प्रधानमंत्री मोदी के कुमाऊँ दौरे से धार्मिक तीर्थाटन को मिलेगी जेट स्पीड
आकाश ज्ञान वाटिका, शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023, देहरादून। कुमाऊँ के धार्मिक तीर्थाटन को मिलेगी जेट स्पीड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 और 12 अक्टूबर को कुमाऊँ मंडल दौरे को लेकर पर्यटन और तीर्थाटन को दुनिया के सामने लाकर एक नई पहचान देने का काम करेंगे। पीएम के दौरे से उत्साहित कारोबारी यहाँ आने वाले दिनों में उम्मीद से अधिक तीर्थ यात्री आने से एक नई सूरत बदलते समय का इंतजार कर रहे है। प्रधानमंत्री का कुमाऊँ मंडल का धार्मिक यात्रा दौरा मील का पत्थर उत्तराखंड के टूरिज्म के लिए होने जा रहा है। पीएम के दौरे से न सिर्फ देश दुनिया में सुरक्षित कुमाऊँ का संदेश जाएगा। बल्कि कुमाऊँ में स्थित भगवान शिव से जुड़े ऊँ पर्वत, आदि कैलाश, कैलाश मानसरोवर, जागेश्वर धाम जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों की ब्रांडिंग सीधे पूरी दुनिया में हो जाएगी। इस दौरे को लेकर दरमा, व्यास, चौंदास घाटी के स्थानीय लोग भी बेहद उत्साहित हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा सामरिक संदेश भी देगा। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी चीन सीमा से मात्र कुछ किमी की दूरी पर रहेंगे, ऐसे में पूरी दुनिया के साथ ही चीन को भी भारत की बढ़ती शक्ति के संदेश पहुंचा देगा।
कुमाऊँ में तीर्थाटन की बात करें तो जागेश्वर सबसे बड़ा शिव धाम है। पर यहाँ तक श्रद्धालु काफी कम संख्या में पहुंच पाते है। आदि कैलाश व ऊँ पर्वत की यात्रा सड़क ना होने के कारण 2019 तक पैदल ही हो पाती थी। इस बेहद दुर्गम हिमालयी इलाके में सड़कों की अब गाड़ियों के लिए सड़क बन चुकी है। साथ ही आधारभूत ढांचे की स्थिति में अब तेजी से सुधार हो रहा है। पर सड़क होने के बावजूद यहाँ भी केवल गिनती के ही श्रद्धालु पहुंच पाते हैं। यदि गढ़वाल की चारधाम यात्रा से इसकी तुलना की जाए तो कुमाऊँ में तीर्थयात्रियों की संख्या साल में बामुशकिल दो लाख के पार हो पाती है। ऐसे में सरकार की इस इलाके को शिवा तीर्थ सर्किट बनाकर प्रमोट करने जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी भी आदि कैलाश, ऊँ पर्वत, जागेश्वर धाम में दर्शन करेंगे। इसके अलावा वह चीन सीमा से दिखने वाले कैलाश मानसरोवर पर्वत के व्यू प्वाइंट का भी शुभारंभ कर सकते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुमाऊं दौरा इन सब तीर्थस्थलों की न सिर्फ ब्रांडिंग कर देगा। बल्कि देश की जनता तक यह संदेश भी पहुंच जाएगा कि कुमाऊँ के तीर्थस्थलों तक पहुंचने की सारी सुविधाएं उपलब्ध हो चुकी हैं। यात्री सीधे अपने वाहनों में बैठकर ऊँ पर्वत, आदि कैलाश से लेकर भागवान शिव के घर कैलाश पर्वत तक के दर्शन कर सकते हैं। भगवान शिव के पौराणिक मंदिर जागेश्वर व बागेश्वर मंदिर समूहों तक पहुंचना भी श्रद्धालुओं के लिए आसान हो जाएगा। ऐसे में पीएम मोदी का यह दौरा कुमाऊं के लिए एतिहासिक साबित होगा।
भारत चीन सीमा से कैलाश पर्वत के दर्शन करेंगे भारतीय
कोरोना के बाद से चीन ने भारतीय श्रद्धालुओं के लिए कैलाश मानसरोवर दर्शन का वीजा देना बंद कर दिया है। इस कारण भारतीय श्रद्धालु भागवन शिव के निवास माने जाने वाले कैलाश पर्वत के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं। इसके विकल्प के तौर पर भारत सरकार ने ऊँ पर्वत से ठीक छह किमी दूरी पर स्थित ओल्ड लिपुलेख पास से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन करवाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। दरअसल ओल्ड लिपुलेख पास से कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं। यह ठीक चीन सीमा के नजदीक है। यहाँ पर व्यू प्वाइंट बना दिया गया है जहाँ तक पहुंचने की सड़क भी तैयार हो चुकी है।
पूरे देश में होगी कुमाऊँ की ब्रांडिंग
प्रधानमंत्री मोदी जब भी किसी जगह जाते हैं तो उसकी कवरेज पूरे देश की मीडिया करती है। इतिहास साबित करता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब भी किसी तीर्थस्थल की यात्रा पर पहुंचे। उसके बाद वहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। उनकी केदारनाथ व बद्रीनाथ की यात्रा इसकी गवाह रही है। इसी तरह काशी विश्वनाथ मंदिर, उज्जैन के महाकाल मंदिर में भी प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद लाखों की संख्या में श्रद्धालु बढ़ गए। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के कुमाऊँ दौरे से यहाँ के शिव तीर्थ स्थलों तक भी श्रद्धालुओं व पर्यटकों की संख्या में इजाफा होना तय माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा इन स्थलों का प्रमोट करने से, देश और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को यहां के सुंदर दृश्य, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करने का अवसर मिलेगा।