बहाली के मुद्दों और इसके लिए अंतरक्षेत्रीय नीति और योजना समन्वय बढ़ाने पर चर्चा करेंगे तथा इस दिशा में हुए प्रयासों और अनुभवों को साझा किया।
कार्यक्रम की शुरुआत आज आईसीएफआरई के सभागार में उद्घाटन समारोह के साथ हुई। सुभाष चंद्रा, सीईओ, कैम्पा, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। डॉ० जॉन ऐ.पैरोटा, प्रोग्राम लीडर, यू.एस. फ़ॉरेस्ट सर्विस ने अध्यक्ष के रूप में आईयूएफआरओ का प्रतिनिधित्व किया। आर.के. डोगरा, प्रभारी निदेशक, आईसीएफआरई-एफआरआई, देहरादून ने गणमान्य व्यक्तियों, विशेष आमंत्रितों, विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों, विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों और सभी उपस्थित लोगों का स्वागत किया और संगोष्ठी की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी।
पर्यावरण और भूमि पर विकास गतिविधियों के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए, मुख्य अतिथि सुभाष चंद्रा ने पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘लाइफ’ मिशन पहल के उद्देश्यों पर बात की। उन्होंने कृषि, वानिकी, बागवानी, कृषिवानिकी और प्रकृति संरक्षण क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ाने, विभिन्न हितधारकों जैसे सरकारों, नागरिकों, निजी क्षेत्र और स्थानीय समुदायों की समग्र प्रतिभागिता सुनिश्चित करने, और जलवायु-स्मार्ट वानिकी और कृषि प्रथाओं का उपयोग करने का सुझाव दिया जिससे भूमिक्षरण को रोका जा सके। इस संबंध में उन्होंने कैम्पा, राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम, हरित भारत मिशन और नगर वन योजना आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत मंत्रालय के चल रहे प्रयासों को भी साझा किया।
सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के लक्ष्यों के तहत इस संगोष्ठी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, अरुण सिंह रावत, महानिदेशक, आई सी ऍफ़ आर ई ने भारत सरकार की वन और भूमि उत्पादकता वृद्धि योजनाओं के निष्पादन में मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने में आईसीएफआरई की प्रतिबद्धता को बताया। उन्होंने इस दिशा में परिषद् की महत्वपूर्ण पहलों के बारे में जानकरी दी। इनमें भारत के विभिन्न भागों में कोलमाइन ओवरबर्डन, लाइम स्टोन माइन्स, सोडिक मिट्टी, क्षरित पहाड़ियों, जलभराव क्षेत्र और रेगिस्तानी टीलों की बहाली के लिए समग्र पैकेज का विकास, वानिकी के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों के पुनरुद्धार के लिए डीपीआर तैयार करना, मंत्रालय के हरित कौशल विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन, 129 लौह और मैंगनीज अयस्क खानों के सुधार और पुनर्वास की योजना शामिल हैं। उन्होंने विशेष रूप से सतत भूमि प्रबंधन पर आईसीएफआरई उत्कृष्टता केंद्र में चल रहे प्रयासों का भी उल्लेख किया। उन्होंने प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन शिक्षा में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए बिम्सटेक क्षेत्र में देशों के बीच सहयोग बढ़ाने में आईयूएफआरओ के साथ आई सी ऍफ़ आर ई के सक्रिय सहयोग पर भी बात की। उन्होंने प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन शिक्षा में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए बिम्सटेक क्षेत्र में देशों के बीच सहयोग बढ़ाने में तथा इस संगोष्ठी की मेजबानी में आईयूएफआरओ के साथ आई सी ऍफ़ आर ई के सक्रिय सहयोग का भी जिक्र किया।
डॉ० जॉन ए. पैरोटा ने अपने संबोधन में आईयूएफआरओ, इसके उद्देश्यों और दीर्घकालीन जीविका और मानव कल्याण हेतु चलाये जा रहे कार्यक्रमों के बारे में बात की। सामाजिक-आर्थिक और पारिस्थितिक संदर्भ में वनों और वनों के बाहर वृक्षों की भूमिका को व्यक्त करते हुए, उन्होंने क्षरित हुई भूमि की बहाली के लिए सामूहिक रूप से काम करने के लिए दुनिया भर में अंतर क्षेत्रीय सहयोग और सहयोग पर जोर दिया।
सत्र के पश्चात, प्रतिभागियों द्वारा मसूरी हिल्स और राजाजी नेशनल पार्क का भ्रमण किया गया, जहाँ उन्हें चूना पत्थर खनन क्षेत्रों और क्षतिग्रस्त पहाड़ी क्षेत्रों की बहाली के लिए विकसित किये गए तरीकों और कई अलग-अलग क्षेत्रों की वनस्पति और वन प्रकार तथा वन्य जीवन प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गयी।
संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ० दिनेश कुमार द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ सत्र का समापन हुआ। सत्र का संचालन सुश्री विजया रात्रे ने किया।
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