उत्तराखंड पुलिस अब साइबर ठगों की धरपकड़ के लिए अन्य राज्यों की पुलिस से लेगी मदद
आकाश ज्ञान वाटिका, 3 अप्रैल 2021, शनिवार, देहरादून। साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने कमर कस ली है। साइबर ठगों की धरपकड़ के लिए अब उत्तराखंड पुलिस अन्य राज्यों की पुलिस से समन्वय बनाएगी। पुलिस मुख्यालय की ओर से इसका प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया है। गृह मंत्रालय की संस्तुति के बाद तय हो जाएगा कि उत्तराखंड पुलिस का समन्वय किन राज्यों से किया जाना है। वर्तमान में साइबर ठग झारखंड के जामताड़ा, हरियाणा के मेवात, राजस्थान के भरतपुर या फिर उत्तर प्रदेश के मथुरा में बैठकर भोले भाले व्यक्तियों के खाते पर सेंध लगा रहे हैं।
उत्तराखंड पुलिस के पास समन्वय टीम बनाने का विचार उत्तर प्रदेश से आया है। फरवरी 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली, पश्चिम बंगाल, झारखंड व बिहार के साथ समन्वय बनाकर एक टीम बनाई। यह टीम जरूरत पडऩे पर एक दूसरे का सहयोग करती है। जिन स्थानों से साइबर ठगी की घटना को अंजाम दिया जा रहा है, उन्हें जोन में बांटा गया है। उत्तराखंड किस को-ऑर्डिनेशन जोन में आएगा, इसका फैसला होना अभी बाकी है। स्पेशल टास्क फोर्स के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए केंद्रीय मंत्रालय को भेजा। इस संबंध में बीते 30 मार्च को ऑनलाइन बैठक भी हुई थी।
मौजूदा समय में साइबर ठगी के अधिकतर मामलों को झारखंड, राजस्थान, हरियाणा व उत्तर प्रदेश में बैठे साइबर ठग अंजाम दे रहे हैं। समन्वय टीम बनने के बाद जिस राज्य से ठगी की घटना को अंजाम दिया जाएगा। उत्तराखंड पुलिस उस राज्य की पुलिस से अपराध को लेकर जानकारी साझा करेगी। साथ ही यदि आरोपित कपड़ा जाता है तो उसके संबंध में भी जानकारी साझा की जाएंगी। यदि आरोपित उत्तराखंड के किसी मामले में संलिप्त पाया जाता है तो उत्तराखंड पुलिस उसे रिमांड पर देहरादून भी लाएगी।
साइबर क्राइम को लेकर झारखंड का जामताड़ा पूरे देश में प्रसिद्ध हो चुका है। लेकिन, हरियाणा का मेवात, उप्र का मथुरा व राजस्थान का भरतपुर अब मिनी जामताड़ा के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। एसएसपी अजय सिंह बताते हैं कि बॉर्डर एरिया में पड़ते तीनों क्षेत्र पूरी तरह से ब्लैक स्पॉट हैं। तीनों इलाकों के बीच के एरिया में जो मोबाइल टावर की रेंज है वह ब्लैक स्पॉट एरिया है। अगर तीनों के बीच वाली जगह से कोई फोन करता है तो ये पता कर पाना मुश्किल है कि अपराधी किस राज्य में रहकर घटना को अंजाम दे रहा है। मौजूदा समय में 70 प्रतिशत से अधिक साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम यहीं से दिया जा रहा है।
- ठगों की टीम की एक महिला सदस्य साजिश के तहत पहले पीड़ित से फेसबुक पर दोस्ती करती है। उसके बाद एक-दूसरे के मोबाइल नंबर साझा किए जाते हैं। फिर महिला पीड़ित से न्यूड वीडियो कॉल करती है। ठग इन कॉल को रिकॉर्ड कर लेते हैं और फिर पीड़ित को भेजकर ब्लैकमेल करते हैं।
- ठग फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर ओएलएक्स पर सामान बेचने या खरीदने की बात करते हैं। वह खुद को आर्मी का जवान बताकर ठगी की घटना को अंजाम देते हैं।
- साइबर ठग हमारी गलतियों का फायदा उठाकर नकली फेसबुक आइडी बना लेते हैं और फिर फेसबुक फ्रेंड्स को मैसेज कर एमरजेंसी के बहाने पैसे मांगते हैं।