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आने वाले समय में मानव शरीर का अभिन्न हिस्सा बन जाएगा स्मार्ट फोन

आने वाले समय में मानव शरीर का अभिन्न हिस्सा होगा स्मार्ट फोन, पढ़ें कैसे

भविष्य में एक हो जाएगा मोबाइल फोन और मानव रचना का शरीर। अब वैज्ञानिक लगातार इसी दिशा में खोज कर रहे हैं।

नई दिल्ली तकनीकी मानव जीवन के हर अंग में समाहित होती जा रही है। यदि तकनीकी में ऐसे ही परिवर्तन होता रहा है तो आने वाले कुछ सालों में आज के समय का स्मार्ट फोन मानव शरीर का एक अभिन्न हिस्सा बन जाएगा। तकनीकी इतनी विकसित हो जाएगी कि उसे मानव शरीर में फिट कर दिया जाएगा, उसके बाद उसे सिर्फ दिमाग से सोचना भर ही होगा बाकी काम दिमाग से मिलने वाले आदेशों से होगा। आपने दिमाग से किसी को फोन मिलाने के लिए सोचा, इतनी ही देर में शरीर में फिट मशीन उस काम को कर देगी।

यदि इस तरह की बातें आज पुराने समय के बुजुर्गों को बताई जाएं तो वो सीधे यही कहेंगे कि आज का आदमी भगवान हो गया है। जिस तरह से तकनीकी में लगातार इजाफा होता जा रहा है। हर चीज के लिए नई तकनीकी से हम रूबरू हो रहे हैं उससे आने वाले कुछ समय में इस तरह की तकनीकी का भी विकसित हो जाना कोई बड़ा  अचंभा जैसे नहीं होगा। कई पुराने खोज करने वाले आज भी इस तरह की तकनीकी को सहज बनाने के तरीकों की तलाश करने में लगे हुए हैं।


फ्यूचरिस्ट युवल नूह हारारी का कहना है कि जिस तरह से तकनीकी में क्रांति आ रही है वो आज के समय में मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी क्रांति होगी। कुछ सालों के बाद तकनीकी क्रांति मनुष्य के शरीर का हिस्सा हो जाएगी, उनका कहना है कि आज के समय में मनुष्य और तकनीक के बीच की रेखा बहुत ही धुंधली सी बच गई है। उन्होंने कहा कि पहले से ही प्रौद्योगिकीविद जीव विज्ञान के साथ तकनीक को सहज बनाने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं।

एक भविष्यवादी के अनुसार, मानव के लिए अगली खोज उसका खुद का शरीर ही होगा। फास्ट कंपनी के यूरोपियन इनोवेशन फेस्टिवल में एक बातचीत में इतिहासकार और अंतर्राष्ट्रीय बेस्टसेलिंग लेखक, युवल नूह हारारी ने कहा कि जो दौर चल रहा है उसको देखते हुए ये कहा जा सकता है कि इन दिनों मानव शरीर तकनीकी के साथ एक क्रैश कोर्स पर है। उनका कहना है कि ये कह पाना बहुत ही मुश्किल है कि आज के समय में कम्प्यूटर कहां से शुरू हो रहा है और हम कहां पर खत्म हो रहे हैं।

उनका कहना है कि भविष्य में ऐसा होगा कि स्मार्ट फोन को आपसे दूर कर पाना किसी भी तरह से संभव नहीं होगा। ये आपके शरीर या दिमाग में कहीं फिट कर दिया जाएगा। ये ऐसा बना हुआ होगा जो आपके दिमाग का डेटा और संवेदनाओं को स्कैन करता रहेगा, उसी हिसाब से काम होगा। ये इतनी बड़ी क्रांति होगी जिसके बारे में किसी ने सोचा नहीं होगा। जिस तरह से तकनीकी का विकास हो रहा है और वो बढ़ रही है उसी हिसाब से इन चीजों के बारे में भी सोचा जा रहा है। अगर हम अपने पूर्वजों को आज के जीवन के बारे में बताते हैं तो उन्हें लगता है कि हम पहले से ही भगवान हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि भले ही हमने अधिक संवेदनशील उपकरण विकसित किए हों, मगर हम अभी भी वैसे ही जानवर हैं। हालांकि, हरारी के विचार स्पष्ट हो सकते हैं लेकिन प्रौद्योगिकी के कुछ नेताओं ने पहले से ही मानव मस्तिष्क को मशीनों से जोड़ने की शुरुआत कर दी है।

टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलोन मस्क के निएरलिंक ने कंप्यूटर इंटरफेस के लिए एक मस्तिष्क पर शोध करने के लिए फंडिंग में करोड़ों डॉलर प्राप्त किए हैं। मस्क उम्मीद करते हैं कि मेमोरी में सुधार हो या विकलांगों में अंग कार्यक्षमता को बहाल कर सके।  इसी तरह, अमेरिकी रक्षा विभाग की उन्नत researche arm, DARPA, अनुसंधान निधि दे रही है जो सैनिकों की एक भावी पीढ़ी को अपने मन से मशीनों और हथियारों कोनियंत्रित करने की शक्ति दे सकती है।

मानव मस्तिष्क के साथ कंप्यूटरों से जुड़ेंगे ‘ फ्रंटियर्स इन न्यूरोसाइंस में प्रकाशित एक नए पेपर में, शोधकर्ताओं ने एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर काम किया जो अगले कई दशकों के भीतर ‘ह्यूमन ब्रेन / क्लाउड इंटरफेस’ की दुनिया में बढ़ते विकास की भविष्यवाणी करता है।  नैनोटेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य अधिक पारंपरिक कंप्यूटिंग के संयोजन का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं का कहना है कि मनुष्य इंटरनेट से वास्तविक समय में सूचनाओं को चमकाने के लिए अपने  दिमाग को कंप्यूटर के क्लाउड से कनेक्ट करने में सक्षम होंगे।

अनुसंधान के वरिष्ठ लेखक रॉबर्ट फ्रीटस जूनियर के अनुसार, हमारे दिमाग में एम्बेडेड नैनोबॉट्स का एक बेड़ा इंसानों के दिमाग और सुपर कंप्यूटरों को संपर्क करने का काम करेगा, ताकि सूचना के ‘मैट्रिक्स स्टाइल’ को डाउनलोड किया जा सके। ‘ये उपकरण मानव वास्कुलचर को नेविगेट करेंगे, रक्त-मस्तिष्क की बाधा को पार करेंगे, और मस्तिष्क कोशिकाओं के बीच या यहां तक ​​कि खुद को ठीक से निरूपित करेंगे।

फ्रेटास बताते हैं कि वे तब वायरलेस रूप से वास्तविक समय के मस्तिष्क-राज्य और डेटा निष्कर्षण के लिए क्लाउड-आधारित सुपर कंप्यूटर नेटवर्क से एन्कोडेड जानकारी को संचारित करेंगे। शोधकर्ताओं ने कहा कि इंटरफेस सिर्फ इंसानों और कंप्यूटरों को जोड़ने से नहीं रुकेंगे। दिमाग का एक नेटवर्क फॉर्म बनाने में भी मदद कर सकता है जिसे वे ‘वैश्विक सुपरब्रेन’ कहते हैं जो सामूहिक विचार के लिए अनुमति देगा। मनुष्यों और मशीनों को एकीकृत करना न केवल मनुष्यों को बेहतर बना सकता है, बल्कि भविष्य में दूर-दूर तक भी प्रजाति के लिए एक अनिवार्यता हो सकती है क्योंकि हम अपने ही ग्रह से बाहरी अंतरिक्ष की ओर बढ़ते हुए दिखते हैं।

हरीरी ने कहा कि मंगल पर पृथ्वी का सबसे कठिन बैक्टीरिया भी नहीं बच सकता है। होमो सेपियन्स अन्य ग्रहों या आकाशगंगाओं का उपनिवेश नहीं कर सकते। उनका कहना है कि यह संभव है कि हमारे दिमाग और शरीर को प्रभावित करने वाली प्रौद्योगिकी के अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं, बहुत कुछ जीवाश्म-ईंधन से चलने वाली मशीनों की तरह है जो एक जलवायु आपदा को बढ़ाते हैं।

दरअसल बुद्धि को बेहतर बनाने की दौड़ में, मानवता की अन्य चीजें जैसे दयालुता, करुणा या न्याय, पीछे छूट सकती हैं। हरारी का कहना है कि आज की गाय अधिक उत्पादक और विनम्र हैं, ‘पालतू गायों को अपने जंगली पूर्वजों की तुलना में कम चुस्त, कम जिज्ञासु होते है। प्रौद्योगिकी के साथ मानव जीव विज्ञान को बेहतर  बनाने का परिणाम प्रभावित होगा। आज के समय में नए लोगों की प्राथमिकताएं झूठी हैं, यही वजह है कि उन्होंने आज के तकनीकी सीईओ जैसे फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के साथ संवाद में विशेष रुचि ली है। उसके अनुसार यह उनके बिजनेस मॉडल का आधार है। उनके शेयरधारक इस बारे में क्या सोचेंगे? सबसे अच्छे इरादों के साथ, अब वे अपने द्वारा बनाई गई मशीनों द्वारा मोहित हो गए हैं।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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