उत्तराखंड पुलिस जनता के लिए मित्र बनेगी और बदमाशों के लिए खौफ : अशोक कुमार
[box type=”shadow” ]नए पुलिस मुखिया ने कहा :
- पहाड़ में कायॅरत पुलिस कर्मी मैदान और मैदान में जमे पुलिस कर्मी पहाड़ जायेंगे।
- जनता को न्याय दिलाना पुलिस का काम है, जिसके लिए जनता को साथ रखना होगा।
- सिपाही से लेकर डीजी तक को कार्यशैली में सुधार करना होगा।
- ऐसी व्यवस्था तैयार की जाएगी जिससे साइबर सेल में भी जीरो एफआईआर की जा सके।
- उत्तराखंड विशेषकर देहरादून में नशा एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है।
आकाश ज्ञान वाटिका, सोमवार, 30 नवम्बर 2020, देहरादून। 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार उत्तराखण्ड के 11वें पुलिस महानिदेशक बने। उत्तराखंड के नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के रूप में आईपीएस अशोक कुमार ने आज कार्यभार संभाल लिया है। राज्य पुलिस मुख्यालय में उन्होंने पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी से कार्यभार ग्रहण किया। पदभार संभालते ही उत्तराखंड के नए डीजीपी अशोक कुमार ने पहला सर्कुलर जारी किया। उन्होंने मीडिया को भी अपनी प्राथमिकतायें और लक्ष्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पीड़ित केंद्रित पुलिसिंग ही उनका लक्ष्य होगा। इसके लिए पुलिस कर्मियों के दृष्टिकोण और आदतों में सुधार करते हुए उनकी परफॉर्मेंस को बढ़ाया जायेगा। उन्होंने कहा कि जनता को न्याय दिलाना पुलिस का काम है, जिसके लिए जनता को साथ रखना होगा।
पुलिस मुख्यालय में उन्होंने पहली पत्रकार वार्ता में कहा कि उत्तराखंड पुलिस जनता के लिए मित्र बनेगी और बदमाशों के लिए खौफ। इसके लिए सिपाही से लेकर डीजी तक को कार्यशैली में सुधार करना होगा। यदि कोई भी इस सिद्धांत से परे हटकर काम करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस को स्मार्ट बनाना है तो इसके लिए दक्षता को बढ़ाना होगा।
थानों में जन शिकायतों को शत-प्रतिशत रिसीव कर समय पर उनका निस्तारण किया जाएगा। शिकायत रिसीव नहीं करने पर दोषी पुलिसकर्मियों को दंडित किया जाएगा क्योंकि यदि शिकायत रिसीव ही नहीं हुई तो जनता को न्याय दिलाने का प्रयास ही विफल हो जायेगा। उन्होंने पुलिसकर्मियों की हर समस्या का नि:स्तारण करने की बात भी कही। पुलिस रूल के हिसाब जो सही है उसी के आधार पर पुलिस कर्मियों के तबादले आदि किए जायेंगे।
अनुपात के हिसाब से पहाड़ और मैदानी क्षेत्रों में पुलिस कर्मियों की पोस्टिंग की जाएगी
- पुलिस मुख्यालय में अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए अभी तक छह समितियाँ काम कर रही थीं। डीजीपी अशोक कुमार ने अब इन समितियों की संख्या बढ़ाकर 9 कर दी है। उन्होंने बताया कि अनुपात के हिसाब से पहाड़ और मैदानी क्षेत्रों में पुलिस कर्मियों की पोस्टिंग की जायेगी। इसके लिए जल्द ही समिति रिपोर्ट तैयार करेगी। इससे जल्द ही मैदान में रुके पुुलिस कर्मियों को पहाड़ और पहाड़ में लंबे समय से ड्यूटी कर रहे पुलिस कर्मियों को मैदानी क्षेत्रों में लाया जाएगा।
पुलिस मुख्यालय के नए भवन के लिए प्रयास किया जाएगा
- डीजीपी ने कहा कि पुलिस मुख्यालय के नए भवन के लिए भी प्रयास किया जाएगा। इसके लिए हर संभव प्रक्रिया को अपनाते हुए प्रस्ताव भेजा जाएगा। ताकि लंबे समय से अटका यह काम जल्द पूरा हो सके।
ऐसी व्यवस्था तैयार की जाएगी जिससे साइबर सेल में भी जीरो एफआईआर की जा सके
- साइबर सुरक्षा को डीजीपी ने प्रमुख चुनौतियों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दो साइबर थाने हैं। एक पहले से काम कर रहा है जबकि दूसरा जल्द ही क्रियाशील हो जाएगा। लेकिन इससे पहले एक ऐसी व्यवस्था की जाएगी जो हर जिलों में पीड़ित को राहत पहुँचा सके। वर्तमान में साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। लेकिन आईटी एक्ट के तहत विवेचना का अधिकार केवल इंस्पेक्टर को है। ऐसे में जिलों की साइबर सेल जाँच तो कर देती है, लेकिन मुकदमा दर्ज करने का अधिकार उन्हें नहीं है। इसके लिए भविष्य में एक ऐसी व्यवस्था तैयार की जाएगी जिससे साइबर सेल में भी जीरो एफआईआर की जा सके।
पुलिस की हर समस्या का 100 फीसदी निस्तारण किया
- पुलिसकर्मियों की शिकायतों और समस्याओं के निराकरण के लिए अभी तक लंबा समय लग रहा था। लेकिन इस समय को कम करने के लिए समिति का गठन किया जाएगा। इसमें अधिकारी शामिल रहेंगे। इससे आने वाले समय में पुलिस की हर समस्या का 100 फीसदी निस्तारण किया जा सकेगा। इसके लिए एक व्हाट्सएप नंबर भी जल्द जारी किया जाएगा।
नशा एक बड़ी चुनौती – अग्रिम रणनीति की जायेगी तैयार
- उत्तराखंड विशेषकर देहरादून में नशा एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। इस पर पुलिस बीते चार सालों से काम कर रही है। काफी हद तक सफलतायें भी मिली हैं। लेकिन अब इसे सबसे बड़ी चुनौती मानते हुए पुलिस और प्रभावी ढंग से काम करेगी सभी जिलों से इस पर सुझाव लिए जायेंगे और अग्रिम रणनीति तैयार की जायेगी।