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“नेत्रदान – महादान” – उत्तराखंड विधि आयोग और मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन का सम्मान समारोह
उत्तराखंड विधि आयोग और मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन के संयुक्त कार्यक्रम के तहत अपने जीवन में नेत्रदान करने वाले परिवार के लोगों को सम्मानित किया गया।
उत्तराखंड विधि आयोग और मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन के संयुक्त कार्यक्रम के तहत ऑफिसर्स ट्रांजिट हॉस्टल, रेस कोर्स में अपने जीवन में नेत्रदान करने वाले परिवार के लोगों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस राजेश टंडन जी तथा विशिष्ठ अतिथि भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय महामंत्री श्री नरेश जैन जी एवं मुनेंद्र स्वरूप जैन जी रहे । श्री राजेश टंडन जी ने बताया कि नेत्रदान बहुत ही पुण्य काम है। एक व्यक्ति अपनी नेत्रदान करके दो व्यक्तियों को दुनिया देखने का मौका देता है। यह बहुत ही पुण्य काम है और इस कार्य को सभी लोगों को करना चाहिए। मानवधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सचिन जैन जी ने बताया कि देश की इतनी अधिक जनसंख्या को देखते हुए 30 लाख नेत्रदान हो पाना आसान नहीं लगता परंतु अगर व्यक्ति चाहे तो इस कार्य को कर सकते हैं। जो नेत्रदान करके दृष्टिहीन लोगों को नेत्र दे सकते हैं। उन्हें बताया कि नेत्रदान केवल मृत्यु के बाद ही किया जा सकता है । व्यक्ति अपने लिए तो जीता है लेकिन दूसरों के लिए जीना सीखें । आज देश की बड़ी आबादी दृष्टिहीन का शिकार है यदि आज जिंदा होते ही नेत्रदान का संकल्प पत्र भर दे तो समाज के अन्य लोगों के लिए एक बहुत अच्छा प्रयास होगा। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मधु जैन जी ने किया । सबको जागरूक करते हुए ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्रतिवर्ष 80 लाख लोगो की मृत्यु में, सिर्फ 15000 हजार लोगों ही नेत्रदान करते हैं। यह बड़ा ही सोच का विषय है उन्होंने वहां पर आए हुए सभी लोगों को जागरुक करते हुए कहा कि अगर अपने जीवन में नेत्रदान करता है तो उसे दो लोगों को दुनिया देखने का मौका प्राप्त होता है। हम लोगों को यह शपथ लेनी चाहिए कि जितने भी लोग हैं सब अपनी मृत्यु बाद नेत्रदान करें । अब तक लगभग एक सौ पैतीस से भी ज्यादा बार रक्तदान कर चुके समाजसेवी अनिल वर्माजी ने भी नेत्रदान की आवश्यकता पर बल देते हुए इससे सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी दी। यह भी हम सबके लिए प्रेरणा की बात है की वनिल वर्माजी सपरिवार नेत्रदान का शपथपत्र भर चुके है। आज के इस समारोह में नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर गुप्ता जी ने भी आँखों की सुरक्षा नेत्रदान से सम्बंधित जानकारियाँ दी। नेत्रदान करने वाले परिवार श्री पंकज जैन, अनुपम जैन पुत्र स्वर्गीय विनेश चंद जैन, श्री दिनेश जैन, अनिल जैन पुत्र स्वर्गीय श्री प्रेमचंद जैन, श्री नवनीत जैन पुत्र स्वर्गीय श्री मती इंदिरा जैन, संजीव कुमार जैन, पुत्र स्वर्गीय श्री सुरेंद्र कुमार जैन इनके परिवार को सम्मानित किया गया।
मानवाधिकारा एवं सामाजिक न्याय संगठन, समाज के चहुमुखी विकास, उत्थान, गरीब व असहायों की सेवा व हर किसी को न्याय आदि समाज से जुड़ी समस्याओं के लिए निरंतर परिश्रमरत रहता है।
इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व संगठन महामंत्री एवं 20 सूत्रीय कार्यक्रम के उपाध्यक्ष श्री नरेश बंसल जी ने सबको शपथ दिलाई कि यह लोग अपने नेत्रों का दान करें जिससे दुनिया में जितने भी लोग हैं उनको दुनिया देखने का मौका प्राप्त हो इस मौके पर मानवधिकार सामाजिक न्याय संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप विनायक जी, भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष सचिन गुप्ता, प्रोफेसर एमपी जैन ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर अनिल वर्मा जी, राजकुमार तिवारी, अमन गुप्ता, शारदा गुप्ता, संजीव गोयल, विशंभर नाथ बजाज, अरविंद नौटियाल, घनश्याम जोशी, अनिल जैन, बीना जैन, रेखा निगम, पी एल सेठ, कविता चौहान, नवनीत जैन, संजीव कुमार, दिनेश कुमार आदि लोगों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
नेत्रदान – महादान (आज की सबसे बड़ी आवश्यवकता)
आज भी भारतवर्ष में करीब सवा करोड़ से भी अधिक लोग दॄष्टिहीन हैं। आँखें भगवान व इस प्रकृति द्वारा प्रद्दत एक अनुपम उपहार है। आँखें हमारे जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। आँखें इस खूबसूरत संसार की खूबसूरती को निहारने का एक मात्र साधन है जो प्रकाश की किरणों के माध्यम से हमारे मष्तिष्क द्वारा संचालित होती हैं। इसीलिए इसे प्रकाशीय अथवा चाक्षुष उपकरण भी कहते हैं। दुनियां की प्रत्येक वस्तु हमें आँखों के द्वारा ही दिखाई देती है। आँखों के बिना जीवन नीरस व रंगहीन हो जाता है। हमारे आसपास की हर वस्तु में एक अलग ही सुंदरता छिपी होती है जिसे देखने के लिए एक अलग नजर की जरूरत होती है।आँखों का महत्व हमारे लिए कितना ज्यादा है यह हम सब समझते हैं इसीलिए इनकी सुरक्षा के लिए हमें हर सम्भव सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
आँखों की ठीक प्रकार से देखभाल करने के लिए, संतुलित भोजन खायें, हरी सब्जियों, अंडे, फलियों एवं गाजर का प्रयोग अधिक से अधिक करें। धूम्रपान, नशा व शराब के सेवन से बचें] सूर्य की रोशनी आँखों पर सीधे पड़ने से बचायें, ज्यादा समय तक कंप्यूटर व मोबाइल का पर काम न करें, आँखों को शुद्ध पानी से धोयें, टेलीविजन देखते या कंप्यूटर पर काम करते हुए चमक-रोधी चश्मे का इस्तेमाल करें। कम रोशनी में पढ़ाई न करें, आँखों की नियमित जांच करायें, नजदीक से एवं लेटकर टेलीविज़न न देखें।
बिना आखों के आनन्दमय जीवन की कल्पना करना असम्भव है। एक दुसरे के दुःख- सुख, भावनाओं व इस दुनियाँ की वास्तविकता को समझ पाने के लिए आँखों का होना कितना आवश्यक है हर कोई भली भाँति जानता है, लेकिन वह व्यक्ति जो इस उपहार से दुर्भाग्यवश वंचित हैं हमसे ज्यादा अपने अन्तर्मन से महसूस करता है। नेत्रहीन व्यक्ति के लिए तो यह संसार प्रकाशहीन है और अंधेरी दुनियाँ में रहकर अंधकारमय जीवन व्यतीत करता है। अब सोचिये ऐसे में यदि एक नेत्रहीन व्यक्ति को नेत्र मिल जायें और वह इस खूबसूरत संसार को देखने लगे तो, कैसा महसूस होगा उस व्यक्ति को, जरा सोचकर तो देखें; अपने आप दिल में एक करुणा की भावना जागृत हो जायेगी।
इस संसार में नेत्रहीनों की संख्या काफी अधिक है जिनमें से कई तो जन्मजात ही नेत्रहीन होते हैं। हमारे दिल व दिमाग में हमेशा यह सोच रहनी चाहिए कि इस संसार का कोई भी व्यक्ति आँख रुपी इस अनुपम उपहार से वंचित न रहे। यदि दुर्भाग्यवश कोई व्यक्ति नेत्रहीन रह जाता है क्या हम उसे प्रकाश देकर, एक तरह का पुनर्जीवन दे सकते हैं, आज यह सवाल हमें खुद ही अपनी अन्तरात्मा से करना है। हमारी अन्तरात्मा इस प्रश्न का उत्तर सकारात्मक देगी] हाँ। हम मरणोपरान्त अपने आँखों का दान कर एक अंधकार जीवन में प्रकाश ला सकते हैं।
नेत्रदान महादान है। व्यक्ति के मरणोपरान्त उसकी आँखें दान की जा सकती हैं जिससे वह ऐसे व्यक्ति को रोशनी दे सकता है जो नेत्रहीन है। आँखें न सिर्फ हमें रोशनी दे सकती हैं बल्कि हमारे मरने के बाद वह किसी और की जिंदगी से भी अंधेरा हटा सकती हैं। अतः हमें सभी प्रकार के अंधविश्वासों से ऊपर उठकर अपने अंगों का दान करना चाहिए, जिससे किसी नेत्रहीन व्यक्ति को नवजीवन मिल सकें। नेत्रदान बहुत आसान है। नेत्रदान के लिये उम्र एवं धर्म का कोई बन्धन नही हैं। केवल वही व्यक्ति जो एड्स] पीलिया या पुतलियों से संबधीं रोगों से पीड़ित हो, वह नेत्रदान नहीं कर सकते।
• नेत्रदान मॄत्यु के बाद ४ से ६ घंटे के अन्दर होना चाहिए।
• अपने घर के करीबी नेत्र बैंक या किसी ऐसी संस्था जो इस क्षेत्र में काम कर रही है] में जाकर अपना पंजीकरण कर रिश्तेदार एंव मित्र की उपस्थिति में शपथ पत्र भरें।• शपथ पत्र भरने के बाद एक कार्ड दिया जायेगा जिसमें रजिस्ट्रेशन क्रमांक अंकित होता है । इस कार्ड को आप सदा अपने साथ रखें।
• नेत्र बैंक के टेलिफोन नम्बर अपने घर एंव कार्यालय में लिखकर रखें व परिवार एवं रिश्तेदारों को इसकी जानकारी दें।
• अगर मृतक व्यक्ति ने अपना पंजीकरण नहीं करवाया है तो उसके आकस्मिक मृत्यु के बाद उसके परिजन या कोई निकट सम्बन्धी नेत्र बैंक को जानकारी देकर] सारी प्रक्रिया को पूरा करके मृतक व्यक्ति का नेत्रदान करवा सकते हैं।
• मृत्यु के तुरंत बाद नेत्र बैंक को सूचित करना आवश्यक है। इसे कोई भी रिश्तेदार] मित्र या पड़ोसी सूचित कर सकता है। समय की आवश्यकता के कारण सबसे करीबी नेत्र बैंक को सूचित करना चाहिए।
• मॄतक की पल्कों को बन्द कर उनके उपर भीगी रूई या कपड़ा रख दें। कमरें में पंखे बन्द कर दें। यदि एअर कंडिशनर हो तो उसे चालू रखें। ज्यादा रोशनी न रखें।• मॄतक का सिर करीब छः इंच ऊपर उठाकर रखें।
सूचना मिलते ही नेत्र विशेषज्ञ मॄतक के घर आकर नेत्र से कॉर्निया लेते हैं। इस प्रक्रिया में मात्र बीस मिनिट लगते हैं ।
जीवित व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकता है यह कानून के खिलाफ है।
आँखों का महत्व हमारे लिए कितना ज्यादा है यह हम सब समझते हैं इसीलिए इनकी सुरक्षा के लिए हमें हर सम्भव सावधानियाँ बरतनी चाहिए।
आँखों की ठीक प्रकार से देखभाल करने के लिए, संतुलित भोजन खायें, हरी सब्जियों, अंडे,फलियों एवं गाजर का प्रयोग अधिक से अधिक करें। धूम्रपान, नशा व शराब के सेवन से बचें, सूर्य की रोशनी आँखों पर सीधे पड़ने से बचायें, ज्यादा समय तक कंप्यूटर व मोबाइल का पर काम न करें, आँखों को शुद्ध पानी से धोयें, टेलीविजन देखते या कंप्यूटर पर काम करते हुए चमक-रोधी चश्मे का इस्तेमाल करें। कम रोशनी में पढ़ाई न करें, आँखों की नियमित जांच करायें, नजदीक से एवं लेटकर टेलीविज़न न देखें।
आकाश ज्ञान वाटिका न्यूज़ पोर्टल के संपादक घनश्याम चंद्र जोशी एवं पोर्टल से जुड़े समस्त सदस्य मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन के इस सराहनीय कार्य के लिए संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन जैन एवं प्रदेश अध्यक्षा श्रीमती मधु जैन सहित पूरी टीम को शुभकामनायें प्रेषित करते हैं तथा लोगों से आग्रह है कि हम सब इस समाजपयोगी पहल में बढ़चढ़ कर अपनी भागीदारी निभायें।
नेत्रदान – महादान
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