गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनायेᱸ “हर हर गंगे जय माँ गंगे !!”
गंगा दशहरा की हार्दिक शुभकामनायेᱸ
“हर हर गंगे जय माँ गंगे !!”
‘ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः‘
“अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च ।
र्जैमिनिश्च सुमन्तुश्च पञ्चैते वज्रवारका: ।।
मुनेःकल्याणमित्रस्य जैमिनेश्चाऽनुकीर्तनात् ।
विद्युदग्नि भयं नास्ति लिखितं गृहमण्डले ।।
यत्रानुपायी भगवान् दद्यात्ते हरिरीश्वरः।
भङ्गो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा ।।”
शास्त्रानुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ला पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा कहते हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान व दान का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष, दशमी को देवी गंगा का पृथ्वी पर अवतरण का दिन माना जाता है। सनातन धर्म में गंगा को सर्वाधिक पवित्र नदी माना जाता है। राजा भागीरथ ने इसके लिए वर्षो तक तपस्या की थी। गंगा–दशहरा पर्व मनाने की परंपरा इसी समय से आरंभ हुई थी। राजा भगीरथ की गंगा को पृथ्वी पर लाने की कोशिशों के कारण इस नदी का एक नाम भागीरथी भी है।
गंगा दशहरा पर स्नान व दान का विशेष रूप से महत्व है। वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी बुधवार में हस्त नक्षत्र में मां गंगे स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी। वह दस पापों को नष्ट करती हैं। अतः इसे दशहरा कहते हैं। इस दिन गंगा, शिव, ब्रह्मा, सूर्य देवता, भागीरथी व हिमालय के पूजन का विधान है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की यह दशमी तिथि को गंगा जी का जन्मदिन माना जाता है। स्कन्दपुराण व वाल्मीकि रामायण के अनुसार आज ही के दिन महाराज भागीरथ के कठोर तप से प्रसन्न होकर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा जी आई थीं।
गंगा दशहरा के दिन जो भी व्यक्ति पानी में गंगा जल मिलाकर गंगा मंत्र का दस बार जाप करते हुए स्नान करता है, चाहे वो दरिद्र हो, असमर्थ हो वह भी गंगा की पूजा कर पूर्ण फल को पाता है। यह दिन संवत्सर का मुख माना गया है। इस दिन गंगा, शिव, ब्रह्मा, सूर्य देवता, भागीरथी तथा हिमालय की प्रतिमा बनाकर दूध, बताशा, जल, रोली, नारियल, धूप, दीप से पूजन करके दान करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा स्नान, अन्न–वस्त्रादि का दान, जप–तप, उपासना और उपवास किया जाता है। इससे दस प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है।
इस साल गंगा दशहरा 24 मई को पड़ रहा है। मलमास में पड़ने वाले गंगा दशहरा का अत्यंत महत्व होता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से विशिष्ट लाभ प्राप्त होता है। इस दिन में पवित्र नदी में स्नान करने के साथ गंगा नदी का स्मरण करके पूजन करें। नदी को पुष्पांजली दें। इसके साथ ही भागीरथ और हिमालय का भी स्मरण करके पूजा करें।
उत्तराखंड में इस त्यौहार का अपना लोकसांस्कृतिक महत्त्व है| इसदिन लोग प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करते है| घरों के भीतर और देहली को गोबर और लाल मिट्टीसे लीपा जाता है और फिर ऐपण दिए जाते हैं| घर के मन्दिर में, दरवाजों और खिड़कियों पर दशहरा पत्र (द्वारपत्र, दशौर) चिपकाए जाते हैं| पुरातन परंपरा के अनुसार पुरोहित लोगों के द्वारा स्वयं अपने हाथ से निर्मित रंग बिरंगी चित्रकारी युक्त द्वारपत्र यजमानों को दिए जाते थे। ऐसी मान्यता है की द्वारपत्र लगाने से बिजली गिरने का, बज्रपात का भय नहीं होता।
अधिकांशतः ये पत्र एक वृत्ताकार आकृति के होते हैं जिसके मध्य में गणेश जी, गंगा माता या हनुमान जी या शंकर जी की आकृति बनी होती है । बाहर की ओर चारो तरफ वृत्ताकार शैली में संस्कृत में मंत्र लिखा होता है जिसका अर्थ है कि अगस्त्य,पुलस्त्य,वैश्भ्पायन,जैमिनी और सुमंत ये पंचमुनि वज्र से रक्षा करने वाले मुनि हैं। इस वृत्त के चारो ओर अनेक कमल–दल भी अंकित किये जाते है, जो धन–धान्य और समृद्धि के द्योतक माने जाते हैं।
Ganga Dussehra, also known as Gangavataran, is a Hindu festival celebrating the avatarana (descent) of the Ganges. It is believed by Hindus that the holy river Ganges descended from heaven to earth on this day. Ganga Dussehra takes place on Dashami (10th day) of the waxing moon of the month Jyeshtha. The festival celebration lasts ten days, including the nine days preceding this holy day.
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