रामलीला का दूसरा दिन – विश्वामित्र द्वारा विद्या सिखाने के लिए राम-लक्ष्मण को ले जाने, ताड़का वध, सीता जन्म के दृश्यों का किया गया मंचन
आकाश ज्ञान वाटिका। देवभूमि रामलीला एवं लोक कला समिति की ओर से मर्यादा पुरोषत्तम भगवान श्रीरामचन्द्र जी की कल्याणकारी संगीतमय रामलीला का आयोजन सोमवार, १४ अक्टूबर २०१९ से “लक्ष्मी गार्डन (वैडिंग प्वाइंट)”, लक्ष्मीपुरम, लोअर तुनवाला, देहरादून में प्रतिदिन सायं ८ (आठ) बजे से बड़ी धूमधाम से किया जा रहा है।
कल अर्थात १४ अक्टूबर, प्रथम दिन के रामलीला का मंचन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि वरिष्ठ नागरिक लक्षमण सिंह ने किया, इसके बाद विष्णुलीला व रावण तपस्या का मंचन किया । पहले दिन दर्शक जहाँ एक ओर श्रवण पर तीर लगने का मंचन देखकर भावुक हुए वहीं दूसरी ओर श्रीराम का जन्म होने पर खुशियां मानाने लगे। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष रेवाधर इस्टवाल ने बताया कि भगवान श्रीराम की लीलाओं के मंचन की व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। प्रत्येक दिन रामलीला का शुभारम्भ रात 8 बजे से किया जाएगा। राम भक्तों से प्रतिदिन रामलीला में पहुंचकर धर्मलाभ उठाने की अपील की है। इस अवसर पर देवेन्द्र नेगी, दिनेश धस्माना,अशोक विडला नवीन ढौंडियाल,दीपक कंडारी,विजय नेगी,नरेन्द्र नेगी भगवान विष्णु का अभिनय किया, लक्ष्मण नेगी मौजूद रहे।
आज मंगलवार, १५ अक्टूबर, रामलीला का दूसरा दिन है। आज ताड़का वध और सीता जन्म का मंचनकिया गया। श्रीरामलीला देखने के लोग काफी उत्साह के साथ आ रहे हैं। दूसरे दिन की रामलीला का शुभारम्भ मुख्य अतिथि पार्षद स्वाति डोभाल और विशिष्ट अतिथि राकेश बिजल्वाण ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मंगलवार को दूसरे दिन के मंचन में विश्वामित्र द्वारा विद्या सिखाने के लिए राम, लक्ष्मण को ले जाने, ताड़का वध, सीता जन्म के दृश्यों का मंचन किया गया। गणेश वंदना के बाद ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास जाते हैं। राजा दशरथ से विश्वामित्र ने श्रीराम लक्ष्मण को मांगा तो वे विचलित हो गए। अंत में उन्हें पुत्र मोह छोड़कर ऋषि के साथ भेजना पड़ा। रास्ते में ताड़का नाम की राक्षसी का वध करने के बाद राक्षसों द्वारा ऋषि मुनियों के यज्ञों में बाधा उत्पन्न करने का दृश्य का मंचन किया गया।
दूसरे दिन की रामलीला में जनक द्वारा खेत में हल चलाने के दौरान सीता जन्म का भी दृश्य का मंचन किया गया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष रेवाधर ईस्टवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील ढौंडियाल, नरेन्द्र नेगी, देवेन्द्र नेगी, युद्धवीर गुसांई, महेश पोखरियाल, अरुण नौटियाल, अजय ढौंडियाल मौजूद रहे।