“उत्तराखण्ड के जन जीवन के अनुकूल सामुदायिक विकास तथा क्षेत्रीय विकास से जुड़े विषय पर शोध हों” : मुख्यमंत्री
- मुख्यमंत्री ने बतायी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में स्थानीय जरूरत के अनुसार विषयों पर शोध की जरूरत।
उत्तराखण्ड के जन जीवन के अनुकूल विषयों पर हो शोध।
औद्यानिकी विश्वविद्यालय आउटपुट के बजाय आउटकम पर दे ध्यान।
विश्वविद्यालय परम्परागत उत्पादों को बढ़ावा देने में बने मददगार।
आकाश ज्ञान वाटिका, मंगलवार, 24 नवम्बर 2020, देहरादून (सू.ब्यूरो)। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को सचिवालय में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के जन जीवन के अनुकूल सामुदायिक विकास तथा क्षेत्रीय विकास से जुड़े विषय पर शोध हों। स्थानीय लोगों की जरूरत पर हुए शोध कैसे परिणामकारी हो सकते हैं, इस पर ध्यान दिया जाय। इस दिशा में विश्वविद्यालयों के साथ ही महाविद्यालयों को गम्भीरता से पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के माध्यम से क्षेत्र के हितों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय लोगों के हित में उनके स्तर पर क्या पहल हुई इस पर भी चिन्तन की जरूरत है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के कुलपति से क्षेत्र में स्थानीय लगों को उनकी आवश्यकता एवं उपलब्ध संसाधनों के अनुकूल प्रशिक्षण पर ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय आउटपुट नहीं आउटकम पर विशेष ध्यान दे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय यह देखे कि उनके द्वारा प्रशिक्षित कितने लोग इससे जुड़े हैं। इसका फोलोअप जरूरी है। पर्वतीय क्षेत्र में स्थापित इस विश्वविद्यालय से इस क्षेत्र के गाँवों को अधिक से अधिक फायदा हो, यह देखा जाय। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने आसपास के 10 गाँवों के विकास पर यदि ध्यान देगा तो इसका फायदा अन्य गाँवों को भी होगा। उन्होंने कहा कि हमारे परम्परागत उत्पादों को बढ़ावा देने तथा उनकी बेहतर मार्केटिंग के लिए भी विश्वविद्यालय को आगे आना होगा।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हमारे राज्य में जड़ी बूटी का प्रचुर भण्डार है, इसके कृषिकरण की दिशा में भी पहल होनी चाहिए। विश्वविद्यालयों की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हमारे पारम्परिक उत्पादों को बढ़ावा मिले तथा इसका फायदा भी स्थानीय लोगों को मिले। उन्होंने कहा कि जब जनरल थिमैया की पुत्री कौसानी में बिच्छु घास की चाय का व्यवसाय कर सकती है तो हमारे लोग क्यों नहीं ? लोगों में आत्मविश्वास जगाने की भी उन्होंने जरूरत बतायी।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ० धन सिंह रावत, विधायक श्री दीवान सिंह बिष्ट, मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश, प्रमुख सचिव आनन्द वर्धन, सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुन्दरम के साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं अधिकारी उपस्थित थे।