उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने का सिलसिला जारी
बादल फटने के दो दिन बाद भी हालात जस के तस
मलबे में दबी माँ-बेटी काअभी भी कोई पता नहीं चल पाया
आकाश ज्ञान वाटिका, देहरादून। चमोली जिले के फल्दिया गांव में बृहस्पतिवार को बादल फटने की घटना के बाद मलबे में दबी माँ-बेटी का कुछ पता नहीं चल पाया है। शनिवार को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी लौट गई है। गांव में पेयजल की लाइन दुरुस्त नहीं हो पाई हैं। बमणबेरा और हरिपुर के ग्रामीण राहत का इंतजार कर रहे हैं।
बृहस्पतिवार को फल्दिया गांव में बादल फटने से पुष्पा देवी और उनकी बेटी ज्योति मलबे में दब गई थी। ग्रामीणों सहित एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने शनिवार को भी मलबे में दबी मां-बेटी की खोजबीन की, लेकिन वे नहीं मिल सकी। बादल फटने से फल्दिया गांव में 12 मकान मलबे से जमींदोज हो गए थे। दो मकानों को आंशिक क्षति हुई थी। फल्दिया गांव में अभी तक अस्थायी पुल नहीं बन सका है। ग्रामीण लकड़ी का कच्चा पुल बनाकर आवाजाही कर रहे हैं। पेयजल लाइन भी क्षतिग्रस्त पड़ी हैं। जैनबिष्ट गांव में बिजली के कई पोल बहने से विद्युत आपूर्ति ठप है। शुक्रवार को आपदा प्रभावित लोगों ने जैनबिष्ट के स्वास्थ्य केंद्र में रात बिताई।
वहीं कलपट्टा गांव के ग्रामीणों ने एसडीएम को ज्ञापन भेजकर कहा कि उनके गांव में एक मकान खतरे की जद में है। कलसीरी गांव के ऊपर हो रहे भूस्खलन से 10 मकानों को खतरा बना है। उन्होंने सुरक्षा दीवार बनाने की मांग की। तहसीलदार एसएस रांगड़ ने कहा कि बमणबेरा गांव में प्रशासन की टीम पहुंच गई है। शनिवार को कांग्रेसियों व शांतिकुंज गायत्री परिवार हरिद्वार के सदस्यों ने आपदाग्रस्त गांवों में जाकर लोगों को राहत साम्रगी बांटी। आपदा के दो दिन बाद भी देवाल-खेता, देवाल-मुंदोली-लोहाजंग- वांण, हाटकल्याड़ी- बेराधार, लोहाजंग-बांक सड़क से मलबा नहीं हटाया जा सका है।
श्रीनगर में तहसील कीर्तिनगर की ग्राम पंचायत थातीडागर में बादल फटने की घटना के तीसरे दिन क्षेत्रीय विधायक विनोद कंडारी ने अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंच कर नुकसान का जायजा लिया। विधायक ने मौके पर तहसील प्रशासन और विभिन्न विभागों के अधिकारियों को एक सप्ताह में प्रभावितों को सूचीबद्ध करने और क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों के स्टीमेट तैयार करने को कहा है। साथ ही क्षेत्र में शीघ्र विद्युत व पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था सुचारु करने के भी निर्देश दिए। इस मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने बस्ती के आस पास सुरक्षा दीवार निर्माण की भी मांग की। दूसरी ओर तहसीलदार हरिहर उनियाल ने बताया कि क्षेत्र की पांच पेयजल योजनाएं, तीन पुल, दो घराट, 25 से 30 सिंचाई गूल व मोटर मार्ग के पुस्ते क्षतिग्रस्त हुए है। कृषि भूमि के नुकसान के आंकलन के लिए कानूनगो एसएस कठैत की अध्यक्षता में राजस्व उपनिरीक्षकों की टीम बनाई गई है। शीघ्र ही प्रभावितों की सूची तैयार कर एसडीएम के माध्यम से जिलाधिकारी को भेज दी जाएगी।
पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त, स्रोत से ढो रहे लोग पानी
टिहरी में भिलंगना ब्लॉक के थार्ती गांव के सौड़ नामे तोक में बादल फटने के दूसरे दिन भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। सबसे बड़ी समस्या पानी की बनी हुई है। पेयजल योजनाओं के क्षतिग्रस्त होने से लोगों को दूरदराज प्राकृतिक स्रोतों से पानी ढोना पड़ रहा है। मूलगढ़-ठेला-थार्ती मोटर मार्ग पर वाहनों का आवागमन शुरू होने और बिजली की आपूर्ति बहाल होने पर लोगों ने राहत की सांस ली है। बादल फटने से कृषि भूमि को हुए नुकसान का राजस्व विभाग की टीम ने सर्वे शुरू कर दिया है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिलने लगती हैं। बूंदों के भार से बादल का घनत्व काफी बढ़ जाता है और फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है।
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