जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है दीपावली
आकाश ज्ञान वाटिका, 15 नवम्बर 2020, रविवार। आज भगवान महावीर के 2547वें निर्माण दिवस के अवसर पर श्री सचिन जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि तीर्थंकर महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर के केवल ज्ञान प्राप्त करने पर आज शहर के सभी मंदिरों में पूजा अर्चना एवं सभी श्रद्धालुओं द्वारा निर्माण लड्डू श्री जी को चढ़ाया गया जिसमें सभी ने परिवार सहित सुखमय जीवन और शीघ्र ही मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति हो, ऐसी कामना की। जिसमें प्रथम कलश अनुज जैन, प्रथम शांति धारा सनद जैन, दूसरी शांतिधारा राजीव जैन, मुख्य निर्माण लड्डू अतुल जैन ओएनजीसी वाले को प्राप्त हुआ।
जैन समाज द्वारा दीपावली, महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। जैन ग्रथों के अनुसार महावीर स्वामी, वर्तमान ‘अवसर्पिणी काल के अंतिम तीर्थंकर’ को चर्तुदशी के प्रत्युष काल में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यह चर्तुदशी का अन्तिम पहर होता है, इसलिए जैन लोग दीपावली अमावस्या को मनाते है। संध्या काल में तीर्थंकर महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
जैन धर्म में लक्ष्मी का अर्थ होता है ‘निर्वाण’ और सरस्वती का अर्थ होता है ‘केवल ज्ञान’, इसलिए प्रातःकाल जैन मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण उत्सव मनाते समय भगवान की पूजा में लड्डू चढ़ाये जाते हैं। भगवान महावीर को मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति हुई और गणधर गौतम स्वामीजी को केवल ज्ञान रूपी सरस्वती प्राप्त हुई, इसलिए लक्ष्मी-सरस्वती का पूजन, दीपावली के दिन किया जाता है। लक्ष्मी पूजा के नाम पर रुपये व पैसों की पूजा जैन धर्म में स्वीकृत नहीं है।[/box]
इस अवसर पर श्री नरेश चंद जैन ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि सही मायनों में इस दिन का संबंध तीर्थंकर भगवान के निर्माण कल्याणक महोत्सव से है। जिस प्रकार लोक में दीपक से दीपक जलाकर प्रकाश करने की परंपरा है, उसी प्रकार एक जीव से दूसरे जीव को मोक्ष मार्ग में लगाया जाता है। इस प्रकार से यह ज्ञान दीप से ज्ञान दीप जलाने का संदेश देने वाला पर्व है ।
इसी क्रम में मंत्री संदीप जैन एवं अशोक जैन जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन एक तीर्थंकर भगवान महावीर रूपी महादीपक से अपना ज्ञानदीप नवीन ज्ञान दीपक जलाने की पवित्र परंपरा का प्रारंभ हुआ और वह ज्ञान दीपों की पंक्ति प्रवृत्ति हुई। अब हमें भी तत्व अभ्यास पूर्वक इस ज्ञानदीप की पंक्ति में प्रवेश करके स्वयं अपना ज्ञान दीप जलाने का पुरुषार्थ करना होगा। वास्तव में इस ज्ञान दीपक की परंपरा में स्वयं को स्थापित कर रही वास्तविक दीप+आवली अथार्थ दीपावली है।
इस अवसर पर केंद्रीय महिला संयोजिका श्रीमती मधु जैन ने कहा कि जिस तरह से प्रकाश से सभी जगह प्रकाशमान हो जाती हैं, कही भी अंधेरा नहीं रहता है, जरा सी दीपक की लो से चारों ओर उजाला होकर अंधेरा समाप्त हो जाता है, उसी तरह हमें भी अपने अंतर्मन के सभी अंधकार को दूर करते हुए प्रकाश का दिया जलाना चाहिए।
इस अवसर पर श्री सचिन जैन, सुनील जैन, जिनेश्वर जैन, पंकज जैन, संजय जैन, रंजना जैन, सुमन जैन, सुदेश जैन, मोनिका जैन, सीमा जैन, शेफाली, अजित जैन, रवि प्रकाश, शशि जैन, ऋषिका जैन, रिद्धि जैन आदि लोग उपस्थित रहे।