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अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है – नवरात्रि उत्सव —- शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें। —-

अंबा (वि द्युत) का प्रतिनिधित्व है – 

नवरात्रि उत्सव

शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें। माँ की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे। माँ दुर्गा आपको शक्ति, सामर्थ्य व शांति प्रदान करें

नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है।  नवरात्र भारतवर्ष में हिंदूओं द्वारा मनाया जाने प्रमुख पर्व है। इस दौरान माँ के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्र आते हैं लेकिन चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पड़ने वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं। बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को वासंती नवरात्र तो शरद ऋतु में आने वाले आश्विन मास के नवरात्र को शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। चैत्र और आश्विन नवरात्र में आश्विन नवरात्र को महानवरात्र कहा जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि ये नवरात्र दशहरे से ठीक पहले पड़ते हैं। नवरात्र के नौ दिनों में माँ के अलग-अलग रुपों की पूजा को शक्ति की पूजा के रुप में भी देखा जाता है।

मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि माँ के नौ अलग-अलग रुप हैं। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद लगातार नौ दिनों तक माँ की पूजा व उपवास किया जाता है। दसवें दिन कन्या पूजन के पश्चात उपवास खोला जाता है।

नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं। यह पूजा उसकी ऊर्जा और शक्ति की की जाती है।

नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी – समृद्धि और शांति की देवी, की पूजा करने के लिए समर्पित है। शायद व्यक्ति बुरी प्रवृत्तियों और धन पर विजय प्राप्त कर लेता है, पर वह अभी सच्चे ज्ञान से वंचित है। ज्ञान एक मानवीय जीवन जीने के लिए आवश्यक है भले हि वह सत्ता और धन के साथ समृद्ध है। इसलिए, नवरात्रि के पांचवें दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। सभी पुस्तकों और अन्य साहित्य सामग्रियों को एक स्थान पर इकट्ठा कर दिया जाता हैं और एक दीया देवी आह्वान और आशीर्वाद लेने के लिए, देवता के सामने जलाया जाता है।

सातवें दिन, कला और ज्ञान की देवी, सरस्वती, की पूजा की है। प्रार्थनायें, आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश के उद्देश्य के साथ की जाती हैं। आठवे दिन पर एक ‘यज्ञ’ किया जाता है। यह एक बलिदान है जो देवी दुर्गा को सम्मान तथा उनको विदा करता है।

नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कन्या पूजन होता है। कन्या पूजन के लिए अपने घर में 2 से 10 साल तक की कन्याओं को भोजन करने के लिए बुलाए। माना जाता है कि मां दुर्गा स्वयं कन्या रूप में आपके घर आती हैं। कन्याओं को भोजन कराने से माता बहुत प्रसन्न होती है। इस भोजन में कन्याओं को हलवा, पूरी और काले चने दिए जाते हैं। कन्या पूजन से आपके घर में धन-धान्य की कोई कमी नही रहती. परिवार सुखी रहता है और माता के आर्शिवाद से आपके घर में सुख-समृधि बनी रहती है। 

 

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Ghanshyam Chandra Joshi

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