जिलाधिकारी ने किया ‘‘महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता एवं परीक्षण कार्यशाला’’ एवं ‘‘गोद अभियान’’ के कार्यक्रम का शुभारम्भ
आकाश ज्ञान वाटिका। देहरादून, 26 फरवरी, 2020 (सूचना)। जिलाधिकारी डाॅ० आशीष कुमार श्रीवास्तव द्वारा सर्वे चैक स्थित कामकाजी महिला छात्रावास में ‘‘महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता एवं परीक्षण कार्यशाला’’ तथा कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के लिए आयोजित ‘‘गोद अभियान’’ के कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। उन्होंने कार्यशाला की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशाला महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और उनके समुचित विकास के लिए बहुत लाभदायक होते हैं अतः उन्होंने इस तरह के अभियान समय-समय पर अन्य क्षेत्रों में करने के जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास को निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत बच्चों और महिलाओं को दी जाने पोषण व स्वाथ्य सुविधाओं और परामर्श को उचित तरीके से प्रदान करें जिससे बचपन हँसता खेलता रहे और महिलायें स्वस्थ व निरोग बनी रहे।
इस दौरान जागरूकता एवं परीक्षण कार्यशाला में टैक्निशियनों द्वारा महिलाओं के ब्रेस्ट कैंसर मूल्यांकन तथा हीमाग्लोविन की निःशुल्क जाँच की गयी। पोषण अभियान के अन्तर्गत “गोद अभियान” में गोद लिये गये बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तथा स्वास्थ्य परीक्षण करते हुए दवाईयां और जरूरी पोषक खाद्य पदार्थ वितरित किये गये।
कार्यशाला में कुछ समय बाद मेयर नगर निगम देहरादून सुनील उनियाल ‘‘गामा’’ द्वारा प्रतिभाग करते हुए गोद लिए गये बच्चों की वस्तुस्थिति जानी और प्राप्त जानकारी से संतुष्टी व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है कि हमारी सरकार बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य का ध्यान रख रही है। उन्होंने कहा कि जिन कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्रीगणों और शासन के अधिकारियों द्वारा गोद लिया गया है उनकी बेहतर निगरानी होने के चलते बच्चों के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है और बच्चे अति कुपोषित और कुपोषित श्रेणी से अधिक संख्या में सामान्य स्तर पर आ रहे हैं।
इस दौरान गाईनोकोलाॅजिस्ट सीएमआई अस्पताल देहरादून डाॅ सूमिता प्रभाकर ने कार्यशाला में महिलाओं के ब्रेस्ट कैंसर की जाँच के दोरान कहा कि पिछले 10-15 वर्षाें से आदमी के बदले लाईफस्टाइल, फास्टफूड के चलन, पर्यावरण प्रदूषण, दूषित खाद्य व पेयजल, आरामदायक जीवनशैली, मोबाईल और तकनीकी के मध्य अधिक समय बिताने तथा महिलाओं द्वारा कम स्तनपान (फिडिंग) करने के चलन के चलते स्तन कैंसर के मामलों में वृद्धि देखी गयी है। उन्होंने कैंसर होने का सर्वाधिक कारण महिलाओं द्वारा बच्चों को कम स्तनपान करवाना माना। इसके समाधान के लिए उन्होंने महिलाओं का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि महिलाओं को बच्चों को भरपूर स्तनपान करवाना होगा तथा किसी भी प्रकरण का सन्देह होने पर अर्ली स्टेज में ही चैकअप करवाना चाहिए। स्टेज-1 व स्टेज-2 का शत् प्रतिशत् इलाज हो जाता है किन्तु अधिकत्तर मामले स्टेज 3-4 में सामने आते हैं जिसके जोखिम बढ़ जाता है साथ ही उन्होंने कहा कि इसमें घबराने की बात नहीं हैं अपने स्तन का रूटीन चैकअप करवायें तथा जागरूकता ही सबसे सही ईलाज है।
इस अवसर पर कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास डाॅ० अखिलेश मिश्रा, सीडीपीओ शहर क्षमा बहुगुणा सहित बड़ी संख्या में महिलायें और बच्चे उपस्थित थे।