‘‘बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने, सड़क पर सामान विक्रय करने व किसी के द्वारा उनसे काम करवाने पर सख्ती से रोकथाम लगायें’’ : जिलाधिकारी
‘‘बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने, सड़क पर सामान विक्रय करने व किसी के द्वारा उनसे काम करवाने पर सख्ती से रोकथाम लगायें’’ : जिलाधिकारी
आकाश ज्ञान वाटिका, शुक्रवार, 6 नवम्बर 2020, देहरादून (जि.सू.का.)। ‘‘बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने, सड़क पर सामान विक्रय करने व किसी के द्वारा उनसे काम करवाने पर सख्ती से रोकथाम लगायें।’’ यह निर्देश जिलाधिकारी डाॅ० आशीष कुमार श्रीवास्तव ने श्रम विभाग के समन्वय से आयोजित की गई जिला टास्क फोर्स समिति की बैठक में श्रम विभाग, पुलिस विभाग और समिति के सदस्यों को दिए।
जिलाधिकारी ने कुछ स्थानों पर बच्चों से करवाई जा रही भिक्षावृत्ति, विभिन्न तरह के सामान का विक्रय करने और कुछ स्थानों पर काम करवाए जाने की सूचना पर चिन्ता व्यक्त करते हुए श्रम विभाग, पुलिस विभाग और बच्चों के कल्याण से जुड़े समाज कल्याण, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और इससे जुड़ी चाईल्ड हेल्पलाईन, जिला बाल कल्याण समिति, बचपन बचाओ आन्दोलन जैसे संगठनों को सख्ती से निर्देश दिए कि जनपद में कहीं पर भी कोई भी बच्चा भिक्षावृत्ति माँगता, विभिन्न वस्तुओं को बेचता और किसी के यहाँ काम करता हुआ न पाया जाए। इसके लिए सभी विभाग और समिति से जुड़े सदस्य आपसी समन्वय से विभिन्न स्थानों पर समय-समय पर विशेष अभियान चलाकर ऐसे बच्चों को रेस्क्यू करें तथा रेस्क्यू किए गए बच्चों के अभिभावकों अथवा जिसकी निगरानी में ऐसा कर रहें हैं उन तक पहुँचें। यदि किसी बच्चे के अभिभावक मजबूरीवश ऐसा कर रहे हैं तो उनकी कांउसिलिंग करवाकर मुख्य विकास अधिकारी और सेवायोजन विभाग के सहयोग से उनके अभिभावक/माता-पिता को स्किल्ड प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ें तथा जो लोग बच्चों की मजबूरी अथवा अन्य प्रलोभन के चलते भिक्षावृत्ति करवा रहे हैं व बच्चों से सामान बेचने अथवा कोई ऐसा काम करवा रहे हैं जो बच्चों को नहीं करना चाहिए उन पर प्राथमिकी दर्ज करते हुए सख्त वैधानिक कार्यवाही करें, ताकि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को बड़ा सबक मिल सके। यदि रेस्क्यू किए गए बच्चों के सम्बन्ध में कोई नियोजक उनके 18 वर्ष होने का दावा करता है अथवा बच्चे का फर्जी आधार कार्ड अथवा परिचय पत्र बनवाकर उनसे काम लेता है तो वास्तविक नियमों के अधीन कार्यवाही करें।
जिलाधिकारी ने कहा कि रेस्क्यू किए गए ऐसे बच्चों जिनके कोई भी वैधानिक माता-पिता अथवा अभिभावक नहीं हैं तो उनको समाज कल्याण विभाग के समन्वय से बालगृहों में भिजवायें जहाँ पर उनका मानकों के तहत् उचित पालन पोषण करवायें साथ ही ऐसे बच्चों की स्कूलिंग, मनोरंजन और स्किल्ड पर भी ध्यान दें।
जिलाधिकारी ने जनपद में कुछ थानों और पुलिस चौकियों को ‘‘बाल फै्रण्डली’’ बनाने की प्रक्रिया पर भी काम करने को कहा जहाँ पर बच्चा तनावमुक्त व दबावमुक्त महसूस करें तथा वहाँ का समस्त स्टाॅफ बाल फ्रेंडली हो। जिलाधिकारी ने टास्क्फोर्स समिति द्वारा रेस्क्यू अभियान के दौरान पुलिस का सहयोग लेते हुए कार्यवाही करने को कहा साथ ही किसी गोपनीय सूचना अथवा स्वयं के औचक निरीक्षण पर बाल अत्याचार से सम्बन्धित बातों के संज्ञान में आने पर भी रेस्क्यू अभियान चलाने के निर्देश दिए।
उन्होंने श्रम विभाग को निर्देशित किया कि बच्चों के डेटा से सम्बन्धित ‘‘पेन्सिल पोर्टल’’ पर आ रही तकनीकी खामियों को भारत सरकार के समन्वय से दुरूस्त करें तथा टास्कफोर्स समिति से जुड़े विभिन्न विभागों व एजेसिंयों से बेहतर तालमेल बनाने और आपसी सूचनाओं के अद्यतन में अग्रिम भूमिका निभाते हुए बच्चों से सम्बन्धित अत्याचारों व अपराधों पर लगाम लगायें।
इस दौरान वीडियोकान्फ्रेसिंग के माध्यम से सम्पन्न बैठक में सहायक श्रम आयुक्त एस.सी. आर्य, पुलिस क्षेत्राधिकारी मसूरी नरेन्द्र पंत, अपर चिकित्साधिकारी डाॅ० दिनेश चैहान, बेसिक जिला शिक्षाअधिकारी राजेन्द्र रावत सहित, सीडब्लूसी चाइल्ड हैल्पलाईन सहित समिति के सदस्य उपस्थित थे।