भारतीय जैन मिलन द्वारा संचालित जैन गौरव स्मृति वर्ष के अंतर्गत जैन मिलन महिला, देहरादून का आयोजन
- जैन धर्म के गौरव महाकवि पंडित बनारसी दास जी के जीवन चरित्र पर,नाट्य रूप में प्रकाश डाला गया ।
- महाकवि पंडित बनारसी दास का जन्म विक्रम संवत 1643 की माघ शुक्ल एकादशी को जौनपुर में हुआ था ।
- बनारसी दास, जीवन में अनेक प्रकार के उतार-चढ़ाव, संकट, तत्कालीन राजनीतिक व सामाजिक विषमताओं होते हुए भी, अंतरंग में आध्यात्मिक साधना के बल से निरंतर चिंतन रत, ध्यान में रहते थे।
आकाश ज्ञान वाटिका, देहरादून। सोमवार, २ सितम्बर। रविवार, १ सितम्बर को भारतीय जैन मिलन द्वारा संचालित जैन गौरव स्मृति वर्ष के अंतर्गत जैन मिलन महिला, देहरादून के तत्वधान में जैन धर्म के गौरवशाली, जैन धर्म के गौरव महाकवि पंडित बनारसी दास जी के जीवन चरित्र पर वीतराग विज्ञान पाठशाला के बालक, बालिकाओं एवं महिलाओं द्वारा नाट्य रूप में प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर रहे। अति विशिष्ट अतिथि मनोविज्ञान प्रोफेसर श्रीमती रश्मि त्यागी रावत एवं विशिष्ट अतिथि मानवाधिकार एवं सामाजिक संगठन के चेयरमैन सचिन जैन, स्वागत अध्यक्ष भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय महामंत्री नरेश चंद जैन रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती वीणा जैन जी द्वारा की गई तथा कार्यक्रम का संचालन शाखा की मंत्री श्रीमती वंदना जैन ने किया। इस अवसर पर कैंट विधायक हरबंस कपूर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि शाखा की अध्यक्ष श्रीमती वीणा जैन बहुत लंबे समय से बच्चों में धार्मिक संस्कार रूपी पौधे लगाने का कार्य कर रही है । वीणा जैन के द्वारा बच्चों में धार्मिक संस्कार प्रफुल्लित होते दिखाई दे रहे हैं जो आगे चलकर उनके भविष्य को और सुदृढ़ बनाएंगे। इस अवसर पर डॉ रश्मि त्यागी रावत ने कार्यक्रम की बहुत अधिक प्रशंसा की और कहा कि उनके द्वारा चलाई जा रही पाठशाला के माध्यम से निश्चित रूप से बच्चे संस्कारित होंगे । इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि सचिन जैन ने कहा कि भौतिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी बच्चों के भविष्य के लिए एक अहम हिस्सा है जो आने वाले समय में उनका भविष्य और उज्जवल बनाने में सहायक होगी। शाखा की अध्यक्षा श्रीमती वीना जैन के निर्देशन में बच्चों और महिलाओं ने महाकवि पंडित बनारसी दास के जीवन पर प्रकाश डाला, जिनका जन्म विक्रम संवत 1643 की माघ शुक्ल एकादशी को जौनपुर में जन्मे कविवर पंडित बनारसीदास, जैन धारा में आध्यात्मिक दृष्टि से तो क्रांतिकारी आध्यात्मिक सत्पुरुष हैं ही किंतु साहित्य के क्षेत्र में ही उनका भूतपूर्व योगदान है। संपूर्ण साहित्यिक गरीबों से युक्त कवि की बेजोड़ कृति श्री समयसार नाटक, कुंदकुंद आचार्य नाटक पर अमृत चंद्राचार्य द्वारा रचित 268 कलशों का सुंदर हिंदी पद्यानुवाद है। हिंदी साहित्य की इस अनुपम कृति ने उन्हें महाकवि तुलसी दास के समकक्ष प्रतिष्ठापित किया है । बनारसी दास, जीवन में अनेक प्रकार के उतार-चढ़ाव संकट, तत्कालीन राजनीतिक व सामाजिक विषमताओं के बीच, अंतरंग में आध्यात्मिक साधना के बल से निरंतर चिंतन रत, ध्यान में रहते थे। इस अवसर पर भारतीय जैन मिलन की केंद्रीय महिला संयोजिका श्रीमती मधु जैन ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर श्रीमती सुनीता जैन, रश्मि जैन, प्रीति जैन, मधु जैन, आशु जैन, अनुभा जैन, सुचिता जैन, हर्षिता जैन, मीनू जैन, सारिका जैन, राज जैन, प्रभा जैन आदि महिलायें उपस्थित रही।
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