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जानिए उत्तराखण्ड के किन विद्यालयों की उपेक्षा से खफा हैं शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और क्यों ?

आकाश ज्ञान वाटिका, 31 अगस्त 2021, मंगलवार, देहरादून। प्रदेश में राजकीय अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के फीडर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की सुध नहीं ली जा रही है। इन विद्यालयों से ही बच्चे आगे चलकर अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में दाखिला पायेंगे। इन विद्यालयों की उपेक्षा से शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय खफा हैं।

प्रदेश में सरकार ने हर ब्लाक में दो-दो राजकीय उत्कृष्ट विद्यालय खोले हैं। सीबीएसई से मान्यता प्राप्त 189 अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में पढ़ाई प्रारंभ हो चुकी है। सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए इन विद्यालयों के समीप 898 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बतौर फीडर विद्यालय चिह्नित किया है।

दरअसल, फीडर विद्यालयों का चयन सरकार को मजबूरी में भी करना पड़ा है। प्रदेश में सभी अटल उत्कृष्ट विद्यालयों को सीबीएसई से मान्यता दिलाई गई है। इन विद्यालयों के कक्षा 1 से 12वीं तक मान्यता मिली है। सीबीएसई के मानकों पर खरा उतरने वाले राजकीय इंटर कालेजों को अटल उत्कृष्ट विद्यालय बनाया गया है।

प्रदेश में राजकीय इंटर कालेज छठी से 12वीं कक्षा तक संचालित होते हैं। कक्षा एक से पांचवीं तक सरकारी प्राथमिक विद्यालय अलग से संचालित हो रहे हैं। सीबीएसई की शर्त देखते हुए सरकार ने अटल उत्कृष्ट के नजदीकी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को फीडर विद्यालयों का दर्जा दिया है। फीडर प्राथमिक विद्यालयों में अंग्रेजी भाषा के व्यवहारिक ज्ञान के साथ अंग्रेजी विषय की पढ़ाई अनिवार्य की गई है। इन विद्यालयों में कंप्यूटर में दक्ष शिक्षकों को तैनाती में वरीयता दी जाएगी।

फीडर प्राथमिक विद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मानक के मुताबिक पठन-पाठन का माध्यम हिंदी रखा गया है। फीडर उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पठन-पाठन का माध्यम हिंदी व अंग्रेजी दोनों है। इन विद्यालयों में अनिवार्य रूप से अंग्रेजी विषय के एक सहायक अध्यापक की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इन फीडर विद्यालयों की व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर विभागीय अधिकारियों की हीलाहवाली शिक्षा मंत्री को नागवार गुजरी।

बीते रोज विभागीय समीक्षा बैठक में उन्होंने फीडर विद्यालयों के लिए लागू व्यवस्था को अमलीजामा पहनाने के निर्देश दिए। शिक्षा मंत्री ने शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों को फीडर विद्यालयों में भेजकर वस्तुस्थिति सामने लाने को कहा है।

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Ghanshyam Chandra Joshi

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