मातृ दिवस पर विशेष – अपने लिए कुछ भी कभी क्या जोड़ती है माँ….
आकाश ज्ञान वाटिका, 10 मई 2020, रविवार। मातृ दिवस माता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। एक माँ का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक माँ का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, उसके बिना यह दुनियाँ अधूरी है।
मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य माँ के प्रति सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करना है।
8 मई, 1914 को अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को एक संयुक्त प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया, जिसे ‘मदर्स डे’ के रूप में मनाया गया। यह दिवस अब दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हैं।
भारत में मातृ दिवस की खास परम्परा हैं। भारत में पृथ्वी को भी माँ की संज्ञा दी जाती है व भारत में माता की भगवान/देवी स्वरूप में भी पूजा की जाती है इसलिए भारत में मातृ दिवस भी खास महत्व रखता है।
मदर्स डे का इतिहास यह भी माना जाता है, “सन 1912 में मदर्स डे की शुरूआत अमेरिका से हुई। एना जार्विस नाम की अमेरिकी कार्यकर्ता अपनी माँ से बेहद प्यार करती थीं। उन्होंने कभी शादी नहीं की। माँ की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की। जिसे बाद में 10 मई को पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा। भारत में यह दिन, माँ को सम्मान एवं प्यार देने के उद्देश्य से प्रति वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है।”
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माँ
अपने लिए कुछ भी कभी क्या जोड़ती है माँ………………………..
अपने लिए कुछ भी कभी क्या जोड़ती है माँ ।
औलाद की खातिर शिला भी तोड़ती है माँ ।
बेटे भले दो चार हों या तीन बेटियाँ,
क्या भूख से रोता किसी की छोड़ती है माँ ।
गर आँधियाँ आयें कभी बच्चों की राह में ,
तूफान के भी होंसलों को मोड़ती है माँ ।
जब दौड़ में शामिल हुई बेटी स्कूल में,
तब हर कदम पे साथ उसके दौड़ती है माँ ।
देखा नहीं हमने कभी ईश्वर जमीन पे,
लगता उसी की बागवानी गोड़ती है माँ ।
क्या जानते थे हम यहाँ दुनियाँ जहान को,
अज्ञानता का घट हमारा फोड़ती है माँ ।
बेसक गरीबी भुखमरी आये नसीब में ,
गर्दन बुरे हालात की झकझोड़ती है माँ ।
वो दूध जो “हलधर” पिये थे खून देह था,
संतान मुँह अमृत सुधा निचोड़ती है माँ ।
साभार:
कविवर जसवीर सिंह ‘हलधर’
मो० : 9897346173
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