प्रशिक्षण कार्यक्रम में होमस्टे चलाने की बारीकियाँ सीख रहे हैं ग्रामीण
- आईएचएम की ओर से उत्तरकाशी के ग्राम भुक्की में चल रहा पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम
- पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर प्रशिक्षित लाभार्थी प्रमाण पत्र से होंगे सम्मानित
आकाश ज्ञान वाटिका, 12 अगस्त 2021, गुरुवार, देहरादून। ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम) की ओर से सिक्योर हिमालय परियोजना गंगोत्री भू-क्षेत्र के तहत पर्यटन विभाग व सेल्फ हेल्प संस्था के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्रामीणों को होमस्टे चलाने के लिए हाउसकीपिंग, स्वागत सत्कार और मैनेजमेंट की बारीकियाँ सिखाई जा रही है। जिससे ग्रामीण अपने होमस्टे का बेहतरीन ढंग से संचालन कर पर्यटकों को आरामदायक सुविधा उपलब्ध करा सकें।
उत्तरकाशी के भटवारी ब्लॉक के भुक्की गाँव में चले रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन विशेषज्ञों ने होमस्टे चलाने की बारीकियाँ सिखाने के साथ पर्यटकों का स्वागत करने के गुर भी सिखाए। आईएचएम के प्रचार्य डॉ० जगदीप खन्ना ने बताया कि गणतव्य आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में होमस्टे को प्रोत्साहित करना है ताकि पर्यटन के क्षेत्र में होमस्टे को वृहद स्तर पर प्रसारित किया जा सके।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में आईएचएम देहरादून के सहायक प्रशिक्षक सुनील पंत और कामालेश रॉय 8 गाँवों के 25 होमस्टे लाभार्थियों को होमस्टे चलाने की बारीकियाँ सीखा रहे हैं। 14 अगस्त को प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा होने के बाद सभी प्रशिक्षित लाभार्थियों को आईएचएम की ओर से पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार के कौशल प्रशिक्षण प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। इससे पहले भी संस्थान की ओर से इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिससे उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अपार संभावनाओं को तलाशा जा सके और ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर सृजित किए जा सके।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा उत्तराखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र अपनी नैसर्गिक छटा एवं सांस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हुये हैं। इन इलाकों में बने होमस्टे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पर्यटकों को उचित आवास एवं खान-पान की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। विशेषज्ञों की देखरेख में चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम से ग्रामीणों को सीधा लाभ मिलेगा।