Breaking News :
>> कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल के 38वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में किया प्रतिभाग>>तमन्ना भाटिया के प्रशंसकों को मिला तोहफा, ‘ओडेला 2’ का नया पोस्टर जारी>>प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रोजगार मेला’ के तहत 71,000 युवाओं को सौंपे नियुक्ति पत्र>>सर्दियों में भूलकर भी बंद न करें फ्रिज, वरना हो सकता है भारी नुकसान, ऐसे करें इस्तेमाल>>कुवैत ने पीएम मोदी को अपने सबसे बड़े सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ से किया सम्मानित >>मुख्यमंत्री धामी ने 188.07 करोड़ की 74 योजनाओं का किया लोकर्पण और शिलान्यास>>अब सब विपक्षी दल वापस एकजुट होने लगे>>निकाय चुनाव- पर्यवेक्षकों की टीम आज पार्टी नेतृत्व को सौंपेंगे नामों के पैनल>>हमारी टीम घर-घर जाकर संजीवनी योजना और महिला सम्मान योजना के लिए करेगी पंजीकरण- अरविंद केजरीवाल>>चोटिल हुए भारतीय टीम के कप्तान, 26 दिसंबर से शुरु होने वाले चौथे सीरीज के मुकाबले पर छाया संकट >>साल 2047 में भारत को विकसित बनाने में भारतीय कामगारों की रहेगी अहम भूमिका- प्रधानमंत्री मोदी >>कॉकटेल के सीक्वल पर लगी मुहर, शाहिद कपूर के साथ कृति सेनन और रश्मिका मंदाना मचाएंगी धमाल>>ट्रिपल जश्न के लिए तैयार हुई पहाड़ों की रानी, यातायात व्यवस्था को लेकर पुलिस-प्रशासन ने तैयारियों को दिया अंतिम रुप >>सर्दियों में आइसक्रीम खाना सही है या नहीं? जानिए डाइटिशियन की राय>>बाबा साहेब के अपमान पर कांग्रेस ने किया उपवास, भाजपा को कोसा>>महाकुंभ में उत्तराखंड का होगा अपना पवेलियन, प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने की निःशुल्क भूमि आवंटित>>वन नेशन, वन इलेक्शन से विकास की नई ऊंचाइयों को हासिल करेगा देश>>मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल देहरादून ने सर्दियों में बढ़ते हार्ट अटैक के प्रति किया जागरुक>>बेरोजगार आंदोलन को फंडिंग करने वालों पर मुख्यमंत्री सख्त, होगी जांच>>अरविंद केजरीवाल ने ‘डॉ. आंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप’ योजना का किया एलान, दलित समाज के बच्चों का सपना होगा साकार
उत्तराखण्डधार्मिकसंस्कृति-कला

भगवान विष्णु के 8वें अवतार द्वारकाधीश श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव : जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, वृंदावन और द्वारका में 19 अगस्त को ही मनाया जाएगा “कृष्ण जन्माष्टमी का भव्य पावन उत्सव”

आकाश ज्ञान वाटिका, 18 अगस्त 2022, गुरूवार, देहरादून। हिन्दू धर्म के भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु के 8वें अवतार मान गया है। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के 12 बजे हुआ था। इसलिए यह दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव (जन्माष्टमी) के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। गोकुल में यह त्योहार ‘गोकुलाष्टमी’ के नाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को गोपाल, केशव, द्वारकेश, द्वारकाधीश, कन्हैया, श्याम, वासुदेव आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है। श्रीकृष्ण निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था तथा उन्हें इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष एवं युगावतार की उपाधि से अलंकृत किया गया है।

श्रीकृष्ण पिता वासुदेव और माता देवकी की आठवीं संतान थे। श्रीमद भागवत के वर्णनानुसार द्वापर युग में मथुरा में भोजवंशी राजा उग्रसेन राज करते थे। उनका एक तानाशाह एवं प्रजापीड़क पुत्र कंस था और उनकी एक बहन देवकी थी। देवकी का विवाह वसुदेव के साथ हुआ था। कंस ने अपने पिता को कारगर में डाल दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। मान्यताओं के अनुसार कंस की मृत्यु उनके भानजे यानि देवकी की आठवीं संतान के हाथों होनी कही जाती थी। कंस ने अपनी मृत्यु के भय से बहिन देवकी और वसुदेव को कारागार में क़ैद किया हुआ था। एक के बाद एक देवकी की सभी संतानों को मार दिया। कृष्ण का जन्म भी कारगार में हुवा था। कृष्ण जन्म के समय चारों तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था और घनघोर वर्षा हो रही थी। श्रीकृष्ण का अवतरण होते ही वसुदेव–देवकी की बेड़ियाँ खुल गईं, कारागार के द्वार स्वयं ही खुल गए, पहरेदार गहरी निद्रा में सो गए। वसुदेव किसी तरह श्रीकृष्ण को उफनती यमुना के पार गोकुल में अपने मित्र नन्दगोप के घर ले गए। वहाँ पर नन्द की पत्नी यशोदा को भी एक कन्या उत्पन्न हुई थी। वसुदेव श्रीकृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को ले गए। कंस ने उस कन्या को पटककर मार डालना चाहा। किन्तु वह इस कार्य में असफल ही रहा। श्रीकृष्ण का लालन–पालन यशोदा व नन्द ने किया। बाल्यकाल में ही श्रीकृष्ण ने अपने मामा के द्वारा भेजे गए अनेक राक्षसों को मार डाला और उसके सभी कुप्रयासों को विफल कर दिया। अन्त में श्रीकृष्ण ने आतातायी कंस को ही मार दिया।

इस साल यानि वर्ष 2022 में जन्माष्टमी तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उत्तराखंड में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। कहीं यह उत्सव 18 अगस्त को मनाया जा रहा तो कहीं पर 19 अगस्त को मनाया जायेगा। हिंदू धर्म में कोई भी त्यौहार व व्रत तिथि के आधार पर मनाया जाता है। कभी-कभी उदया तिथि में अंतर आने के कारण त्यौहार व व्रतों को मानाने की तिथियों में भी अन्तर आ अन्तर आ जाता है।
इस वर्ष 2022 में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 अगस्त को रात्रि 9:21 बजे से शुरू होकर अगले दिन यानि कि 19 अगस्त को रात्रि 10:59 बजे तक रहेगी।
अष्टमी तिथि 18 अगस्त को सुबह के बजाय रात्रि में शुरू हो रही है। अगले दिन 19 अगस्त को अष्टमी तिथि सूर्योदय से रात तक रहेगी। ऐसी स्थिति में अष्टमी की उदया तिथि 19 अगस्त को मानी जाएगी। हिन्दू पंचांग के आधार पर अष्टमी की इस उदया तिथि के अनुसार जन्माष्टमी 19 अगस्त का मनाना अधिक श्रेष्ठ मन जा रहा है। श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, वृंदावन और द्वारका में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 19 अगस्त को ही मनाया जाएगा।

अष्टमी तिथि आरंभ : गुरुवार, 18 अगस्त 2022, रात्रि 9:21 बजे
अष्टमी तिथि समापन : शुक्रवार, 19 अगस्त, रात्रि 10:59 बजे
अभिजीत मुहूर्त : 12:05 -12:56 बजे तक
वृद्धि योग : बुधवार,17 अगस्त दोपहर 08:56 बजे से गुरुवार 18 अगस्त रात्रि 08:41 बजे तक

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव सम्पूर्ण ब्रजमण्डल में, घर–घर में, मन्दिर–मन्दिर में मनाया जाता है। अधिकतर लोग व्रत रखते हैं और रात को बारह बजे ही ‘पंचामृत या फलाहार’ ग्रहण करते हैं। फल, मिष्ठान, वस्त्र, बर्तन, खिलौने और रुपये दान में दिए जाते हैं।
श्रद्धा विश्वास के साथ 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखकर रात में कान्हा का जन्मोत्सव बना सकते हैं और 20 अगस्त को सुबह पारण करके व्रत संपन्न कर सकते हैं।

इस वर्ष 2022 में जन्माष्टमी का वृत्त 19 अगस्त को रखना श्रेष्ठ समझा जा रहा है क्योंकि 19 अगस्त 2022 को सूर्योदय से ही अष्टमी तिथि होगी। इस दिन सुबह उठकर स्नान-ध्यान करके भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को आसन पर बैठाकर, मंत्र सहित (गंगा, सरस्वती, रेवा, पयोष्णी, नर्मदाजलैः। स्नापितोअसि मया देव तथा शांति कुरुष्व मे) स्नान करायें। इसके बाद चंदन, फूल, तिल, फल, मिठाई तुलसी पत्ता अर्पित करके भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करें और जन्माष्टमी व्रत पूजन का संकल्प लें (‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः कार्य सिद्धयर्थं कलशाधिष्ठित देवता सहित, श्रीजन्माष्टमी पूजनं महं करिष्ये)। रात्रि में 12:03 बजे से 12:47बजे का निशीथ काल होगा। इस समय बाल गोपल को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाकर नए वस्त्र पहनायें (शीतवातोष्णसन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्। देहालअंगकरणं वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे)। बाल गोपाल को मोर मुकट पहनायें। हाथों में बाँसुरी दें। माथे पर गोपी चंदन लगायें। श्रीकृष्ण भगवान का श्रृंगार कर उन्हें झूले पर बैठायें और पास में बछड़े को दूध पिलाती गाय की मूर्ति भी रखें। अपने लड़्डू गोपाल, बाल गोपाल की फूल, तील, फल, मिष्टान से पूजा करें (इदं नाना विधि नैवेद्यानि ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि)। भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिसरी खिलायें और फिर झूला झुलायें। जो भी लोग घर में जन्माष्टमी का व्रत रखे हुए हैं वे सभी भगवान श्रीकृष्ण की पूजा व आरती के बाद उन्हें झूला झुलायें।

श्रीकृष्ण महामंत्र:

श्रीकृष्णाय वयं नुम:
सच्चिदानंदरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे।
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुम:।।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.
error: Content is protected !!