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फास्ट-फूड/जंक-फूड : शरीर के लिए घातक

पाश्चात्य जीवन-शैली व दूषित खान-पान के कारण, न केवल आज हमारे बच्चों के स्वास्थ पर गलत असर पड़ रहा है, बल्कि उनके आचार-विचार व व्यवहार में भी इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। फास्ट-फूड के सेवन से बच्चों में चिड़चिड़पन व गुस्सा अधिक बढ़ता ही जा रहा है। उनका मन एकाग्र नहीं हो पाता है, जिससे उनकी शिक्षा व अन्य कार्यों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। वर्षों से पारम्परिक विधि से तैयार हमारे भोज्य पदार्थों में सभी आवश्यक पोशक तत्व उचित मात्रा में उपलब्ध रहते हैं। भोजन पदार्थों को तैयार करने में जो बर्तन प्रयोग में लाये जाते थे, उनका भी विशेष महत्व होता था। पारम्परिक खान-पान से बच्चों का स्वास्थ उत्तम व व्यवहार सौम्य होता है। लेकिन आज आये दिन बच्चे नई-नई बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं, जिसका एक कारण ‘फास्ट फूड’ का अधिक सेवन भी है। ‘फास्ट फूड’ / ‘जंक फूड ’ का दिनोंदिन प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है, जो मनुष्य के स्वास्थय के लिये घातक होने के साथ ही एक चुनौती भी बनता जा रहा है। अपने चटपटे स्वाद व कम समय में तैयार हो जाने के कारण ‘फास्ट-फूड’ युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है तथा वे उसके आदी बन जाते हैं। जल्दी से तैयार होने व ज्यादा बिक्री के कारण अधिकांश लोग ‘फास्ट-फूड’ का व्यापार अपनाने लगे हैं तथा इसके व्यवसाय के लिये शुरूवाती लागत भी काफी कम होती है। ‘फास्ट-फूड’ से जुड़े व्यवसायी कम लागत, कम समय, व कम मेहनत से अधिक आमदनी तो अवश्य अर्जित कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसका तनिक भी अहसास नहीं होता है कि वह एक प्रकार से पाप कर रहे हैं, क्योंकि ‘फास्ट-फूड’ में परोसे जाने वाले व्यंजन हमारी संस्कृति व सभ्यता के अनुरूप नहीं हैं। सिर्फ अत्यधिक धन अर्जित करने के उद्देश्य से अधिकांश लोग ‘फास्ट-फूड’ का पेशा अपना रहे हैं। अत्यधिक ‘फास्ट-फूड’ का सेवन करने से शरीर में चर्बी की मात्रा बढ़ने लगती है, क्योंकि इनमें जरूरत से ज्यादा कैलोरी होती है। शरीर में चर्बी की मात्रा बढ़ने से कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं, जैसे रक्त-वाहनियों का अवरूद्ध होना एवं शारीरिक वजन बढ़ने से स्वास्थय पर बुरा प्रभाव पड़ना तथा यकृत, हृदय व गुर्दे की कार्य-क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ना आदि। ‘फास्ट-फूड’ हमारे स्वास्थय के लिये तब और भी हानिकारक होते हैं, जब इंसान अधिक मुनाफा कमाने की होड में कम गुणवत्ता के पदार्थों का प्रयोग करता है, और इसका शिकार आम आदमी होता है। जब आम आदमी इसका सेवन करता है तो उसको इससे होने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे फास्ट-फूड का मजा मात्र क्षणभर का होता है, लेकिन फिर वह इंसान के लिये बीमारियों की संभावनायें बढ़ाता है, तथा कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो सकता है। सादगी, सरल, सरस व पवित्र भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही हमारे भोज्य-पदार्थ भी काफी सरल, स्वादिष्ट व पोशक होते हैं। भारतीय व्यंजनों की महक देश ही नहीं विदेशों में भी काफी पसन्द की जाती है। विभिन्न पोशक तत्वों के अनुपात के आधार पर भारतीय व्यंजन तैयार किये जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में सक्षम हैं। पाश्चात्य संस्कृति ने न केवल हमारे समाज को प्रभावित किया है, बल्कि हमारे व्यंजनों को भी अपने आगोश में ले लिया है। आज मानव-जीवन जिस तरह से अनेकों बीमारियों व अन्य परेशानियों के दौर से गुजर रहा है, इसका कारण है, हमारी जीवन-शैली व खान-पान में आया बदलाव, जो कि हमारे देश, संस्कृति व हमारी जीवन-शैली से कदापि मेल नहीं खाता है। तभी तो हम आज अपने-आप को मजबूत व स्वस्थ नहीं रख पा रहे हैं। समय रहते यदि जंक/फास्ट-फूड के प्रचलन पर रोक नहीं लगी तो भविष्य में जीवन और भी कठिन हो जायेगा। यह काफी गंभीर व सोचनीय विषय है। इस पर लगाम तभी लग सकती है, जब हम अपने-आप को तैयार करें और संकल्प लें कि हम हमेशा अपने पारम्परिक भोज्य पदार्थों का ही सेवन करेंगे तथा जंक-फूड़ के सेवन को कभी भी प्रोत्साहन नहीं देंगे। हमारे देश की संस्कृति व सभ्यता सबसे अनुपम है, हमें मिलकर इसे संभालने की आवश्यकता है, इसकी गरिमा को बनाये रखने के लिये हमें खुद ही प्रयास करने होंगे। पाश्चात्य संस्कृति से दूरी बनाकर ही हम अपने देश की संस्कृति व सभ्यता को कायम रख सकते हैं। विदेशी संस्कृति का अपने देश में प्रचार-प्रसार न होने दें, अपनी संस्कृति का विदेशों में जाकर भी प्रचार-प्रसार करना होगा, घर-घर में इसका गुणगान होना चाहिये तभी जाकर आने वाली पीढ़ी को हमारे देश की संस्कृति व सभ्यता का अनुपम उपहार मिल सकता है, अगर हम ऐसा करने में सक्षम नहीं होते हैं, और पाश्चात्य संस्कृति को ही बढ़ावा देंगे तो आने वाली पीढ़ी को हमारे देश की संस्कृति व सभ्यता का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं हो पायेगा जो हमारे देश की धरोहर का नष्ट होने के समान होगा। पश्चमी सभ्यता की चकाचैंध, भाग-दौड़ भरी जिंदगी व आधुनिकता की अंधी दौड़ के आगे हम स्वयं भलाई व बुराई की परख करना भी भूलते जा रहे हैं, पाश्चात्य संस्कृति के अनुरूप ही हमने अपनी जीवन-शैली तैयार कर ली है, जो कि आने वाले भविष्य के लिये हानिकारक सिद्ध होगी।
इसलिए हमें आज से ही पाश्चात्य संस्कृति व विदेशी व्यंजनों का बहिष्कार करना होगा तथा बच्चों को अपनी अनुपम संस्कृति व सभ्यता का बोध कराना होगा। जंक/फ़ास्ट फूड का न तो खुद सेवन करें और अन्य लोगों को भी इसके दुष्प्रभाव से प्रेरित कर, सेवन न करने की सलाह दें।

 

  • जंक फ़ूड को बनाने के लिए सबसे ज्यादा तेल का उपयोग किया जाता है। ज्यादा तेल और घी युक्त भोजन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने का खतरा रहता है और कई प्रकार के ह्रदय रोग होने का खतरा रहता है।
  • जंक फ़ूड खाने में बहुत स्वादिष्ट होते हैं और भूख भी अच्छे से मिटाते हैं। लम्बे समय तक बिना पौष्टिक तत्वों वाले फास्ट फूड या जंक फ़ूड पर निर्भर रहने वाले व्यक्तियों की भूख कम हो जाती है।
  • बहार एवं खुले मिलने वाले जंक फ़ूड सबसे ज्यादा गंदे या अस्वच्छ तरीके से बनाये जाते हैं जिनसे टाइफाइड, डायरिया जैसी बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • जंक फ़ूड में ज़रुरत से कई ज्यादा नमक व मसलों की मात्रा मिलाई जाती हैं जिससे हाइपरटेंशन होने का खतरा बढ़ जाता है।
    निरंतर फास्ट फूड के सेवन से शरीर शिथिल होने लगता है।
  • फ़ास्ट फ़ूड / जंक फ़ूड को बनाने में तेल, घी, बटर का उपयोग जरुरत से ज्यादा होता है तथा इनका वश्यकता से अधिक सेवन शरीर के लिए हानिकारक है।

अजीनोमोटो को मोनोसोडियम ग्लूटामेट या सोडियम ग्लूटामेट भी कहा जाता है। यह एक सोडियम लवण है। यह अम्ल कुदरती रूप से मिलने वाला सबसे सुलभ, गैर-ज़रूरी अमीनो अम्ल है। इसे स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थ के रूप में बेचा जाता हैं।
अजीनोमोटो का सेवन करने से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है और इसके सेवन से रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है जिसका शरीर पर काफी गम्भीर व बूरा प्रभाव पड़ता है।
यह एक नशे की तरह कार्य करता है। इसे यदि एक बार खा लिया तो फिर बार बार खाने के लिए जी करता है इसीलिए इसे फ़ास्ट फ़ूड में डाला जाता है।
अजीनोमोटो के अधिक सेवन से गुर्दों के ख़राब होने, आँखों की रेटिना को नुकसान, थायराईट और कैंसर जैसे रोगों के होने की सम्भावनायें काफी बढ़ जाती है।
अजीनोमोटो का रोजाना सेवन करने से माइग्रेन होने की सम्भावनायें काफी बढ़ जाती है, अचानक सीने में दर्द, धडकन का बढ़ जाना और ह्रदय की मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है। इसके अधिक उपयोग से मस्तिष्क पर भी बुरा प्रभाव डालता है। यह शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ा देता है जिससे रक्तचाप बढ़ने के साथ ही पैरो में सुजन की समस्या होने लगती है। अजीनोमोटो का अधिक सेवन से अल्झाइमर, पार्किन्सन, मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी गम्भीर समस्यायें पैदा होने लगती हैं।

घनश्याम चन्द्र जोशी
सम्पादक
आकाश ज्ञान वाटिका

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Ghanshyam Chandra Joshi

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