आह्वान गीत : कठिन परीक्षा का क्षण – कविवर “हलधर”
आकाश ज्ञान वाटिका। गुरुवार, 2 अप्रैल, 2020, देहरादून।
[box type=”shadow” ] कोरोना वायरस महामारी (रोकथाम)
लड़ रही इस रोग से दुनियां थकी है ।
विश्व भर की आश भारत पर टिकी है ।।
रोम इटली चीन भी तो लुट चुके हैं ।
पक्षियों के घोंसले तक मिट चुके हैं ।।
देख लो क्या हाल है ईरान का अब।
होंसले अमरीकियों के घट चुके हैं ।।
आप खुद संयम रखें बाहर न जायें ।
आश पर विश्वास की चादर बिछी है ।।1।।
मानवी गति और विधियां मंद होवें ।
आपसी मिलने की रश्में बंद होवें ।।
बिन दिखे ही डस रहा ये नाग सबको ।
युद्ध जैसे अब कड़े परबन्ध होवें ।।
सावधानी से रहे तो जीत पक्की ।
सभ्यता इस विश्व की हमसे सिंची है ।।2।।
मौत से अब ठन गई सीधी लड़ाई ।
बंदिशें खुद पर रखो कुछ रोज भाई ।।
यज्ञ में समिधा सरीखा दान है यह ।
यदि बचाना बाप बूढ़ा और माई ।।
अनगिनत लाशें बजुर्गों की जली है ।
मौत की यह चाल भारत आ रुकी है ।।3।।
ग्रीष्म की भीषण तपिश से ये मरेगा ।
सूर्य की किरणों का यह पानी भरेगा ।।
आग ज़ब निकले दिवाकर रश्मियों से।
रोग कोरोना हमारा क्या करेगा ।।
देश के प्रधान का आव्हान “हलधर”।
छंद नक्काशी नहीं कविता लिखी है ।।4।।[/box]
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आह्वान गीत – कठिन परीक्षा का क्षण
कठिन परीक्षा का क्षण हिंदुस्तान का ।
ख़तरे में जीवन आया इंसान का ।।
तुच्छ नहीं यह बात बड़ी है, घर के बाहर मौत खड़ी है ।
लड़ना होगा युद्ध सभी को, कोरोना से जंग छिड़ी है ।।
संकट आज यह है सकल जहान का ।
कठिन परीक्षा का क्षण हिंदुस्तान का ।।1।।
बात हमारी मानो भाई, बंद करो सब आवा जाई ।
प्राण गवा दोगे भगदड़ में, रोयें मैया चाची ताई ।।
हाल बुरा है इटली, रोम, अमेरिका, ईरान का ।।
कठिन परीक्षा का क्षण हिंदुस्तान का ।।2।।
उनकी भी समझें मजबूरी, जिनपर काम नहीं मजदूरी ।
मदद सभी को करनी होगी, तभी लड़ाई होगी पूरी ।।
समझो यही इशारा है भगवान का ।
कठिन परीक्षा का क्षण हिंदुस्तान का ।।3।।
कुछ लोगों का मन मैला है, भरा हुआ जिनका थैला है ।
खास जरूरत की चीजों पर, बिना बात का भ्रम फैला है ।।
मान रखो कुछ रोग मुक्त अभियान का ।
कठिन परीक्षा का क्षण हिंदुस्तान का ।।4।।
मौत मुहाने आये सब हैं, ये सब मानव के करतब हैं ।
कीट पतंगे पक्षी खाये, गायब चिड़ियों के कलरब हैं ।।
काम किया क्यों हमने खुद शैतान का ।
कठिन परीक्षा का क्षण हिंदुस्तान का ।।5।।
नेताजी हों या व्यापारी, हम सब की यह जिम्मेदारी ।
मजबूरों की अंतड़ियों तक, पहुँचे दाल भात तरकारी ।।
“हलधर” मान बढ़ाओ देश महान का ।
कठिन परीक्षा का क्षण हिंदुस्तान का ।।6।।
साभार: कविवर जसवीर सिंह “हलधर”
मो. 9897346173[/box]