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देशविज्ञान एवं प्राद्यौगिकी

चन्द्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर लैंडर से इसरो का टूटा संपर्क

‘चंद्रयान-2‘ का ऑर्बिटर एकदम सामान्य है

आकाश ज्ञान वाटिका, बंगलूरू। शनिवार, ७ सितम्बर। भारत के चंद्रयान-2 मिशन चाँद के करीब पहुॅच कर अधूरा रह गया। चाँद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर पहले लैंडर विक्रम का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का संपर्क टूट गया। इसरो का मिशन चंद्रयान-2 भले ही इतिहास नहीं बना सका लेकिन वैज्ञानिकों के जज्बे को देश सलाम कर रहा है। मिशन के पूरा होने और देश के इतिहास रचने के लम्हे का देश शुक्रवार देर रात को जाग कर बेसब्री से इंतजार कर रहा था लेकिन कुछ ही चुनौतीपूर्ण पल में मायूसी छा गई। 48 दिन के महात्वाकांक्षी सफर की मंजिल तक पहुँचने से ठीक पहले अचानक इसरो के कंट्रोल रूम में एक अजीब सन्नाटा छा गया। वहीं जो आंखे कुछ देर पहले बड़ी उत्सुकता से स्क्रीन पर मिशन चंद्रयान-2 के हर कदम को परख रही थी, उनमें पल भर में आँसू छलक पड़े। हालांकि इसरो का चंद्रयान मिशन में रूकावट आ गई है, लेकिन सवा अरब भारतीयों की उम्मीदें नहीं टूटी हैं। इस अभियान के जरिए इसरो ने जो उपलब्धि हांसिल ही है, वह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। चंद्रयान-2 में इसरो अपने मिशन से मात्र दो कदम दूर भर है। चंद्रयान-2 का सफर आखिरी और बेहद चुनौतीपूर्ण हिस्से तक पहुँच चुका था लेकिन ये इंतजार लंबा खिंचने लगा और इसरो की तरफ से औपचारिक ऐलान कर दिया गया कि लैंडर विक्रम से सेंटर का संपर्क टूट चुका है। इस मिशन पर दुनिया भर की नजरें टिकी थीं और उसकी वजह ये थी कि भारत के वैज्ञानिकों ने चाँद के सबसे मुश्किल हिस्से पर पहुँचने को अपना लक्ष्य बनाया था। इसरो अधिकारियों में जहॉ उदासी का आलम है।

इसरो के केंद्र में चंद्रयान-2 की लैंडिंग देखने पहुॅचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को सांत्वना देते हुए कहा कि जब मिशन बड़ा होता है तो निराशा से पार पाने की हिम्मत होनी चाहिए। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। मेरी तरफ से आप सभी को बहुत बधाई है। आपने देश की और मानव जाति की बड़ी सेवा की है।

शनिवार तड़के लगभग 1.38 बजे जब 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 1,680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 1,471 किलोग्राम के विक्रम चंद्रमा ने सतह की ओर बढ़ना शुरू किया, तब सबकुछ ठीक था। विक्रम लैंडर उतर रहा था और लक्ष्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका काम सामान्य था। उसके बाद करीब 1ः55 बजे लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने लैंडर विक्रम से संपर्क बनाने की कोशिष जारी रखी, लेकिन हो नहीं पाया। बाद में इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया कि विक्रम से संपर्क टूट गया है। हम आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने संपर्क टूटने का ऐलान करते हुए कहा कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी पहले तक लैंडर का काम प्लानिंग के मुताबिक था और उसके बाद उसका संपर्क टूट गया। उतरने के लिए लैंडर ‘विक्रम‘ ने ‘रफ ब्रेकिंग‘ और ‘फाइन ब्रेकिंग‘ चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, लेकिन ‘सॉफ्ट लैंडिंग‘ से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया। इसके साथ ही वैज्ञानिकों और देश के लोगों के चेहरे पर निराशा की लकीरें छा गईं। इसरो अध्यक्ष के. सिवन इस दौरान कुछ वैज्ञानिकों से गहन चर्चा करते दिखे। वहीं, विभिन्न विशेषज्ञों ने कहा कि अभी इस मिशन को असफल नहीं कहा जा सकता। लैंडर से एक बार फिर संपर्क स्थापित हो सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर लैंडर विफल भी हो जाए तब भी ‘चंद्रयान-2‘ का ऑर्बिटर एकदम सामान्य है और वह चाँद की लगातार परिक्रमा कर रहा है।

 

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Ghanshyam Chandra Joshi

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