ताज़ा खबरेंदेशविशेष
उर्दू के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की पुण्यतिथि पर समर्पित ग़ज़ल
“सियासत की जमातों से खुली तकरार है मेरी……………”
[box type=”shadow” ]
सियासत की जमातों से खुली तकरार है मेरी,
लहू मेरा सियाही है कलम तलवार है मेरी ।
अदीबों की विरासत को बचाना काम शाइर का,
वही इकरार है मेरा वही मनुहार है मेरी ।
पुजारी और मुल्ला अब पुराना जायका बदलो,
तिरंगा हार है मेरा वही दस्तार है मेरी ।
अमीरी गर गरीबी को मिटाने की कसम खाये,
वही सरकार है मेरी यही दरकार है मेरी ।
सही मतदान करना भी जरूरी देश के हित में,
यही आसार है मेरा यही हुंकार है मेरी ।
निगाहें डाल कर देखो जरा सा देश पर यारो,
उगे है खार संसद में यही आज़ार है मेरी ।
हमारा काम सच को सच बताना है जमाने को,
यही इज़हार “हलधर”का यही ललकार है मेरी ।
साभार: कविवर जसवीर सिंह ‘हलधर’
मो०: 9897346173
[/box]