पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का बड़ा बयान, कांग्रेस यदि प्रदेश में स्थानीय चेहरा लाती है तो भाजपा को भी स्थानीय चेहरा लाना पड़ेगा
आकाश ज्ञान वाटिका, 19 जनवरी 2020, मंगलवार, देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने कहा कि नरेंद्र मोदी के आने के बाद भाजपा नगर निकाय चुनाव को भी मोदी के नाम पर लड़कर लाभ ले रही है। कांग्रेस प्रदेश में स्थानीय चेहरा लाती है तो भाजपा को भी स्थानीय चेहरा लाना पड़ेगा।
इंटरनेट मीडिया पर हरीश रावत ने सोमवार को एक के बाद एक कई पोस्ट डालीं। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपना रुख बरकरार रखते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर कांग्रेस का चेहरा तय होने पर जनता दोनों चेहरों की तुलना करेगी। मोदी गेस्ट आर्टिस्ट के तौर पर आएंगे और अपनी बात कहकर चले जाएंगे। डीजीपी अशोक कुमार को सराहा
हरीश रावत ने पुलिस महकमे की कैंटीन, मैस में सप्ताह में एक दिन उत्तराखंडी व्यंजन परोसने के मामले में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की तारीफ की। अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा कि यह एक सशक्त शुरुआत है। पिछली सरकार ने जेल, अस्पतालों और सरकारी दावतों में उत्तराखंडी व्यंजनों को परोसना अनिवार्य कर दिया था। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि डीजीपी अशोक कुमार से अन्य व्यक्ति भी प्रेरणा लेंगे।
हरीश रावत ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत पर फिर तंज कसा। उन्होंने कहा कि भगत उत्तराखंडी खान-पान, अनाज को हरीश रावत का नाटक बता रहे हैं। उन्होंने कहा, बंशीधर जी ये हरीश रावत का नाटक ही है कि मंडुवे का आटा 40 रुपये किलो बिक रहा है। जिस गेठी को लोग जानते नहीं थे, वो आज 60 रुपये किलो भी नहीं मिल पा रही है। हमारे नाटक का ही परिणाम है कि एक बहुत समझदार वरिष्ठ अधिकारी ने अपने विभाग की मैस में उत्तराखंडी व्यंजनों को परोसना अनिवार्य कर दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मनरेगा में मजदूरी 100 दिन से बढ़ाकर 150 दिन करने के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले पर संदेह जताया। उन्होंने कहा कि अब भाजपा के मुख्यमंत्रियों को कांग्रेस की मनरेगा योजना तारणहार लग रही है। मुख्यमंत्री ने मनरेगा के दिवस बढ़ाने की घोषणा की है, केंद्र इसकी अनुमति उन्हें देगा, संदेह है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस फैसले को अमल में लाएं। ऐसा करते हैं तो उन्हें शाबाशी भी मिलेगी।
हरीश रावत ने किसान आंदोलन के लिए अपने आवास पर युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक मुट्ठी मिट्टी दी। इस मिट्टी को दिल्ली में आंदोलनरत किसानों को भेजा जाएगा। देश के कोने-कोने से आई इस मिट्टी से भारत का नक्शा बनाकर किसान आंदोलन में शहीद होने वाले किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।