स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर जनता दर्शन हाॅल, मुख्यमंत्री आवास में आयोजित किया गया ‘राष्ट्रभक्ति कवि सम्मेलन’
“है नमन उनको जो इस देह को अमरत्व देकर, इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए”
डॉ० कुमार विश्वास, सुश्री कविता तिवारी, श्री राजीव राज, रमेश मुस्कान और तेजनारायण शर्मा ‘बेचैन’ ने अपनी कविताओं से समां बाँधा।
आकाश ज्ञान वाटिका, १२ जनवरी २०२१, मंगलवार, देहरादून (सू.ब्यूरो)। स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर जनता दर्शन हाॅल, मुख्यमंत्री आवास में आयोजित ‘राष्ट्रभक्ति कवि सम्मेलन’ में कवि डॉ० कुमार विश्वास, सुश्री कविता तिवारी, श्री राजीव राज, रमेश मुस्कान और तेजनारायण शर्मा ‘बेचैन’ ने अपनी कविताओं से समां बाँध दिया। कोविड-19 प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए सीमित संख्या में आमंत्रित किए गए लोगों के बीच राष्ट्र, संस्कृति, सेना की वीरता, मातृ शक्ति सहित विभिन्न विषयों पर काव्य प्रस्तुतियाँ की गईं। डॉ० कुमार विश्वास ने अपने अंदाज में कवि सम्मेलन को संचालित कर लोगों को कवि सम्मेलन में सहभागी बनाया। राष्ट्रभक्ति, देश के लिए बलिदान की भावना, भारतीय संस्कृति के महत्व पर प्रस्तुत की गई कविताओं पर सभागार दर्शकों की तालियों से गूँजता रहा। बीच-बीच में कवियों ने व्यंग्य से दर्शकों को हंसाया भी और कविताओं के माध्यम से संदेश भी दिया।
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कविताओं की गहराई को समझने की जरूरत
कार्यक्रम में अतिथि कवियों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्वामी विेवकानंद जी हम सभी के आदर्श हैं। उन्होंने पूरी दुनियां में भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता का परचम लहराया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति उस छाते की तरह है जिसके नीचे सभी दर्शन, विचार, मत, सम्प्रदाय खुली सांस के साथ आश्रय लेते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कवि मुक्त होते हैं, उन्हें मुक्त होना भी चाहिए। जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि। हमारा दायित्व है कि उनकी कविताओं की गहराईयों को समझें। कविताओं के संदेश को समझ कर हम समाज, शासन में सुधार करने की कोशिश भी करते हैं। मुख्यमंत्री ने सभी काव्य प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए कहा कि लम्बे समय बाद छोटे स्तर पर इस तरह का आयेाजन किया गया है। हमारा देश कोविड-19 से जंग जीतने की ओर है। वैक्सीनेशन भी शुरू किया जा रहा है। आशा है कि हम जल्द ही कोरोना से पूरी तरह से मुक्त होंगे और बड़े स्तर पर इस तरह का आयेाजन करेंगे।
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ये गंगा का किनारा है
इससे पहले डॉ० कुमार विश्वास ने “है नमन उनको जो इस देह को अमरत्व देकर, इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गए…………………………………………..है नमन उनको जिनके सामने बौना हिमालय, जो धरातल पर गिर पड़े, आसमानी हो गए’’ कविता से शहीदों को नमन किया।
डॉ० कुमार विश्वास ने गंगा पर भी कविता सुनाई जो उन्होंने उत्तराखण्ड में ही लिखी थी। ‘खिलौने साथ बचपन तक, जवानी बस रवानी तक, सभी अनुभव भरे किस्से बस बुढ़ापे की कहानी तक, जवानी में बस सहारे हैं बस जिंदगी भर के, मगर ये जिंदगी के आखिरी पल का सहारा है, ये गंगा का किनारा है, ये गंगा का किनारा है’’।
डॉ० कुमार विश्वास ने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है’ सहित अन्य कई कई कवितायें भी सुनाईं।[/box]
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[box type=”shadow” ]हमारा देश पावन आरती के थाल जैसा है
सुश्री कविता तिवारी ने मां शारदा की वंदना करते हुए अपनी ओजस्वी सुर में ‘‘धन द्रव्य सम्पदा तो नहीं माँग रही हूँ, जो माँग रही हूँ वो सही माँग रही हूँ, कविता की पंक्ति पंक्ति राष्ट्र जागरण बने, आशीष आप सब से यही माँग रही हूँ।’’ उत्तराखण्ड की दिव्यता और पवित्रता को नमन करते हुए उन्होंने ‘धरा यहाँ धरती के सम्मुनत भाल जैसा है, यहाँ की संस्कृति का रूप शुभटक साल जैसा है, कोई उपमा में सारे विश्व को कह दे शिवाला तो, हमारा देश पावन आरती के थाल जैसा है।’’ कविता सुनाई।
यादें झीनी रे
श्री राजेश राज ने बचपन पर आधारित कविता ‘यादें झीनी रे झीनी रे’ का मधुर गायन कर लोगों को बचपन की यादों में लौटा दिया।
श्री तेजनारायण शर्मा बेचैन ने कोरोना काल में घटित घटनाओं पर आधारित कविता प्रस्तुत की।[/box]
कार्यक्रम में केबिनेट मंत्री श्री मदन कौशिक, डॉ० हरक सिंह रावत, राज्य मंत्री डॉ० धन सिंह रावत, विधायक श्री गणेश जोशी, श्री हरबंस कपूर, सचिव श्रीमती राधिका झा, श्री दिलीप जावलकर, प्रसिद्व गायक श्री नरेंद्र सिंह नेगी, श्री प्रीतम भर्तवाण सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।